India China Standoff: चीन से सटी एलएलसी पर चल रहे विवाद के बीच एबीपी न्यूज़ पहुंचा है अरुणाचल प्रदेश के बूमला में. बूमला भारतीय सेना की अरुणाचल प्रदेश में आखिरी बॉर्डर पोस्ट है. 1962 के युद्ध की मुख्य लड़ाई इसी बूमला सेक्टर में लड़ी गई थी, जिसकें निशां आज भी यहां मौजूद हैं. दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए बनाई गई बीपीएम हट भी पहले कोरोनो और फिर एलएसी विवाद के बाद सूनी पड़ी है. पिछले 20 महीनों से यहां भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स के बीच कोई मीटिंग नहीं हुई है.
तवांग से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर है भारतीय सेना की आखिरी बॉर्डर-पोस्ट है बूमला. हालांकि, एरियल-दूरी महज़ 14 किलोमीटर है, लेकिन इतनी कम दूरी में ही समुद्र-तल से उंचाई 9 हजार फीट से बढ़कर 15 हजार पहुंच जाती है. दुनिया के कम ही ऐसे सीमावर्ती इलाके हैं जहां हाई-आल्टिट्यूड क्षेत्र में इतनी तेज से उंचाई बढ़ जाती है. वहीं, अगर बूमला के दूसरी तरफ चीन (यानि तिब्बत) का क्षेत्र देखते हैं तो तिब्बत की राजधानी ल्हासा से ये दूरी करीब 250-300 किलोमीटर है. ल्हासा करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर है. ऐसे में जहां भारतीय सैनिकों को हाई-आल्टिट्यूड से जुड़ी मुश्किलें ज्यादा सामने आती हैं चीन की पीएलए सेना के सैनिक इस जलवायु और भूगौलिक परिस्थितियों से भलीभांति 'एैकलेमेटाइज़' रहते हैं.
बावजूद इसके भारतीय सैनिकों के जोश में कोई कमी नहीं है. भारतीय सेना अपनी जमीन के एक एक इंच को चीन की बुरी नजर से बचाने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार है. भारतीय सेना का आदर्श-वाक्य है, 'किल और बी-किल्ड' यानि या तो दुश्मन को मारो या फिर लड़ते लड़ते शहादत पाओ. एलएसी पर भारतीय सेना का अब 'एग्रेसिव पोस्चयर' है.
तवांग से बूमला के रास्ते पर 1962 के युद्ध के बंकर साफ दिखाई पड़ते हैं जहां पर चीनी सेना से लड़ते हुए भारत के वीर सैनिकों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. मां-भारती के एक ऐसे ही सच्चे सपूत, सूबेदार जोगिंदर सिंह की याद में भारतीय सेना ने वॉर-मेमोरियल बनाया है. सिख रेजीमेंट के सूबेदार जोगिंदर सिंह 1962 के युद्ध में पूरे ईस्टर्न सेक्टर में अकेले ऐसे सैनिक थे जिन्हें देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से मरणोपरांत नवाजा गया था. जिस चट्टान की आड़ लेकर जोगिंदर सिंह और उनकी प्लाटून के 20 साथियों ने चीनी सेना के 600 सैनिकों से लोहा लिया था, उसी जगह ये युद्ध-स्मारक बनाया गया है. कहते हैं कि अगर जोगिंदर सिंह की राईफल की गोलियां खत्म ना होती तो लड़ाई का परिणाम कुछ और होता. लड़ाई में बुरी तरह घायल जोगिंदर सिंह के अदम्य साहस और वीरता से चीनी सेना भी इतनी प्रभावित हुई थी कि उन्हें मेडिकल उपचार और खाना देना चाहती थी. लेकिन जोगिंदर सिंह ने चीनी सेना का कोई भी उपकार लेना गंवारा नहीं समझा और चट्टान के करीब ही अपने प्राण त्याग दिए. आज इस चट्टान को भारतीय सेना ने तिरंगे के रंग में रंग दिया है. ये चट्टान भारतीय सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
तवांग से बूमला के रास्ते में जगह जगह पर भारतीय सेना की तोप और एंटी एयरक्राफ्ट गन तैनात हैं ताकि चीन से होने वाले किसी भी खतरे का माकूल जवाब दिया जा सके. अक्टूबर के महीने में जब एबीपी न्यूज़ की टीम यहां पहुंची तो लगातार बारिश हो रही थी. चारों तरफ धुंध छाई हुई थी और विजीबेलिटी काफी कम थी. सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है और ठंड साफ महसूस की जा सकती है. माना जा रहा है कि जल्द ही पूरे इलाके में बर्फबारी शुरू हो सकती है. बाबजूद इसके भारतीय सैनिकों के माथे पर एक शिकन नहीं थी. रास्ते में जगह जगह एम्युनेशन-स्टोर और ऐसे सैन्य अड्डे हैं जहां पर साफ तौर से फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी सख्त मना है.
बूमला पहुंचने पर दिखाई पड़ती है बॉर्डर पर्सनल मीटिंग यानि बीपीएम हट. हालांकि, इसे मैत्री-स्थल का नाम दिया गया है लेकिन लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर चल रहे विवाद के चलते अब यहां दोनों देशों के बीच मैत्री जैसा कम ही बचा है. दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स के बीच यहां साल में नौ (09) सेरेमोनियल मीटिंग होती हैं-न्यू ईयर, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, दीवाली, चीनी पीएलए दिवस इत्यादि. लेकिन पहले कोरोना और अब एलएसी विवाद के चलते यहां जनवरी 2020 के बाद कोई मीटिंग नहीं हुई है. यदा कदा पैट्रोलिंग को लेकर हुए विवाद के चलते फ्लैग-मीटिंग जरूर हुई हैं.
एबीपी न्यूज़ की टीम बीपीएम हट के अंदर गई तो देखा कि एक बड़े से हॉल में भारत और चीन के राष्ट्र-ध्वज लगे हैं. एक बड़ी से कॉन्फ्रेंस-टेबल पर दोनों देशों के कमांडर्स और प्रतिनिधिमंडल की सीट रिजर्व हैं. हर सीट पर रखीं ब्राउन कलर की फाइलों पर 'इंडिया चायना बॉर्डर पर्सनल मीटिंग' लिखा है. टेबल पर छोटे-छोटे भारत और चीन के फ्लैग लगे हैं. लेकिन जिस तरह के एलएसी पर हालात हैं उसे देखकर लगता नहीं कि जल्द ही कोई सेरेमोनियल मीटिंग अब भारत और चीन की सेनाओं के बीच होने वाली है.