(हमारे पाठक नानुराम, सुजीत कुमार, अभिनव पटेल, मुकेश राजपूत,प्रवीण मित्तल, शूरबीर सिंह नेगी, बद्री विशाल, राजू, आशीष त्रिपाठी, सौरभ मणि, तरुण त्यागी, श्याम मोहन सिंह, अर्जुन साव के पूछे गए सवालों के आधार पर ये लेख लिखा गया है.)


सवाल- केदारनाथ किस राज्य में है?


जवाब – केदारनाथ धाम उत्तराखंड में है. ये समुद्र तल से 3 हजार 581 मीटर की उंचाई पर है.


सवाल- केदारनाथ के पट कब खुलते हैं और कब बंद होते हैं?


जवाब- केदारनाथ धाम के कपाट छह महीने बंद रहते हैं और छह महीने के लिए खोले जाते हैं. हर साल अक्टूबर-नबंवर में कपाट बंद होकर अप्रैल-मई में खुलते है. इस बार कपाट 29 अप्रैल को खुले हैं. भैया दूज पर कपाट बंद होंगे.


सवाल- क्या केदारनाथ जाने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है? केदारनाथ जाने की प्रक्रिया क्या है?


हां, केदारनाथ धाम जाने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है. उत्तराखंड टूरिज्म की वेबसाइट पर इसकी पूरी जानकारी दी गई है. 25 अप्रैल तक केदारनाथ के लिए एक लाख 10 हजार यात्री ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा चुके थे. ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए भी कई जगह काउंटर खोले गए हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन कार्ड बनता है. रजिस्ट्रेशन के वक्त श्रद्धालुओं के दर्शन का समय भी तय कर दिया जाता है.


सवाल- केदारनाथ जाने के लिए हेलिकॉप्टर सर्विस कहां से उपलब्ध है?


जवाब- अब केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा शुरू हो गई है. गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी से क्रमश: 7300, 6700 और 6350 रु. किराया देना होगा.


सवाल- केदारनाथ में भक्तों की संख्या कितनी है?


बीकेटीसी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 में 4.09 लाख भक्तों ने गंगोत्री, 3.92 लाख ने यमुनोत्री और 4.71 लाख ने केदारनाथ और 8.85 लाख ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए. उत्तराखंड सरकार इस बात की उम्मीद जता रही है कि इस बार श्रद्धालुओं का यह आंकड़ा 30 लाख तक पहुंच सकता है. जून 2013 की आपदा के बाद यात्रियों की संख्या का रिकार्ड इस बार टूटने की उम्मीद है.


सवाल- केदारनाथ धाम की क्या मान्यता है?


केदारनाथ को 12 ज्योतिर्लिंगों में पांचवें ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. केदारनाथ में स्थित शिवलिंग स्वयंभू हैं. केदारनाथ का निर्माण महाभारत काल में माना जाता है. 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने जीर्णोद्धार कराया था. मान्यता है कि छह महीने तक बाबा केदारनाथ समाधि में रहते हैं. मंदिर के बाहर भगवान शिव का वाहन नंदी विराजमान है.