मातृभूमि: दो साल में रेलवे ट्रैक पार करते वक्त 50 हजार लोगों ने गंवाई है अपनी जान
एबीपी न्यूज़ के खास कार्यक्रम 'मातृभूमि' में हमने एक सीरीज शुरू की है जिसका नाम है ''देश का नाम बदनाम ना करो''. इस सीरीज में हम देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए बने नियमों को तोड़ने वालों से सवाल करते हैं.
नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के खास कार्यक्रम 'मातृभूमि' में हमने एक सीरीज शुरू की है जिसका नाम है ''देश का नाम बदनाम ना करो''. इस सीरीज में हम देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए बने नियमों को तोड़ने वालों से सवाल करते हैं. आज हम रेलवे ट्रैक को क्रॉस करने वालों से सवाल पूछ रहे हैं और नियम तोड़ने वाले कोई और नहीं बल्कि रेलवे कर्मचारी हैं.
एबीपी न्यूज की टीम भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर मौजूद थी. हमारे कैमरे में रेलवे ट्रैक पर चहलकदमी करते हुए लोग कैद हो रहे थे. इसी दौरान तेज कदमों से एक युवा रेलवे ट्रैक को पार करते हुए प्लेटफॉर्म तक आते हुए दिखाई दिए. हम भी उतनी ही तेजी से उनकी तरफ बढ़े ताकि पूछ सकें कि आप रेलवे ट्रैक को सड़क समझकर क्यों चल रहे हैं.
उन्होंने बताया कि वो रेलवे कर्मचारी हैं. कैमरे पर साफ दिखा कि वो नियम तोड़ रहे हैं. कैमरे पर शान से कह रहे हैं कि रेलवे कर्मचारी हैं और सवाल पूछो तो गलती मानने की बजाय गलत रवैया दिखा रहे हैं.
देश का कानून कहता है कि रेलवे ट्रैक को इस तरह पार करना गैरकानूनी है. रेलवे ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में ऐसे बोर्ड लगा रखे हैं जिसमें साफ-साफ लिखा है कि ट्रैक पर चलना अपराध है.
इस अपराध के लिए 6 महीने की सजा तक हो सकती है. आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2017 के बीच यानि 2 साल में रेलवे ट्रैक पार करते समय ट्रेन दुर्घटना में 50 हजार लोगों की मौत हो गई. यानि हर रोज करीब 70 लोगों की मौत.
लेकिन रेलवे ट्रैक पार करना अपनी आदत बना चुके लोगों से सवाल करो तो वो जवाब देना भी जरूरी नहीं समझते. एक और ऑन ड्यूटी रेलवे स्टाफ ऐसा करते मिले. और जवाब ऐसे दिया को मानो जैसे रेलवे में नौकरी करते हैं तो ट्रैक पर चलने का इन्हें सर्टिफिकेट मिला हुआ है.
भोपाल के बाद उज्जैन में भी दिखा कि रेलवे कर्मचारी रेलवे के ही नियमों को तोड़ने में पीछे नहीं हैं. लोको पायलट भी नियम तोड़ते दिखाई दिए.
इस कार्यक्रम को देखने वाले दर्शकों से विनम्र निवेदन है नागरिकों की सुरक्षा के लिए बने नियमों का पालन कीजिए और देश का नाम बदनाम मत कीजिए.