सोशल मीडिया का असली सच: ABP न्यूज़ का ये स्टिंग ऑपरेशन आपकी आंखे खोल देगा
पिछले दिनों कई ऐसी खबरें सामने आईं जिनमें सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़े और बोट्स के इस्तेमाल की बातें की गईं. इसके बाद ही ABP न्यूज़ ने पड़ताल शुरु की और अब हुआ है ऐसा बड़ा खुलासा जिसे जानने के बाद आप भी हैरत में पड़ जाएंगे.
नई दिल्ली: आज राजनीति सोशल मीडिया पर काफी हद तक निर्भर हो गई है. नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी तक और अखिलेश यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक अपने समर्थकों के साथ संवाद के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं. पिछले दिनों कई ऐसी खबरें सामने आईं जिनमें सोशल मीडिया पर फर्जीवाड़े और बोट्स के इस्तेमाल की बातें की गईं. इसके बाद ही ABP न्यूज़ ने पड़ताल शुरु की और अब हुआ है ऐसा बड़ा खुलासा जिसे जानने के बाद आप भी हैरत में पड़ जाएंगे.
ऑपरेशन हैशटैग सुरेंद्रनगर से कल्पेश जैन
आपने चुनावी रैलियों में भाड़े की भीड़ बुलाकर रैली को सुपरहिट बताने वाले नेताओं को कई बार देखा सुना होगा. आज के सोशल मीडिया युग में कोई भी नेता, मंत्री, विधायक, या शख्सियत कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा अब इस बात से लगाया जाता है कि ट्विटर पर उसके कितने हजार या कितने लाख फॉलोवर्स हैं. उसके फेसबुक पेज को कितने हजार लोग लाइक करते हैं. देश में नेताओं के फॉलोवर्स की संख्या और उनके ट्वीट को कितने रीट्वीट मिल गए, ये सबकुछ अब सुर्खियां बन जाता है.
देश में 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया, जहां किसी का ट्वीट सीधे बयान, किसी का रिट्वीट विवाद की वजह और किसी के फॉलोवर्स की संख्या सुर्खियां बनने लगी. हाल के दिनों में आपने गौर किया होगा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोशल मीडिया में बहुत तेजी से एक्टिव हुए हैं. इसी दौरान ये आरोप सामने आया कि राहुल गांधी के ट्वीट्स को रिट्वीट करने वाले दरअसल असली नहीं बल्कि फर्जी ट्विटर अकाउंट हैं. हांलाकि कांग्रेस की तरफ से इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया, लेकिन हमारे मन में एक सवाल उठा कि क्या वाकई सोशल मीडिया पर ट्वीट, रीट्वीट, लाइक, और कभी भी कुछ भी विषय, या चर्चा ट्रेंड करा देने के पीछे कोई फर्जीवाड़ा छिपा है?
लेकिन क्या जो दिखता है वो हकीकत है? या फिर सोशल मीडिया में पॉपुलेरिटी, प्रसिद्धि, जनसमर्थन को रुपयों के दम पर खरीदा जाता है? ABP न्यूज़ संवाददाता मनोज कुमार ओझा ने इसी सच को आपके सामने लाने के लिए एक स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया.
स्टिंग ऑपरेशन
16 नवंबर 2017, रात 10 बजकर 8 मिनट, अचानक सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा #surendranagarsekalpeshjain यानि 16 नवंबर की रात 10 बजे अचानक देश में कई ट्विटर अकाउंट सुरेंद्रनगर से कल्पेश जैन लिखकर अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट करने लगे थे.
दरअसल ABP न्यूज़ ने अपने स्टिंग ऑपरेशन के लिए कल्पेश जैन नाम का एक ऐसा किरदार गढ़ा, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. ABP न्यूज़ संवाददाता मनोज कुमार ओझा ने सोशल मीडिया का सच दिखाने के लिए एक काल्पनिक किरदार खड़ा किया कल्पेश जैन. और फिर कल्पेश जैन नाम के किरदार की कहानी साथ रिपोर्टर मनोज कुमार ओझा जयपुर में DN राइज नाम की एक कंपनी के कर्मचारियों से मिलने पहुंचे. DN राइज नाम की कंपनी का दावा है कि वो देश के बड़े बड़े नेताओं का सोशल मीडिया अकाउंट संभालती है.
हम ये जानना चाहते थे कि क्या ये कंपनी हमारे ही बनाए गए काल्पनिक नेता कल्पेश जैन को गुजरात के सुरेंद्र नगर से विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुपरहिट कर सकती है. और थोड़ी ही देर में उस काल्पनिक किरदार को चुनाव में मदद पहुंचाने के नाम पर सोशल मीडिया में फर्जी फॉलोवर्स की फौज खड़ी करने का भरोसा जयपुर की कंपनी के लोग हमें दे रहे थे.
सोशल मीडिया में ऐसे मिलते हैं फॉलोअर्स और प्रसिद्धि
क्या नेताओं के लिए सोशल मीडिया में किराए के फॉलोवर और दूसरी चीजें खड़ी की जाती हैं, और फिर उन भाड़े के फॉलोवर्स के दम पर नेताओं की इमेज सोशल मीडिया में चमकाई जाती है. ये जानने के लिए हमने इनसे दोबारा हमारे ही खड़े किए गए हवा हवाई किरदार कल्पेश जैन के लिए सोशल मीडिया में फॉलोवर्स को लेकर बात की. इन लोगों ने बताया कि अकाउंट को पुराना दिखा दिया जाएगा साथ ही अकाउंट पर जितने चाहे उतने फॉलोअर्स भी आसानी से मिल जाएंगे.
इसके बाद हमने जानना चाहा कि क्या पोस्ट को ट्वीट, रिट्वीट, शेयर भी किया जा सकता है. एजेंट ने कहा कि वे जितने चाहे उतने रिट्वीट करा सकता है. मतलब कोई नेता ट्वीट करता है और उस पर हजारों रीट्वीट धड़ाधड़ गिरने लगे तो ये नहीं माना जा सकता कि सारे रीट्वीट करने वाले लोग असली ही हैं. तो क्या देश में फर्जी फॉलोवर और फर्जी फॉलोवर्स के रीट्वीट से प्रसिद्धि पाकर जनता के भरोसे से खिलवाड़ का खेल हो रहा है?
सब पैसे का खेल है
बहुत से सवालों के जवाब हमें मिल चुके थे और अब हमें जानना था कि सोशल मीडिया में किराए के फॉलोवर्स, रिट्वीट का रेट क्या है? क्या पैसे देकर सोशल मीडिया पर कोई भी मुद्दा ट्रेंड कराया जा सकता है? एजेंट ने हमें बताया कि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर 50-50 हजार फॉलोअर्स के लिए वह 75 हजार रुपये लेगा. अब सवाल ये था कि आखिर जिन 50 हजार फर्जी फॉलोवर्स को किसी नेता के एक सोशल मीडिया अकाउंट में जोड़ने का ये 25 हजार रुपए लेते हैं, वो फर्जी फॉलोवर्स का नाम क्या होता है. क्या वो भारतीय नाम के होते हैं या विदेशी?
सोशल मीडिया एजेंट ने हमारे अंडरकवर रिपोर्टर को फर्जीवाड़े की जो रेटलिस्ट बताई वो इस तरह थी- एक अकाउंट पर 50 हजार फर्जी फॉलोवर्स का रेट 25 हजार, और किसी नेता के समर्थन या विरोध में कोई मुद्दा ट्रेंड कराने का रेट 20 हजार रुपए. अंडरकवर रिपोर्टर ने जयपुर के इन एजेंट से एक सौदा किया. सुरेंद्र नगर से कल्पेश जैन नाम के प्रत्याशी का झूठा नाम लेकर 25 हजार रुपए में ट्विटर पर हजारों फॉलोवर्स दिलाने और 16 नवंबर की रात #SurendranagarSeKalpeshJain को ट्रेंड कराने की डील.
14 नवंबर को जयपुर में ही हमारे एक दूसरे अंडरकवर रिपोर्टर ने डील के तय हुए 45 हजार रुपए में से एक किश्त 32 हजार रुपए देने के लिए इन एजेंट को बुलाया और पैसे दिए जिसका स्टिंग भी किया गया. पैसे दिए जा चुके थे. सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि पाने वाले दावों की अब पोल खुलनी बाकी थी. ये जानना बाकी था कि क्या वाकई देश में पैसे देकर कभी भी कुछ भी ट्रेंड कराया जाने लगता है?
अब इंतजार था 16 नवंबर की रात का. इंतजार था कि क्या 45 हजार रुपए के बदले कल्पेश जैन नाम के फर्जी किरदार का नाम #SurendranagarSeKalpeshJain साथ देश में ट्रेंड करने लगेगा ? रात 10 बजे तक कल्पेश जैन के अकाउंट पर 79 हजार से अधिक फॉलोअर्स आ चुके थे और ट्रेंड भी होने लगा था.
सोचने वाली बात
अब आप सोचिए कि अगर कुछ रुपए के बदले #surendranagarsekalpeshjain नाम की फर्जी कहानी ट्रेंड हो सकती है. तो देश में नागरिकों को गुमराह करने के लिए देश के दुश्मन और शरारती लोग इसका दुरुपयोग कर सकते हैं. जैसे आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्तान से भारत में बुरहान के समर्थन में नारे ट्रेंड कराने की कोशिश भी हुई थी. लेकिन दिक्कत की बात ये है कि सोशल मीडिया पर गुमराह करने वाली ऐसे फर्जीवाड़े के खिलाफ कोई सख्त कानून नहीं है. इसीलिए आज ABP न्यूज़ की राय है कि सोशल मीडिया देश में एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बन चुका है. सोशल मीडिया में सामने आने वाले मुद्दों और विचारों से देश की जनता कई बार भ्रमित होती है. ऐसे में देश की जनता को गुमराह होने से बचाने के लिए सख्त दिशा निर्देश के साथ कानून में बदलाव होना चाहिए.