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सवाल- बैंक कर्मचारियों की हड़ताल की वजह क्या है?


(आदित्य दुबे, भिवाड़ी; इंद्र सिंह, प.बंगाल; रामजनम मौर्य, मऊ; विष्णु चौधरी, गुवाहाटी; संजीव अरोड़ा, बैंकॉक, थाईलैंड;)


जवाब- बैंक कर्मचारियों की ये हड़ताल वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर हुई है. भारतीय बैंक संघ ने बैंक कर्मचारियों के वेतन में सिर्फ 2 फीसदी की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है, जिससे बैंक कर्मचारी बेहद नाराज हैं. बैंक कर्मचारी और अधिकारी वेतन में 15% बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. हड़ताल पर बैठे बैंक कर्मचारियों का आरोप है कि बढ़ती महंगाई के बीच सिर्फ 2 फीसदी की वेतनवृद्धि उनके साथ क्रूर मजाक है.


सवाल- बैंक कर्मचारियों की हड़ताल कब से कब तक है?


(संजय कुमार, ग्रेटर नोएडा)


जवाब- देश के 10 लाख बैंक कर्मचारी 30 और 31 मई को हड़ताल पर हैं. हड़ताल का असर देश भर की 85 हजार बैंक शाखाओं पर पड़ा. ये हड़ताल यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले की गई, जिसमें 9 अलग-अलग बैंक कर्मचारी यूनियन्स शामिल हैं. इनमें 21 सरकारी बैंकों, 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, पुरानी जेनरेशन के 13 प्राइवेट बैंकों और 6 विदेशी बैंकों के कर्मचारी शामिल हुए हैं. एक अनुमान के मुताबिक हड़ताल में शामिल बैंकों की देश के कुल रिटेल बैंकिंग बिजनेस में करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है.


सवाल- इस हड़ताल से देश को कितना नुकसान होगा?


(कुंदन कुमार पांडेय, सहरसा; देवेंद्र बघेल, धार, एमपी)


जवाब- उद्योग संगठन एसोचैम (Assocham) के मुताबिक 10 लाख बैंक कर्मचारियों की दो दिन की हड़ताल के कारण करीब 20 हजार करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन पर असर पड़ने का अनुमान है. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि हड़ताल के कारण देश भर की 85 हजार बैंक शाखाओं में चेक क्लियरेंस, कैश निकालने और जमा करने जैसे काम प्रभावित हुए हैं. इस हड़ताल का असर बैंक शाखाओं और एटीएम के अलावा नेट बैंकिंग, RTGS और NEFT सेवाओं पर भी पड़ा है. महीने के आखिरी दो दिनों में हड़ताल होने के कारण तमाम लोगों के वेतन-भत्तों के भुगतान पर भी काफी असर पड़ने के आसार हैं.


सवाल- बैंक कर्मचारियों की ये हड़ताल कितनी जायज है?


(बरुंजय कुमार, धनबाद)


जवाब- किसी भी हड़ताल से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है और आम लोगों को परेशानी भी होती है. लेकिन हड़ताल करने वालों के पास भी अपनी दिक्कतों और मजबूरियों से जुड़ी कई दलीलें होती हैं. बैंकों की इस हड़ताल में शामिल कर्मचारियों के भी अपने तर्क हैं. इन बैंक कर्मचारियों का कहना है कि साल 2012 में 5 साल के लिए हुई पिछली वेतनवृद्धि के समय उनके वेतन 15% बढ़ाए गए थे. ये वेतनवृद्धि 1 नवंबर 2012 से 31 अक्टूबर 2017 तक के लिए थी. उसके बाद से बैंक कर्मचारियों की वेतनवृद्धि बकाया है और अब इतने दिनों बाद वेतनवृद्धि की सिफारिश हुई भी है, तो महज 2 फीसदी. हड़ताली बैंक कर्मचारियों का कहना है कि इतनी कम वेतनवृद्धि की सिफारिश उनके साथ बड़ी नाइंसाफी है. नाराज बैंक कर्मचारियों की शिकायत ये भी है कि सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मुकाबले उनके वेतनमान बहुत ही कम रह गए हैं. जबकि नोटबंदी, जनधन खाते खुलवाने, मुद्रा योजना को लागू करने से लेकर तमाम सरकारी विकास योजनाओं को लागू करने के लिए वो दिन-रात काम करते हैं.