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सवाल- मोदी के खिलाफ कौनसे विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं (मोहम्मद अकरम, लखनऊ) (राजकुमार)


जवाब- कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद विपक्ष में एक नया उत्साह पैदा हुआ है और 2019 में पूरी ताकत के साथ बीजेपी का मुकाबला करने की उम्मीद बंधी है। कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की अगुवाई में बनी नई सरकार के मुखिया कुमारस्वामी के शपथग्रहण में 11 विपक्षी नेता मंच पर साथ मौजूद थे।


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (जिन्होंने हाल ही में बीजेपी के साथ नाता तोड़ा है), यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती, लेफ्ट से सीताराम येचुरी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, आरजेडी के तेजस्वी यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, डीएमके नेता एमके स्टालिन, आरएलडी प्रमुख अजित सिंह जैसे 11 विपक्षी नेताओं ने 2019 में अकेले मोदी को काउंटर करने के लिए हुंकार भरी। हालांकि 2019 तक इनमें से कितने दल साथ रह पाएंगे, फिलहाल कहना मुश्किल है।



सवाल- क्या ये सभी दल सचमुच देश हित के लिए साथ आए हैं या सिर्फ मोदी को हराना ही इनका मकसद है। ऐसी कौनसी मजबूरी है कि आज सारे दुश्मन दोस्त बन गए? (सुमन झा, गाजियाबाद)


जवाब- विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार हर मोर्चे पर फेल रही है। मोदी राज में बेरोजगारी पहले से बढ़ी है, जीएसटी से छोटे कारोबारी परेशान हैं, नोटबंदी से व्यापार बंद हुए हैं, देश के किसान परेशान हैं, आत्महत्या कर रहे हैं, महिला अपराध कम नहीं हुए, सीमा पर जवान मर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि बुनियादी समस्याओं को हल करने की बजाय सरकार सिर्फ हिंदु-मुस्लिम की राजनीति कर रही है, अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। अपनी इसी बात को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस सहित विपक्षी दल मोदी सरकार के 4 साल पूरे को विश्वासघात दिवस के रूप में मना रहे हैं। मोदी के नाम पर दलों का  भेद खत्म करके कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, लेफ्ट के नेता साथ तो आ गए हैं लेकिन देखना होगा कि 2019 तक क्या ये महागठबंधन इसी मजबूती के साथ मोदी के खिलाफ डटा रहेगा या फिर बिखर जाएगा


सवाल- विपक्ष का नेता कौन होगा? क्या राहुल गांधी होंगे प्रधानमंत्री पद के दावेदार?  (राज अग्रवाल, इलाहाबाद) (तारकेश्वर तिवारी , गोपालगंज) (फरीद मंसूरी, बूंदी) (सचिन जायसवाल, जौनपुर) (अनीस खान, अमरोहा) (कृष्ण भंडारी, मथुरा) (अमन, वाराणसी) (आशीष तिवारी)


जवाब- कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि अगर मौका मिला तो वे प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन कर्नाटक के चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए। कहा जा रहा है कि कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए जेडीएस को समर्थन के बाद भी विपक्षी दलों के बीच राहुल गांधी का कद बढ़ा नहीं है बल्कि अभी भी उन्हें केंद्रीय राजनीति के लिए अपरिपक्व नेता ही माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी को पार्टी विपक्ष के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है लेकिन विपक्ष इस पर मुहर लगाता नहीं दिख रहा। कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को ममता बनर्जी ने बधाई दी लेकिन बधाई वाले ट्वीट में राहुल गांधी का कोई जिक्र नहीं किया। अखिलेश और चंद्रबाबू नायडू ने भी बधाई वाले संदेशों में राहुल का नाम नहीं लिया। कांग्रेस के लिए राहुल ही महागठबंधन के नेता हैं लेकिन क्षेत्रीय दल उन्हें तवज्जो देते नहीं दिख रहे। तो इसमें फिलहाल संशय है कि लोकसभा चुनाव नतीजों से पहले विपक्षी दल सर्वसम्मति से राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार स्वीकार करेंगे


सवाल- क्या विपक्षी दल डरकर एकजुट हो रहे हैं। (बिस्वजीत मोहांती, पुरी)


जवाब- कर्नाटक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ज्यादातर जो नेता मंच पर साथ दिखे वो क्षेत्रीय दलों की नुमाइंदगी करने वाले थे या क्षेत्रीय दलों से जुड़े थे। अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी, मायावती बहुजन समाज पार्टी, ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू तेलगूदेशम पार्टी के मुखिया हैं। यूपी में पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के सामने स्थिति फिलहाल ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ वाली आ गई है। लिहाजा 2019 के लिए बीजेपी के खिलाफ ये दल एकजुट हो गए हैं। उधर, पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में इस बार बीजेपी दूसरे नंबर पर आई है, ये बात ममता बनर्जी की चिंता जरूर बढ़ा रही होगी।


सवाल-  क्या 2019 तक विपक्ष एक जुट रह भी पायेगा(चंदन)


अब तक विपक्षी मोर्चे के एकजुट होने का तरीका ये था कि कांग्रेस बीच में हो और बाकी पार्टियां उसके इर्द गिर्द जुट जाएं लेकिन अब ऐसा होना मुश्किल लग रहा है। अब फॉर्मूला ये हो सकता है कि जो पार्टी जहां मज़बूत है वो वहां की प्रमुख पार्टी मानी जाएगी और ये दल कांग्रेस को साथ लेकर गठबंधन बनाएं। हालांकि छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में है इसलिए हो सकता है कि वहां गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस के हाथ में रहे और बाकी दलों को सीट बंटवारे में जगह मिले। रही बात 2019 के लोकसभा चुनाव की तो वो इन तीनों राज्यों के चुनाव नतीजों पर निर्भर होगा। महागठबंधन की असली शक्ल छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव नतीजों के बाद ही उभरकर सामने आ सकती है।


सवाल- 2019 को लेकर विपक्ष एकजुट हो रहा है आप ये बताइये की UPA और NDA दोनों के अंदर कितने दल शामिल हैं? (पुनीत मौर्या)


जवाब- NDA- बीजेपी, शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, लोकजनशक्ति पार्टी, अपना दल, नगा पीपल्स फ्रंट, आरपीआई (A), बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट, जम्मू कश्मीर पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, पीएमके


UPA- कांग्रेस, डीएमके, इंडियन मुस्लिम लीग यूनियन, जनता दल (सेक्यूलर), केरला कांग्रेस (एम)


आरजेडी, नेशनल कॉन्फ्रेंस


सवाल-  क्या 2019 में मोदी  की सरकार बनने देगे विपक्षी दल के नेता (रजनीश कुमार राज) (धर्मेंद्र भारती)


जवाब- विपक्षी दलों का कहना है कि 2019 में उन्हें नहीं मोदी जी को परीक्षा देनी है, उनसे हिसाब पूछा जाएगा कि क्या किया, क्या महंगाई कम हुई, रोजगार सबको दिया, महिलाएं सुरक्षित हुईं, पाकिस्तान को पटखनी दी, आतंकवाद खत्म हुआ। विपक्षी दलों के मुताबिक 2019 का चुनाव मोदी के ही इर्द-गिर्द लड़ा जाएगा, ये तय है। और लोग उन्हें हराने के लिए निकलेंगे, ऐसा देश की मौजूदा परिस्थितियों को देखकर लग रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि 1977 में लोग इंदिरा गांधी को हराने के लिए निकले थे, राजनारायण ने इंदिरा को हरा दिया। 1980 में लोग जनता पार्टी को हराने के लिए निकले, जनता पार्टी को मिट्टी में मिला दिया। गुस्से में उसी इंदिरा को ले आए जिन्हें पहले हराया था। फिलहाल विपक्ष को लग यही रहा है कि 2019 में मोदी से निराश जनता महागठबंधन को सत्ता तक पहुंचा सकती है।