नई दिल्ली: केदारनाथ यात्रा आज से शुरू हो रही है. 15-15 जून 2013 की तबाही के बाद इस धाम का कायाकल्प हुआ है. उत्तराखंड सरकार की लाइफलाइन कही जाने वाली चार धाम यात्रा केदारनाथ के बिना अधूरी है.


15-16 जून 2013 की रात मंदाकिनी नदी के जलप्रलय में केदारनाथ मंदिर के नीचे गौरीकुंड और रामबाड़ा तक सब कुछ तबाह हो गया था. लेंकिन अब ये बीते दिनों की बात है. चार साल में उत्तराखंड सरकार, आईटीबीपी और सेना ने जी-जान लगाकर लगाकर यात्रियों के लिए नया रास्ता तैयार कर दिया है.


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केदारनाथ मंदिर तक पहले गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर पहुंचा जा सकता था. ये रास्ता 2013 के जलप्लय में तबाह हो गया. अब केदारनाथ जाने के लिए दो पैदल रास्ते बना लिए गए हैं. पहला पैदल रास्ता त्रियुगीनारायण से सीधे केदारनाथ मंदिर तक है जो 15 किलोमीटर लंबा है. दूसरा रास्ता चौमासी से रामबाड़ा के दूसरी ओर से होते हुए लिनचोली के पास केदारनाथ पैदल मार्ग से मिल जाता है.


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दोनों रास्ते 2013 के पहले वाले गौरीकुंड-रामबाड़ा-केदारनाथ रास्ते से 2-3 किलोमीटर लंबे है. यानी पहले 16 किलोमीटर पैदल चलकर केदारनाथ पहुंचा जा सकता था, अब बाबा के धाम तक जाने के लिए यात्रियों को पहले के रास्ते के मुकाबले दो किलोमीटर पहले से चढ़ाई शुरू करनी होगी. यानी अब 18-19 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा.


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आने वाले समय में केदारनाथ तक जाने के दो और रास्ते प्रस्तावित हैं. 2013 की त्रासदी की इंजीनियरिंग कोर ने यहां जबर्दस्त काम किया है. बर्फीली पहाड़ियों के बीच हेलिकॉप्टर से बड़े-बड़े बुलडोजर औऱ मशीनें तक उतारी गईं.


2013 की तबाही से बहुत बड़ा सबक लिया गया है. अब आपदा प्रबंधन के ऐसे इंतजाम किए गए हैं कि अगर फिर कभी अनहोनी हुई तो जानमाल का कम से कम नुकसान होगा.