Historian Vikram Sampath: इतिहासकार विक्रम संपत ने शुक्रवार (25 अक्टूबर) को कहा कि एक ग्रुप की ओर से मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के जीवन और पहचान को नायक के रूप में अपनाया जा रहा है, जबकि दूसरा गुट इसे वोट बैंक की राजनीति के टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने औरंगजेब की मजारों पर जाने वालों की आलोचना की.


हैदराबाद में एबीपी सदर्न राइजिंग समिट 2024 में बोलते हुए, इतिहासकार और लेखक ने अपनी नई किताब "टीपू सुल्तान: द सागा ऑफ द मैसूर इंटररेग्नम (1760-1799)" के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने 18वीं सदी के शासक के जीवन और इतिहास के बारे में लिखा है. विक्रम संपत ने कहा, "ऐसे लोग हैं जो औरंगजेब की मजारों पर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं. वह एक तरह का राक्षस था, जिसने कई मंदिरों को नष्ट कर दिया, सिख गुरुओं सहित कई लोगों को मार डाला."


‘टीपू सुल्तान का महिमामंडन करने की जरूरत नहीं’


संपत ने कहा कि मुसलमानों को टीपू सुल्तान का महिमामंडन करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनका इतिहास बलपूर्वक धर्मांतरण और पूजा स्थलों को खत्म करने का रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पहचान का इस्तेमाल किसी समुदाय को निशाना बनाने की चाल के रूप में नहीं किया जाना चाहिए.






‘राजनीतिक दल अपने एजेंडे के लिए करते हैं टीपू सुल्तान का इस्तेमाल’


उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की ओर से अपने पिछले शासनकाल में टीपू सुल्तान जयंती मनाए जाने और बीजेपी की ओर से मतदाताओं के एक वर्ग को लुभाने के लिए शासक के हत्यारों के बारे में तोड़-मरोड़ कर इतिहास पेश किए जाने का भी संदर्भ दिया. पत्रकार कावेरी बामजई के साथ चर्चा के दौरान संपत ने कहा कि विभिन्न गुट "अपने एजेंडे को लागू करने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं."


टीपू सुल्तान जयंती मनाने की आलोचना भी की


उन्होंने जयंती मनाने की आलोचना करते हुए कहा कि अगर इसे निजी तौर पर मनाया जाता तो यह अच्छा होता. उन्होंने आगे कहा, "आज तक जर्मनी में हिटलर जयंती नहीं मनाई जाती है."


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