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ABP न्यूज पहल: इजरायल ने क्यों सीरिया में ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया, जानिए हर सवाल का जवाब

सवाल- हरियाणा के रोहतक से दर्शक रूपेश और दर्शक नेमिचंद ने पूछा है कि इजराइल और सीरिया के बीच किन-किन मुद्दों को लेकर विवाद है और यह मुद्दे सुलझ क्यों नहीं रहे हैं? इन मुद्दों को कैसे सुलझाया जा सकता है?

जवाब- इजराइल, सीरिया और ईरान तीनों ही पश्चिम एशिया के तीन महत्वपूर्ण देश हैं. ईरानी सेना ने इजरायल नियंत्रित क्षेत्र गोलान हाइट्स में 20 रॉकेट दागे तो इजराइल ने भी सीरिया के ईरानी ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया. साल 1974 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से सीरिया में इजराइल का यह सबसे बड़ा अभियान है.

किन-किन मुद्दों पर विवाद है? 1. इजरायल का तर्क है कि उसे बर्बाद करने के लिए ईरान सीरियाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहा है, उसने वहां सैकड़ों सैनिक तैनात कर रखे हैं, रक्षा ठिकाने बना रखे हैं. 2. इजरायल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम से भी आपत्ति है. 3. इजरायल नहीं चाहता कि लेबनानी आतंकवादी संगठन हिजबुल्ला सीरिया में आधुनिक हथियार लेकर मजबूत हो क्योंकि वो इजरायल के लिए खतरा है. 4. इजरायल को मालूम है कि ईरान और सीरिया के संबंध तोड़ना मुश्किल है क्योंकि ये दोनों ही राष्ट्र शिया बहुल हैं. 5. उधर सीरिया का आरोप है कि उनके यहां आतंकी संगठन ISIS को पैदा करने और उसकी मदद में इजरायल का हाथ है.

अब सवाल ये कि मुद्दे सुलझ क्यों नहीं रहे- 1. इसकी जड़ में है फिलिस्तीन का मुद्दा. फिलिस्तीन अब तक एक स्वतंत्र देश नहीं बन पाया है. उसके कई हिस्सों पर इजरायल का कब्जा है जो अरब के देशों खासकर ईरान, सीरिया को गवारा नहीं. 2. इजरायल की अमेरिका से दोस्ती भी अरब देशों को खटकती है

इन मुद्दों को कैसे सुलझाया जा सकता है- पिछले 70 सालों में इजरायल-फिलिस्तीन के मुद्दे पर वार्ता के कई दौर चले. अरब देश और अमेरिका भी कई वार्ताओं में शामिल हुए लेकिन मसला हल नहीं हुआ. एक बार फिर बातचीत ही वो जरिया है जिसकी मदद से ये मसला सुलझाया जा सकता है.

सवाल- हैदराबाद के दर्शक रामशंकर पाल ने पूछा है कि क्या इजरायल का साथ अमेरिका भी देगा, अगर ऐसा हुआ तो विश्व युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा? जवाब- पिछले 70 साल से अमेरिका इजरायल का साथ देता आया है क्योंकि अमेरिका में यहूदी लोगों की काफी आबादी है. इजरायल ने भी शायद इसी वजह से अमेरिका के साथ अपने संबंधों को हल्का नहीं होने दिया. 1948, 1967, 1971 में इजरायल के अरब देशों के साथ युद्ध हुए और इन सभी युद्धों में अमेरिका ने खुलकर इजरायल का साथ दिया लिहाजा इस बार भी जरूरत पड़ी तो अमेरिका का इजरायल के साथ जाना तय है. रहा सवाल विश्व युद्ध के खतरे का तो फिलहाल तो ऐसा नहीं लगता. 1948, 1967, 1971 के युद्ध जब विश्व युद्ध में नहीं बदल पाए तो अब भी उम्मीद यही की जानी चाहिए कि विश्व युद्ध नहीं होगा.

सवाल- मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से दर्शक मनोज सोनी ने पूछा है कि हम किसके साथ हैं इजरायल के या फिर ईरान के? जवाब- भारत के संबंध इजरायल हो या ईरान दोनों देशों के साथ मजबूत हैं. आपको बता दें कि पिछले साल जुलाई में पीएम मोदी इजरायल गए थे तो इसी साल जनवरी में वहां के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भारत दौरे पर आए. आपको ये भी बता दें कि इसी साल फरवरी में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भारत के दौरे पर आए. अहम ये भी है कि इजरायल से हथियार आयात करता है भारत और ईरान से तेल आयात करता है. इस मामले में सऊदी अरब और ईराक के बाद ईरान तीसरा सबसे बड़ा देश है. ईरान के साथ हमारे संबंध एतिहासिक भी हैं.

सवाल- कुवैत के दर्शक अमजाद और दर्शक शिवनाथ तिवारी ने पूछा है कि कई देश सीरिया पर हमला कर रहे हैं, संयुक्त राष्ट्र कोई कदम क्यों नहीं उठाता? जवाब- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 वीटो पावर देश हैं- अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस. इन देशों में अमेरिका,फ्रांस,ब्रिटेन सीरिया के खिलाफ हैं तो रूस सीरिया के साथ. 7 अप्रैल को सीरिया में पूर्वी दमिश्क के डोउमा में हुए रासायनिक हमले में 70 से 100 लोगों की मौत हो गई थी 2011 से जारी गृह युद्ध की सबसे झकझोरने वाली घटना थी. इसके खिलाफ अमेरिका,ब्रिटेन, फ्रांस ने सीरिया पर संयुक्त हमला कर दिया.

रूस के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 14 अप्रैल को बैठक बुलाई गई. जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने कहा निश्चित ही सीरिया आज अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा पेश करता है. मैं सभी सदस्य देशों से अपील करता हूं कि वे इन खतरनाक परिस्थितियों में संयम बरते और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचें, जिससे स्थिति और बिगड़े व सीरिया लोगों की तकलीफें बढ़ें. यानि संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी तरफ से भरसक कोशिश कर रहा है कि हालात काबू में रहें और दुनिया में शांति बनी रहे.

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