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ऑपरेशन हाथरस: वारदात के बाद पुलिस ने लड़की को अकेले एंबुलेंस में भेजा, उसकी जान के खतरे को किया नजरंदाज

लड़की को वारदात के बाद हाथरस की पुलिस ने अपने ही हाल पर छोड़ दिया था...जबकि तब भी उसकी जान को खतरा था. इस बात का खुलासा एबीपी न्यूज के खुफिया कैमरे में हुआ.

हाथरस की पुलिस ने पीड़ित लड़की को बचाने के मामले में शुरू से ही बहुत लापरवाही की. वारदात के दिन से ही पुलिस ने इस मामले में वैसे संवेदनशीलता नहीं दिखाई, जैसी पीड़िता के साथ दिखाई जानी चाहिए थी. एबीपी न्यूज के खुफिया कैमरे में खुद पुलिस ने ये बात कबूल की है कि पीड़िता को वारदात के बाद अकेला छोड़ा गया. जो मामला मेडिको-लीगल केस था, उसमें पुलिस ने पीड़िता को खुद ले जाने के बजाय उसके घरवालों के साथ हाथरस से मेडिकल के लिए अलीगढ़ भेजा.

जिस लड़की के साथ जोर जबर्दस्ती हुई, जिस लड़की को जान से मारने की कोशिश हुई, जो लड़की जघन्य वारदात के बाद शारीरिक और मानसिक रूप से बुरी तरह से टूट गई थी. उस लड़की को वारदात के बाद हाथरस की पुलिस ने अपने ही हाल पर छोड़ दिया था...जबकि तब भी उसकी जान को खतरा था. इस बात का खुलासा एबीपी न्यूज के खुफिया कैमरे में हुआ.

एबीपी न्यूज के अंडर कवर रिपोर्टर जब इस बात का पता लगाने चंदपा थाने में पहुंचे कि 14 सितंबर को वारदात के दिन जब लड़की को अलीगढ़ के अस्पताल रेफर किया गया उस दिन उसके साथ कौन-कौन गया था. हमारे रिपोर्टर ने ये सवाल इसी थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मी नेहा से किया. उससे जो पता चला उसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

रिपोर्टर- क्या नाम है उनका, थाने से कोई गया था? वो रुचि है क्या नाम है? नेहा- नही रुचि नहीं है. उस टाइम तो नही हम गए थे रिपोर्टर- अच्छा आप हॉस्पिटल तक गए थे बस? और कुछ नहीं बताया जो भी आपको पता चला हो? नेहा- नहीं रिपोर्टर- अलीगढ़ में पुलिस का कोई गया था या नहीं गया था? नेहा- तब तो नहीं गया था रिपोर्टर- अलीगढ़ यहां से कोई नहीं गया? नेहा- मेरी रवानगी नहीं हुई थी उसमें रिपोर्टर- जी, इनकी रवानगी नहीं हुई थी ये कह रहे है. पेशेंट के साथ कौन गया था? नेहा- कोई नहीं गया था साथ रिपोर्टर- कोई नहीं गया? नेहा- नहीं रिपोर्टर- अलीगढ़ कोई नहीं गया? नेहा- नहीं रिपोर्टर- अकेले लेकर गए उसके घर वाले? नेहा- हमने उन लोगों से कहा था, जो रेफर स्लिप थी वह परिवार को भी देते हैं उनके फैमिली वाले सब लोग साथ में थे तो मैं जा रहा हूं मेरे चाचा हैं मैं अपना अच्छे से इलाज करवाऊंगा. तो मैंने अपने सर को बता दिया कॉल करके सर ने हमसे कहा तुम आ जाओ. रिपोर्टर- सर कौन थानेदार साहब? नेहा- इंस्पेक्टर सर को बताया था. रिपोर्टर- उन्होंने आपको वापस बुला लिया? नेहा- हमने जब उनको यह बात बताई तो उन्होंने कहा तुम आ जाओ. रिपोर्टर- अलीगढ़ में पुलिस का कोई गया था या नहीं गया था? नेहा- तब तो नहीं गया था रिपोर्टर- अलीगढ़ यहां से कोई नहीं गया? नेहा- मेरी रवानगी नहीं हुई थी उसमें रिपोर्टर- जी, इनकी रवानगी नहीं हुई थी ये कह रहे है. पेशेंट के साथ कौन गया था? नेहा- कोई नहीं गया था साथ रिपोर्टर- कोई नहीं गया? नेहा- नहीं रिपोर्टर- अलीगढ़ कोई नहीं गया? नेहा- नहीं

जिस मामले में लड़की से जोर जबर्दस्ती की गई थी, जिस मामले में लडकी को जान से मारने की कोशिश की गई थी. उस मामले की पीड़िता के साथ हाथरस से अलीगढ़ के करीब 35 से चालीस किलोमीटर के रास्ते में कोई पुलिसवाला साथ नहीं था.

हाथरस जिला अस्पताल के CMS

हाथरस की पुलिस ने निर्भया केस के बाद सुप्रीम कोर्ट की बनायी हुई सभी गाइडलाइन को ताक पर रख दिया. जबकि उस दिन लड़की को बहुत बड़ा शारीरिक और मानसिक आघात लगा था. लड़की की हालत बहुत नाजुक थी. इस बात की तस्दीक हाथरस जिला अस्पताल के सीएमएस ने भी एबीपी न्यूज के खुफिया कैमरे में की.

रिपोर्टर- 14 तारीख की जो घटना हुई थी लड़की यहां पर आई थी वो थोड़ा सा जानना चाह रहे हैं कि क्या सिचुएशन थी उस वक़्त क्या हुआ था? डॉ आई.वी.सिंह (CMS)- वह डॉक्टर साहब की ड्यूटी थी डॉ रमेश बाबू वह ड्यूटी पर थे और इसके बारे में जो भी उन्होंने देखा वही बता सकते हैं इसके बारे में रिपोर्टर- आपको इन्फॉर्म किया होगा..यहां कितने देर रुकी है लड़की. CMS- मैं कह तो रहा हूं ना इसके बारे में डॉक्टर साहब ने उसको फर्स्ट एड देने के लिए आधा घंटा रुकी हो, पौना घंटा रुकी हो वो सब पेपर में लिखा हुआ है.. ठीक है ना उसकी गंभीरता को देखते हुए उसकी हालत को ज्यादा खराब देखते हुए, वह ढंग से बात नहीं कर रही थी यह मेरी जानकारी में आया, एसआईटी के सामने उन्होंने बयान दिए हैं कि उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब थी इसलिए उसको फर्स्ट एड देने के बाद रेफर किया गया है और डॉक्टरी मुआयना वही हुआ है

हाथरस से अलीगढ़ जाते वक्त पीड़िता को अपने ही हाल पर छोड़कर पुलिस ने सबसे बड़ी लापरवाही की है. वो भी ऐसे मौके पर जबकि उसकी जान को खतरा बना हुआ था. लेकिन पुलिस ने लापरवाही सिर्फ यही नहीं की. उसने मौका-ए-वारदात पर सबूत जुटाने में भी कोताही की.

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