नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के खास शो मातृभूमि में आज बात पाकिस्तान की. अगस्त में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने अपना एक साल पूरा किया है. इन 365 दिनों के भीतर इमरान ने पाकिस्तान को रिकॉर्ड लेवल तक कर्ज में डुबो दिया है और जनता पाकिस्तान का जहाज डुबोने वाले कप्तान इमरान से तौबा-तौबा कर रही है.


इमरान खान के पाकिस्तान की सत्ता संभालने के बाद देश का गरीब खून के आंसू रो रहा है. पाकिस्तान के बाजार में मिलने वाली शायद ही कोई ऐसी चीज है जो सस्ती है. अब ताजा खबर ये आई है कि इमरान खान सरकार ने कर्ज के मामले में बिल्कुल नया रिकॉर्ड कायम किया है.


मातृभूमि: दो साल में रेलवे ट्रैक पार करते वक्त 50 हजार लोगों ने गंवाई है अपनी जान


इमरान खान के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद पाकिस्तान पर साढ़े सात लाख करोड़ का कर्ज हो गया है. सिर्फ एक साल में इमरान खान ने 2.8 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज लिया है जबकि 4.7 लाख करोड़ का घरेलू कर्ज लिया गया है.


यानि इमरान खान ने कर्ज के मामले में ऐसा शॉट मारा है कि पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं. पाकिस्तान में ये इमरान खान सरकार की देन है कि एक साल में 20 करोड़ की आबादी वाले देश में हर नागरिक पर 30 हजार रुपए का कर्ज हो गया है.


मातृभूमि: आखिर जान हथेली पर रख कर रेलवे क्रॉसिंग क्यों पार करते हैं लोग?


पाकिस्तान पर कुल कर्ज 14 लाख करोड़ का है जिसमें आधे से ज्यादा यानि साढ़े सात लाख करोड़ पिछले एक साल में यानि इमरान खान के राज में पाकिस्तान के सिर पर चढ़ा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक अगले पांच साल में यानि साल 2024 तक पाकिस्तान का कर्ज 47 फीसदी तक बढ़ जाएगा और पाकिस्तान 21 लाख करोड़ के कर्ज में डूब जाएगा.


इमरान खान सरकार के पास पाकिस्तान को कर्ज के गर्त से निकालने का कोई प्लान नहीं है और पाकिस्तान की जनता इसका खामियाजा भुगत रही है. हालात ऐसे हैं कि जिंदगी की जरूरत को पूरा करने वाला हर सामान आम आदमी की पहुंच के बाहर होता जा रहा है. घी से लेकर दवाई तक के दामों में ऐसी आग लगी है कि जनता इमरान खान को वोट देने पर अफसोस करने लगी है.


मातृभूमि: परेशान है पटना, करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी ड्रेनेज सिस्टम में नहीं है दम


पाक आर्मी चीफ बाजवा पाकिस्तान के कारोबारियों के साथ तीन गुप्त बैठकें कर चुके हैं. कारोबारियों के साथ बैठक होती है लेकिन बैठक में प्रधानमंत्री इमरान खान ही मौजूद नहीं होते. मीटिंग इतने गुप्त तरीके से हुई कि वहां लिए फैसलों की जानकारी तक बाहर नहीं आ पाई. जानकार इन बैठकों को इमरान के तख्तापलट का नरम तरीका कह रहे हैं.


इमरान खान भी जानते हैं कि हालात इतनी जल्दी काबू में आने वाले नहीं हैं इसलिए तख्तापलट से बचने के लिए वो इस्लामोफोबिया का सहारा ले रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मंच से और अमेरिका दौरे के दौरान उन्होंने खुद को इस्लामिक नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की. लेकिन इमरान खान का ये दांव भी उन उल्टा पड़ा. इमरान की इस कोशिश से सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने बीच रास्ते से अपना प्राइवेट जेट वापस बुलवा लिया.