ABP Ideas of India: कैलाश सत्यार्थी ने बेहतर शिक्षा पर दिया जोर, बोले - समस्याओं के लिए नहीं समाधानों के लिए जाना जाता है भारत
नोबेल पुरस्कार पाने वाले कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, सपने में बड़ी ताकत होती है. अगर हम इससे जुड़ जाएं तो कुछ भी हासिल कर सकते हैं.
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने एबीपी न्यूज़ के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में हिस्सा लिया. उन्होंने 'द ह्यूमैनिटी इंडेक्स' विषय पर चर्चा की. कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, भारत का असली विकास तभी होगा जब सभी को समान शिक्षा मिल पाएगी, साथ ही सबसे आखिरी पंक्ति में खड़े हर बच्चे के चेहरे पर हम मुस्कान लाने का काम करेंगे.
देश के हर बच्चे को हो अच्छी शिक्षा का अधिकार
अगले 25 सालों में भारत को ऐसा क्या करना चाहिए, जिससे भारत को सोने की चिड़िया के रूप में देखा जा सके. इस सवाल के जवाब में कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, देश का हर बच्चा निर्भय होकर पूरी आजादी के साथ स्कूल के क्लासरूम में हो, वैसे ही उसे शिक्षा मिले जैसे देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों और नेताओं के बच्चों को मिल रही हो. इस आइडिया को मापने के लिए गांधी जी से प्रेरित होकर मेरा एक पैमाना है कि देश के बहुत गरीब इलाके में एक लड़की की कल्पना कीजिए जो गुलामी में पैदा हुई है, जिसके मां-बाप बंधुआ मजदूरी में रहते हैं. जो बच्ची हर तरह के यौन शोषण के लिए ट्रैफिकिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर हम सब लोग उस बच्ची के चेहरे पर आज मुस्कान लाएंगे तो 25 साल बाद भारत दुनिया का महानतम राष्ट्र होगा.
सपने में होती है बड़ी ताकत
शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाले कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि, ये जो कुछ मैंने कहा है वो मुमकिन है. मैंने जब काम शुरू किया तो ये कोई मुद्दा नहीं था. बाल मजदूरी, चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे शब्द सुने नहीं जाते थे. हमारे देश में अपना कोई कानून नहीं था. लेकिन इसके बावजूद सपने में बड़ी ताकत होती है. अगर हम इससे जुड़ जाएं तो कुछ भी हासिल कर सकते हैं. भारत समस्याओं के लिए नहीं समाधानों के लिए जाना जाता है. हम सब समाधान हैं. इसके लिए हमारी सरकारों को चाहिए कि वो अपने बजट में बच्चों को प्राथमिकता दें. 40 फीसदी आबादी हमारी 18 साल से नीचे की है. लेकिन उनकी शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य को मिलाकर हमारी जीडीपी का 4 फीसदी से भी कम पैसा खर्च होता है. अगर इस देश में एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित है और गुलामी में जी रहा है तो हमें अपने आप को शीशे में देखना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि ये बच्चे किसी और के बच्चे नहीं हैं बल्कि ये भारत माता की औलादें हैं. हमें इनका बचपन लौटाना चाहिए.