नई दिल्ली: पाकिस्तान 'फॉल्स-फ्लैग' के नाम पर भारत पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का आरोप लगा रहा है. यहां तक की खुद ही यूएन ऑब्जर्बर की गाड़ियों पर फायरिंग कर आरोप भारतीय सेना पर लगा रहा है. लेकिन हकीकत ये है कि पाकिस्तानी सेना ही एलओसी पर युद्धविराम का उल्लंघन कर रही है और आतंकियों की लगातार घुसपैठ करा रही है.


ऐसे में भारत के सब्र का बांध टूटा तो उसका सैलाब इस्लामाबाद तक को बहाकर ले जा सकता है. आखिर कैसे, इसके लिए एबीपी न्यूज आज आपको एलओसी की उस 'की-डिफेंस लोकेशन' (केडीएल) पर लेकर चलेगा जहां से पीओके महज़ 680 मीटर है और इस्लामाबाद भी उसकी 'जद' में है. सेना की इस पोस्ट पर साफ तौर से लिखा है, 'इस्लामाबाद-वैल विदिन रीच'.


एबीपी न्यूज की टीम जब एलओसी पर मौजूद थी तभी वहां गोलाबारी होने लगी. एबीपी न्यूज की टीम राजौरी, भिंबर गली और बालाकोट (एयर-स्ट्राइक वाला नहीं) सेक्टर में गई, जहां से पाकिस्तान (पीओके) के निकयाल, कोटली और मीरपुर कुछ किलोमीटर की दूरी पर हैं और जहां लश्कर के कम से कम पांच आतंकी कैंप चलते हैं. टेरर लॉन्च पैड्स भी बड़ी तादाद में मौजूद हैं.


आज एबीपी न्यूज की टीम आपको लेकर चलेगी एलओसी पर और बताएगी कि भारतीय सेना के वे कौन-कौन से हथियार हैं, जिनसे पाकिस्तान के बंकर से लेकर चौकियों को तबाह किया जाता है. आज आपको बताएंगे कि एक तरफ भारत एलएसी पर चीन से लोहा ले रहा है तो एलओसी पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. यानि भारतीय सेना टू-फ्रंट वॉर यानि दो मोर्चों पर लड़ने के लिएं पूरी तरह तैयार है.


की-डिफेंस लोकेशन


सबसे पहले आपको लेकर चलते हैं एलओसी के राजौरी सेक्टर की उस 'की-डिफेंस लोकेशन' यानि केडीएल पर जहां हमें वो साइन बोर्ड दिखाई पड़ा था. जहां लिखा था 'इस्लामाबाद:वैल विदिन रीच'. दरअसल, राजौरी के ये वो पोस्ट यानि चौकी है जहां से पीओके यानि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर महज़ 680 मीटर है. पाकिस्तानी सेना का रावलपिंडी स्थित मुख्यालय यहां से करीब 178 किलोमीटर है‌. एबीपी न्यूज ने जब वहां तैनात भारतीय सेना के सीनियर ऑफिसर्स से इस वैल विदिन रीच का मतलब पूछा तो उन्होनें साफतौर से कहा कि वो सैनिकों के जोश को हाई रखने के लिए लिखा गया है‌.


इस केडीएल से पाकिस्तानी सेना की चौकी महज 400 मीटर की दूरी पर थी और पाकिस्तानी पोस्ट पर लगा हुआ झंडा साफ दिखाई पड़ रहा था. करीब छह हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना यहां हाईट्स डोमिनेट करती है, जिसके चलते पाकिस्तानी सेना यहां युद्धविराम का उल्लंघन करने की कोशिश करती है. लेकिन भारतीय चौकी पर लगे बुलेट-प्रूफ शीशों को पाकिस्तानी सेना भेद तक नहीं पाई. हालांकि, ये बुलेट्स लेस शीशे चटक जरूर गए थे, जिसके निशान साफ तौर से दिख रहे थे.



एलओसी पर भारत के हथियार


एमएमजी- पाकिस्तान के युद्धविराम का उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना एके47 से लेकर एमएमजी यानि मीडियम मशीनगन (एमएमजी) इस्तेमाल करती है. करीब ढाई किलोमीटर रेंज वाली ये एमएमजी एक बार में 250 राउंड फायर कर सकती है.


कर्ल-गुस्तोव- इसके अलावा इजरायली कर्ल-गुस्तोव रॉकेट लॉन्चर्स तक इस्तेमाल किए जाते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना के पैरा-एसएफ कमांडोज़ इन कर्ल-गुस्तोव के जरिए ही पीओके में सक्रिय टेरर लॉन्च पैड्स को तबाह करने के लिए गई थी.


एटीजीएम मिसाइल- इन दिनों भारतीय सेना एक और हथियार का सबसे ज्यादा इस्तेमाल एलओसी पर पाकिस्तान के खिलाफ कर रही है और वो है रूसी कोनकॉर एटीजीएम यानी एंटी टैंक गाईडे्ड मिसाइल (एटीजीएम). 4-5 किलोमर की रेंज वाली इस गाईडेंड प्रेसियन मिसाइल का इस्तेमाल दुश्मम के बंकर को तबाह करने के लिए किया जा रहा है. इस एटीजीएम को सेना का वो सैनिक चलता है जिसे 'पायलट' के नाम से जाना जाता है. पायलट की मदद करने के लिए एक दूसरा सैनिक भी होता है, जो फायर के बाद एटीजीएम की बैरल तुरंत बदलने में मदद करता है. एटीजीएम, एक लेजर गाईडडेड मिसाइल है जिसकी ऑपटिकल रोप को 'पायलट' ही कंट्रोल करता है. 13 नबम्बर को भारतीय सेना ने एटीजीएम के जरिए ही बड़ी तादाद में पाकिस्तानी सेना के बंकर्स और टेरर लॉन्च पैड्स तबाब किए थे.


मोर्टार- भारतीय सेना के इंफेंट्री बटालियन इन हथियारों के अलावा 81 एममए मोर्टार का इस्तेमाल भी पाकिस्तान के सीजफायर उल्लंघन का जवाब देने के लिए इस्तेमाल करती हैं, जिसकी रेंज करीब पांच किलोमीटर होती है. इसके अलावा आर्टलरी यानि तोपखाना भी इंफेंट्री की मदद के लिए हमेशा तैनात रहता है, जिनमें 105 एमएम, 120 एमएम और बोफोर्स तोप शामिल होती हैं.


पाकिस्तान के आतंकी कैंप वाला निकयाल सेक्टर


राजौरी की केडीएल पोस्ट के बाद एबीपी न्यूज की टीम पहुंची भिंबर-गली की एक पोस्ट पर जो 07 हजार फीट की उंचाई पर सबसे उंची पोस्ट है. यहां से पीओके का निकयाल इलाका महज 13 किलोमीटर की दूरी पर है. निकयाल में ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई की संरक्षण में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के कम से कम पांच (05) ट्रेनिंग कैंप चलते हैं. यहां से ट्रैनिंग लेने वाले आतंकी भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा संचलित टेरर लॉन्च पैड्स पर इकठ्ठा होते हैं. ये आतंकी अगर घुसपैठ नहीं कर पाते हैं तो पाकिस्तानी कमांडोज़ के साथ मिलकर भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमला करते हैं. एक ऐसी ही घटना इसी महीने की 1 तारीख को हुई जिसमें भारत के एक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए. लेकिन जवाबी कारवाई में भारतीय सैनिकों ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया. यही वजह है कि भारतीय सैनिक यहां दूर दूर तक फैली पहाड़ियों और जंगलों में बेहद ही सावधानी और खास टेक्निकल पोजिशन में पैट्रोलिंग करते हैं.




सेना की तीसरी आंख वाला सर्विलांस रूम


सैकड़ों वर्ग किलोमटर में फैली एलओसी पर सैनिक हाथ में हाथ डालकर नहीं खड़े हो सकते हैं. सैनिकों की मदद के लिए टेक्नीकल सर्विलांस भी बेहद जरूरत है. इसके लिए भारतीय सेना ने इस पूरे इलाके में खास इजरायली कैमरे और पीटीजेड कैमरे लगा रखे हैं. ये कैमरे आतंकियों और बैट टीम पर नजर रखते हैं. जैसे ही 'तीसरी आंख' कोई भी हरकत रिकॉर्ड करती है, सर्विलांस रूम से तुरंत जानकारी ग्राउंड पर मौजूद सैनिकों को दे दी जाती है और उस खतरे को न्यूट्रिलाइज़ कर दिया जाता है.


स्नाईपर फायरिंग का खतरा


अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला पाकिस्तान भारतीय‌ सैनिकों को स्नाईपर फायरिंग से निशाना बनाता है. एक ऐसा ही संवेदनशील पोस्ट पर एलओसी फैंस यानि कटीली तार के पास जब एबीपी न्यूज की टीम पहुंची तो भारतीय सैनिकों ने तुरंत हमें वहां से हट जाने के लिए कहा. क्योंकि हम पाकिस्तान की स्नाईपर फायरिंग रेंज में थे.



एबीपी न्यूज की टीम की मौजूदगी में युद्धविराम का उल्लंघन


भिंबर गली में रिपोर्टिंग के वक्त अचानक वहां गोलाबारी की आवाज सुनाई देनी लगी. हमें बताया गया कि पाकिस्तान की तरफ से युद्धविराम का उल्लंघन शुरू हो गया है जो अब यहां की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है. गोलाबारी शुरू होते ही हमें सेना ने वहां से सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दिया.


भारतीय वायु‌सेना ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को बालाकोट में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर एयर-स्ट्राइक की थी. ये बालाकोट पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनखवां प्रांत में है. लेकिन एलओसी के राजौरी सेक्टर में भी एक बालाकोट है जो एलओसी फैंस के आगे वाला इलाका है. यहां भारत के कई गांव है जहां पाकिस्तान आए दिन रिहायशी इलाकों पर फायरिंग और गोलाबारा करता रहता है. इसका कारण ये है कि इस‌ इलाके के लोगों ने 1948 के युद्ध में पाकिस्तान का साथ नहीं दिया था.


भारतीय चौकी पर लहराता तिरंगा


चौकी पर लहराते तिरंगे के बारे में कहा जाता है कि ये हवा से नहीं बल्कि यहां तैनात सैनिकों के ‌सांसों से लहराता है.