नई दिल्ली: जीत सिंह के आरोप के बाद अब ये बहस छिड़ गई है कि पैरामिलिट्री फोर्स को सेना की तरह सुविधाएं मिलनी चाहिए या नहीं. इस बहस के बीच एबीपी न्यूज ने अपनी इच्छा से रिटायरमेंट ले चुके लोगों से जाना कि अब वो जीवन जीने के लिए क्या कर रहे हैं और किन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं.


BSF-CRPF के बाद SSB के एक जवान ने अफसरों पर लगाया तेल-राशन बेचने का आरोप


महाराष्ट्र के अकोला में रहने वाले विनोद निकम बिजली विभाग में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. बीएसएफ की 79 बटालियन में 21 साल सेवा देने के बाद विनोद ने स्वेच्छा से रिटायरमेंट लिया था.


पेंशन से घर चलाने में होती है दिक्कत- विनोद


विनोद ने 2004 से पहले नौकरी ज्वाइन की थी, इसलिए उन्हें पेंशन भी मिलती है. लेकिन पेंशन के तेरह हजार रुपये से उनका गुजारा नहीं होता, इसलिए उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर ली. विनोद और उनके परिवार को सरकार से आर्मी की तरह सुख सुविधाएं मिलने की उम्मीद है.


यूपी के अनिल प्रजापति की कहानी


यूपी के मऊ जिले में रहने वाले अनिल प्रजापति दवाइयों की सप्लाई का काम करते हैं. उन्होंने 2010 में ट्रेनिंग के बाद ही सीआरपीएफ की नौकरी छोड़ी दी थी और मेडिकल रिप्रेजेनटेटिव Medical Representative  यानी एमआर का काम करने लगे. नौकरी से पहले भी अनिल यही काम करते थे. अनिल अपने फैसले को सही मानते हैं. उनका कहना है कि वो अफसरों के तानाशाही रवैये से परेशान थे.