कोंकण: महाराष्ट्र के कोंकण में लगने वाले पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी प्रोजेक्ट की वजह से जहां एक ओर राज्य में सियासी संग्राम मचा है. महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार पर ये आरोप लग रहे हैं कि प्रोजेक्ट की जानकारी वक्त से पहले लीक करके राजनेताओं को फायदा पहुंचाया गया. रत्नागिरी के पास जिस जगह पर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है वहां प्रोजेक्ट की घोषणा से ठीक पहले आश्चर्यजनक ढंग से बडे पैमाने पर जमीन की बिक्री हुई. जमीन खरीदने वाले ज्यादातर लोग इलाके से बाहर के और गैर मराठी हैं.


एमएनएस और शिवसेना ने बीजेपी पर लगाए आरोप
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने आरोप लगाया था कि कोंकण रिफाइनरी के लिये जिस जमीन का अधिग्र्हण किया जाना है उसे महाऱाष्ट्र और केंद्र के सत्ताधारी राजनेताओं ने अपने एजेंटों के जरिये पहले ही खरीद लिया ताकि मुआवजे के तौर पर मोटी कमाई हो सके. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से शिवसेना ने एक कदम आगे बढ सीधे सीधे बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वो गुजरात के भू माफिया के हाथों कोंकण की जमीन खरीदवा रही है.


एबीपी न्यूज़ ने ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की
एबीपी न्यूज़ ने रत्नागिरी गोठीवरे गांव में पिछले सालभर में यहां खरीदी-बेची गई जमीन के कागजात निकाले तो कई चौंकाने वाली जानकारी मिली. पिछले साल 18 मई को सरकार ने यहां की जमीन को एमआईडीसी के लिए आरक्षित घोषित किया. उसके चंद दिनों पहले और बाद से ही यहां जमींन की बेतहाशा खरीद फरोख्त शुरू हो गयी.


एबीपी न्यूज़ के पास पिछले साल मई से इस साल जनवरी तक जो जमीन के सौदे हुए उसकी लिस्ट है. इस लिस्ट में जो बात एक सी है वो है कि ज़मीन खरीदने वाले को स्थानीय लोग नही बल्कि दूसरे शहरों और राज्यो के लोग हैं. लिस्ट में इस गांव के कुल 43 सौदों का जिक्र है जिनमे 33 खरीददार इस दूसरे शहरों या राज्यों से हैं.


बड़ा मुआवजा लेने के लिए हो रहा है सारा खेल!
प्रोजेक्ट की घोषणा के पहले तक यहां प्रति हेक्टर ज़मीद की कीमत तीन लाख रुपये तक थी. चंद साल पहले जब सरकार ने इसी इलाके में जैतापुर नुक्लेअर प्रोजेक्ट के लिए जमीन ली थी तो प्रति हेक्टर 22 लाख तक का मुआवजा दिया था.


पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट के लिए मुआवजे का ऐलान अब तक नहीं हुआ है लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार पहले से भी ज्यादा मुआवजा देगी. जिन किसानों ने अपनी ज़मीन बेची उनका कहना है कि इस बात की उन्हें भनक तक नहीं थी कि यहां पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट आएगा.


बाहरी खरीदारों ने अपनी ज़मीन सरकार को देने की मंजूरी दी
दिलचस्प बात ये है कि जिन बाहरी लोगों ने ज़मीन यहां खरीदी उन्होंने इस साल जनवरी में ज़मीन अधिग्रहण न नोटिस निकलने के तुरंत बाद अपनी ज़मीन सरकार को देने की भी मंजूरी दे दी. गोठिवरे गांव की 2600 एकड़ जमीन प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित होनी है लेकिन उसमें से सिर्फ 560 एकड़ जमीन के मालिकों ने ही ज़मीन दिए जाने को मंजूरी दी है. मंजूरी देनेवालों में 80 फीसदी दूसरे राज्यों के वे निवेशक हैं जिन्होंने प्रोजेक्ट घोषित होने के चंद दिनों पहले ही यहां ज़मीन खरीदी. गोठिवरे की जैसी कहानी उन सभी 17 गांवों की है जिनकी जमीन सरकार प्रोजेक्ट के लिए ले रही है.


किसानों को धोखे में रखकर जमीन बेच दी गई
एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में यहां ज़मीन का सौदा करानेवाले कुछ एजेंट्स की काली करतूतों की भी जानकारी मिली. यहां जो किसान ज्यादा पढ़े लिखे नही हैं धोखे से उनके जमींनके कागजातों पर दस्तखत लेकर या अंगूठा लगवाकर उनकी जमीन बेच दी गयी. बीजेपी सरकार ने यहां के किसानों को प्रोजेक्ट के लिए मनाने की जिम्मेदारी अपने विधायक प्रसाद लाद को सौंपी है. हमने जब जमीन के सौदों को लेकर उनसे सवाल किया तो उनका कहना था कि कुछ भी गलत नही हो रहा है.


ये है पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी प्रोजेक्ट से जुड़ी पूरी जानकारी
दरअसल भारत की 3 बडी तेल कंपनियों इंडियन आईल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने मिलकर रत्नागिरी रिफाईनरीज एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड कंपनी बनाई है. इस कंपनी ने रत्नागिरी जिले की राजापुर तहसील में 15 हजार एकड जमीन देख रही है, जिसपर एशिया की सबसे बडी तेल रिफाइनरी खडी करने का इरादा है. इस रिफाइनरी से सालाना 6 करोड मेट्रिक टन कच्चे तेल की प्रोसेसिंग होगी. इसके लाखों लाखों टन पेट्रोकेमिकल उत्पाद तैयार किये जायेंगे.


कंपनी का दावा है कि इससे महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी में 10 से 15 फीसदी का इजाफा होगा, जबकि भारत की जीडीपी 2 से 3 फीसदी तक बढेगी लेकिन रोजगार से वंचित होने, विस्थापन और पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मुद्दे को लेकर स्थानीय लोग प्रोजेक्ट के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इस विरोध का बीजेपी को छोडकर बाकी सभी सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां समर्थन कर रहीं हैं. ऐसे में प्रोजक्ट शुरू होने से पहले जिस तरह से दूसरे राज्य के लोगों की ओर से जमीन की अंधाधुंध खरीददारी की बात खुली है, उसने आग में घी डालने का काम किया है.