ऑपरेशन फंफूद: abp न्यूज़ के स्टिंग का बड़ा असर, ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले तीन दिन में गिरफ्तार
इन सभी ने अपना अपराध कबूल कर लिया और खुलासा किया कि उन्होंने धोखाधड़ी को अंजाम दिया क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनके पास पैसे की कमी थी. इन तीनों के खिलाफ कोई पिछला क्रिमिनल रिकॉर्ड दर्ज नहीं है.
नई दिल्ली: दक्षिण पूर्व जिले के सरिता विहार पुलिस स्टेशन के स्टाफ ने ब्लैक फंगस के इंजेक्शनों की कालाबाजारी करने वाले तीन आरोपियों रफी, मोहम्मद दिलशाद और मोहम्मद अदनान को गिरफ्तार किया है. इनकी गिरफ्तारी के साथ ही इनके पास से वारदात में इस्तेमाल किया गया एक मोबाइल फोन बरामद किया गया है. ब्लैक फंगस महामारी के इलाज में उपयोग की जाने वाली दवाओं और इंजेक्शन की कालाबाजारी के संबंध में अपराधों की बढ़ती दर को ध्यान में रखते हुए, एबीपी न्यूज ने एक स्टिंग ऑपरेशन फफूंद किया था.
22 मई को एबीपी की सुपर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट "सनसनी" और "ऑपरेशन फफूंद" कार्यक्रमों में प्रसारित की गई थी. एक व्यक्ति ने अपना नाम रफी के रूप में दिया और दावा किया कि वह सेवा फाउंडेशन के लिए काम करता है. कथित व्यक्ति रफी ने स्टिंग के दौरान इस बात को कबूला था कि इन दवाओं की कालाबाजारी की जा रही है. पुलिस ने भी इन बयानों को नोट किया है और कंप्लेन में दर्ज किया है.
दिल्ली पुलिस ने एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के प्रसारण के तुरंत बाद, अपराध का खुद संज्ञान लिया और पुलिस स्टेशन सरिता विहार के कर्मचारियों द्वारा कानूनी कार्रवाई शुरू की गई. पुलिस ने 216/2021 धारा 384/420/511/188/34 आईपीसी और 3 महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है और जांच की गई है.
आरोपी रफी शाहीन बाग, दिल्ली का निवासी है जिसकी उम्र 35 वर्ष है जिसे उसके घर से गिरफ्तार किया गया. इस व्यक्ति ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और नोएडा की एक निजी कंपनी में काम भी करता था. दूसरा आरोपी मोहम्मद दिलशाद भी शाहीन बाग, दिल्ली का निवासी है जिसकी उम्र 48 वर्ष है और उसे भी घर से गिरफ्तार किया गया. इसने 8वीं तक की पढ़ाई की है और वह लकड़ी के फर्श कारीगर के रूप में काम करता है.
इसके अलावा आरोपी मो. दिलशाद के कहने पर तीसरे आरोपी व्यक्ति मोहम्मद अदनान जिसकी उम्र 32 वर्ष है को डिलाइट सिनेमा से गिरफ्तार किया गया. इस व्यक्ति ने 12वीं तक पढ़ाई की है और दवाओं की एक डीसी कंपनी में काम करता है. जल्दी पैसे कमाने की जिद्द में इसने अपराध में हिस्सेदारी की.
लगातार पूछताछ करने पर आरोपी मोहम्मद रफी ने खुलासा किया कि उसने देहरादून से इंजीनियरिंग की है और फिलहाल नोएडा में एक निजी कंपनी में काम करता है. उसने खुलासा किया कि वह एक एनजीओ सेवा फाउंडेशन, शाहीन बाग, दिल्ली में स्वयंसेवक था और कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान, एनजीओ ऑक्सीजन सिलेंडरों को फ्री में भरता था.
उनका मोबाइल नंबर लोगों के बीच प्रसारित किया जाता है. जब ऑक्सीजन की मांग खत्म हो गई, तो उसने अपने दोस्त दिलशाद के साथ मिलकर म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन उपलब्ध कराने के बहाने लोगों को ठगने का प्लान बनाया. इसके अलावा, मोहम्मद दिलशाद का चचेरे भाई मोहम्मद अदनान, जो एक दवा एजेंसी में काम करता था, को भी धोखाधड़ी की इस साजिश में शामिल किया गया था. इन सभी ने अपना अपराध कबूल कर लिया और खुलासा किया कि उन्होंने धोखाधड़ी को अंजाम दिया क्योंकि लॉकडाउन के कारण उनके पास पैसे की कमी थी. इन तीनों के खिलाफ कोई पिछला क्रिमिनल रिकॉर्ड दर्ज नहीं है.
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