पश्चिम बंगाल में इस बार का चुनावी मुकाबला जितना कड़ा है उतना ही रोमांचक भी होता जा रहा है. यही वजह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं. तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पूरे दमखम के साथ उतरीं ममता बनर्जी की टीएमसी ने जहां खेला होवे का नारा देकर बीजेपी को ललकारा तो वहीं दूसरी तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ 3 सीटों पर सिमट कर रह जाने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तरकश में इस बार कई चुनावी तीर है.


आईएसएफ ने सियासी गणित को बिगाड़ा


इन सबके बीच, वाम-कांग्रेस गठबंधन के साथ आए अब्बास सिद्दिकी के इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISFF) ने पूरे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर रख दिया है. ऐसे में जहां ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी को मुस्लिम वोटों के बंटने का खतरा सता रहा है तो वहीं दूसरी तरफ लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के वोटरों को अपनी ओर खींचने में लगी बीजेपी को इस बात का खौफ है कि अगर वाम गठबंधन के वोट नहीं बंटे तो फिर वे कैसे ममता का किला ढहाने में कामयाब हो पाएगी.


एबीपी सीएनएक्स का क्या कहता है सर्वे


एबीपी न्यूज सीएनएक्स सर्वे में जब यह सवाल किया गया कि अब्बास सिद्दिकी का आईएसएफ क्या टीएमसी के अल्पसंख्यक वोट बैंक को बांटेगा? 47 फीसदी लोगों ने इसका जवाब हां में दिया. 36 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं होगा, तो वहीं 17 फीसदी लोगों ने कहा कि उनका इस बारे में कोई मत नहीं है.


ABP न्यूज के लिए हुए CNX सर्वे में सवाल हुआ कि अब्बास सिद्दीकी का ISF क्या टीएमसी के अल्पसंख्यक वोट बैंक को बांटेगा?


47 फीसदी लोगों ने सवाल का जवाब हां में दिया है


36 फीसदी लोगों ने कहा है ऐसा नहीं होगा


जबकि 17 फीसदी लोगों ने कोई मत नहीं दिया


 


इसके बाद जब अगला सवाल सिर्फ अल्पसंख्यकों से ये किया गया कि धार्मिक पहचान या फिर मुद्दे... अल्पसंख्यक इनमें से किस आधार पर वोट करेंगे? इसके जवाब में 54 फीसदी लोगों ने कहा कि वे मुद्दों के आधार पर वोट करेंगे. जबकि 42 फीसदी ने कहा कि वो धार्मिक पहचान पर वोट करेंगे तो सिर्फ 4 फीसदी ने कहा कि उनकी इस बारे में कोई राय नहीं है.


सर्वे में सिर्फ अल्पसंख्यकों से सवाल हुआ कि धार्मिक पहचान या फिर मुद्दे.. अल्पसंख्यक इनमें से किस आधार पर वोट करेंगे ?


54 फीसदी ने कहा है कि वो मुद्दों पर वोट करेंगे


42 फीसदी ने कहा है कि वो धार्मिक पहचान पर वोट करेंगे


जबकि 4 फीसदी ने कोई राय नहीं दी