JAN MAN DHAN e-Conclave: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुल 34,83,236 करोड़ रुपये के खर्चे का बजट पेश कर दिया है. सरकार और उसके सहयोगियों ने जहां इस बजट को जनता के लिए फायदेमंद बताया है, वहीं विपक्ष ने इसे खराब और देश को गुमराह करने वाला बजट करार दिया है. इस बीच आज आपने पसंदीदा चैनल abp न्यूज़ पर दिनभर बजट का विश्लेषण किया जाएगा.


एबीपी न्यूज ने आज जन मन धन e-कॉनकलेव (JAN MAN DHAN e-Conclave) का आयोजन किया है. इस खास कार्यक्रम में पक्ष-विपक्ष और विशेषज्ञों से नए बजट में खूबियां और खामियों को समझने की कोशिश होगी. जन मन धन e-कॉनकलेव में पहले मेहमान पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी हैं.


जयंत सिन्हा ने कहा, ''यह जो बजट है वो अर्थव्यवस्था के लिए एक बूस्टर रॉकेट है. इस बजट से अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने का काम कर रहे हैं. जहां निवेश की जरूरत थी वहां बजट ने भरपूर काम किया है. पिछले बजट में हम लोगों ने चार लाख तीस हजार करोड़ का खर्चा किया है. अगले वित्तीय साल में हम लोग साढ़े पांच लाख करोड़ खर्च करेंगे. इससे रोजगार और निवेश में तेजी आएगी. दूसरी बड़ी बात बजट की यह है कि इस बजट का ज्यादातर हिस्सा कृषि, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर पर करेगी. इस क्षेत्र में एक रुपये के निवेश से का असर अर्थ व्यवस्था पर चार पांच रुपये के बराबर होता है. तीसरी बड़ी बात यह है कि बजट में सुधार के बहुकत सारे कदम उठाए गए हैं. जैसे जैसे निवेश होगा सुधार होते चले जाएंगे.''


जयंत सिन्हा की बात का जवाब देते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ''एक बहुत अपवाद यानी कोविड के समय में एक बहुत ही सामान्य सा बहजट पेश दिया गया है. किसी ने आर्थिक सर्वे के संबंध में कहा था कि हम पुजारा भी खेलेंगे और पंत भी खेलेंगे. लेकिन ऐसा कहकर पुजारा और पंत दोनों का अपमान किया गया है. मैं तीन चार बातें बताना चाहता हूं. नंबर एक फिसकल डिफसिट इतना हाथ पैर मारने के बाद और बिना फिसकल इंजेक्शन दिए. ना तो आपने लोगों हाथ में पैसा दिया लेकिन आपने साढ़े नौ पर्सेंट का फिसकल डिफसिट खड़ा कर दिया. इसका मतलब हुआ गालिब ने कहा था कि ना खुदा मिला ना विसाले यार. अगर आपको यही करना था तो लोगों के हाथ में पैसा देना चाहिए. अगर सब कुछ व्यवस्थित तरीके से होता तो भी इतना घाटा ना होता.''


सिंघवी ने कहा, ''वेतनभोगी वर्ग के लिए बजट में कुछ भी नहीं है जबकि सबसे ज्यादा कोरोना में नुकसान वेतन भोगी वर्ग को ही हुआ है. इसके बाद रक्षा बजट में कोई वृद्धि नहीं है. कृषि में भी कुछ वृद्धि नहीं है, कुछ चालाकियां दिखाई गई हैं. कृषि पर सेस डालकर चालाकी की गयी है. कृषि के सामूहिक बजट में वृद्धि नहीं हुई है. इसके बाद एमएसपी की बात अगर तीनों करार लागू होते हैं तो एमएसपी लागू ही नहीं होगी. इसेक साथ ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश भी नहीं लागू की गयी हैं. इस बजट के स्तंभ सिर्फ चुनावी राज्य हैं.''


सिंघवी ने कहा, ''पुजारा और पंत मेरे उदाहरण नहीं है यह वित्त मंत्री और आर्थिक सलाहकार ने कहा है. लेकिन जहां तक हाथ में पैसा देने की बात है तो दुनिया से सभी बड़े देशों ने ऐसा किया है.''


जयंत सिन्हा ने कहा, ''अभिषेक जी कांग्रेस की वकालत कर रहे हैं लेकिन देश की हकीकत नहीं बता रहे हैं. जहां तक कैश ट्रांसफर की बात तो जनधन के जरिए सरकार ने तीस-चालीस हजार करोड़ सीधे लोगों के खाते में भेजे. इसके बाद किसान सम्मान निधि के जरिए भी सत्तर हजार करोड़ किसानों के खाते में भेजे, एक लाख करोड़ तो ऐसे ही हो गया. इसके साथ ही वित्त मंत्री जी ने बताया कि जहं एमएसपी के द्वारा कांग्रेस के समय में एक लाख करोड़ की खरीद करते थे तो अब तीन लाख करोड़ की खरीद हो रही है. यह सब सीधे लाभार्थी के खाते में पैसे दिए जा रहे हैं. जब जरूरत थी तब सरकार ने पैसे ट्रांसफर किए.''


जयंत सिन्हा ने कहा, ''जहां तक कृषि की बात है तो कोरोना काल में अर्थव्यवस्था जब चर्मरायी तब भी कृषि क्षेत्र में अच्छी ग्रोथ दिखी. इसके साथ ही यूरिया, मंडी और किसानों के कानून में सुधार की बात हो रही है. किसानों की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सरकार ने काफी काम किया है.''


अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ''अगर जयंत सिन्हा जी बता दें कि कोरोना काल में सरकार ने लोगों के खाते में एक-डेढ़ लाख करोड़ रुपये के अलावा कुछ डायरेक्ट ट्रांसफर हुआ तो तो मैं अपनी बात वापस ले लूंगा. उन्होंने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की बात कर रहे हैं और हम पूछ रहे हैं कि आपने कोविड के अतिरिक्त कितना ट्रांसफर किया?''


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