#ABPengage: दिल्ली-एनसीआर में धूल भरी हवा पर दर्शकों के सवालों के जवाब
दर्शकों और पाठकों से जुड़ने के लिए एबीपी न्यूज ने एक नई पहल की है. दिन की ताजा खबर पर दर्शक के मन में कोई सवाल है तो वो अब सीधे हमसे पूछ सकते हैं.
नई दिल्ली: दर्शकों और पाठकों से जुड़ने के लिए एबीपी न्यूज ने एक नई पहल की है. दिन की ताजा खबर पर दर्शक के मन में कोई सवाल है तो वो अब सीधे हमसे पूछ सकते हैं. एबीपी न्यूज की टीम दर्शकों के हर सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेगी.
सवाल- दिल्ली-एनसीआर की हवा में ये धूल कहां से आई, इसके क्या कारण हैं ? (धीरेंद्र यादव, प्रतापगढ़, आलोक कश्यप, गोंडा, रामप्रसाद यादव, हजारीबाग, अयूब खिलजी, जोधपुर, कमलकांत देशमुख, दुर्ग)
जवाब- जानकारों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में धूल भरी हवा की मुख्य वजह राजस्थान से आने वाली धूल भरी आंधी है. जिससे दिल्ली-एनसीआर में धूल के कण जमीन में कुछ ऊंचाई पर जमा हो गए हैं. राजस्थान में धूल भरी आंधियां तो पहले भी चलती थीं, लेकिन 692 किलोमीटर इलाके में फैले अरावली के पहाड़ और उन पर मौजूद जंगल इस धूल को दिल्ली की तरफ आने से रोक लेते थे. लेकिन अरावली में अंधाधुंध खनन और पेड़ों की कटाई ने उन जंगलों को खत्म कर दिया. आंकड़े बताते हैं कि अरावली का 40 फीसदी हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. यही वजह है कि आज दिल्ली-एनसीआर की हवा में रेगिस्तान की तरह धूल भर गई है. यानी अरावली की जो पहाड़ियां दिल्ली-एनसीआर का फेफड़ा मानी जाती हैं, वो फेफड़ा अब कमजोर हो गया है. यही वजह है कि दिल्ली-एनसीआर की सांस फूल रही है. अरावली के इस महत्व को समझते हुए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने साल 1992 में ही अधिसूचना जारी करके अरावली में पेड़ों की कटाई, खनन और निर्माण पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन अवैध रूप से पेड़ काटना, खनन और निर्माण अब भी जारी है. दिल्ली-एनसीआर के लोगों का सांस लेना इतना मुश्किल नहीं होता, अगर खनन माफिया अरावली का का सीना नहीं चीर रहे होते. जानकारों का कहना है कि ये माफिया पैसों के लालच में अरावली का विनाश करके दिल्ली-एनसीआर और यूपी के एक बड़े इलाके को रेगिस्तान में तब्दील करने की तरफ बढ़ रहे हैं. इतना ही नहीं, बीते चार साल में विकास के नाम पर दिल्ली में सवा लाख से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं, जिससे हालात और बिगड़े हैं.
सवाल- दिल्ली-एनसीआर में धूल और प्रदूषण कम करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? (पवन, सिरसा, सोनी कुमारी, मधुबनी, शिवाजी वेरुलकर, बुलढाणा, महाराष्ट्र, रतन तिवारी, विरार, भवानी सिंह, जोधपुर, सत्य प्रकाश, जहानाबाद)
जवाब- दिल्ली में धूल भरे प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने कई कड़े कदम उठाने का एलान किया है. इन कदमों में सड़कों पर पानी का छिड़काव और रविवार तक दिल्ली में निर्माण पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला शामिल है. लेकिन एबीपी न्यूज की पड़ताल में पता चला है कि बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में सरकार के इस आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं. दिल्ली के रोहिणी, अलीपुर और बुराड़ी इलाके में बिल्डर खुलेआम सरकारी आदेश को दरकिनार करते हुए ना सिर्फ छोटे-छोटे मकान बनवा रहे हैं, बल्कि कई एकड़ में खुलेआम नई कॉलोनियां भी काटी जा रही हैं. बुराड़ी के सुनील कॉलोनी, भगत कॉलोनी, भट्टा रोड, कौशिक एनक्लेव जैसे इलाकों में नई अवैध कॉलोनियां बसाने का काम जोरों से जारी है. रोहिणी के सेक्टर 16 और 17 में भी बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई जा रही हैं. हैरानी की बात है कि ये सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है. प्रदूषण के इस बढ़ते कहर के बीच, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2 साल में 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली से प्रदूषण खत्म करने की योजना सामने रखी है.
सवाल- इस धूल से सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं ? इससे बचाव कैसे किया जा सकता है? (राजीव, झांसी, नरेंद्र, हनुमानगढ़, स्वप्निल कटारिया, भोपाल, तखत सिंह खिरजां, जोधपुर)
जवाब- इस धूल और प्रदूषण भरी हवा में सांस लेने से अस्थमा, आंखों में जलन, स्किन एलर्जी, गले की तकलीफ और हे-फीवर का खतरा बढ़ जाता है. दिल के मरीजों को इस प्रदूषण की वजह से हार्ट अटैक आने जोखिम भी बढ़ जाता है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो ये प्रदूषित हवा बेहद खतरनाक है. डॉक्टरों की सलाह है कि लोग इस प्रदूषण से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर से बाहर न निकलें. घरों की खिड़कियां बंद रखें और एसी को “फ्रेश एयर मोड” पर न चलाएं. कूड़ा-कचरा ही नहीं, धुआं करने वाली कोई भी चीज, यहां तक कि अगरबत्ती जलाने से भी बचें. आसपास पानी का छिड़काव करने से भी धूल कम करने में कुछ मदद मिल सकती है. अगर घर से बाहर जाना बेहद जरूरी हो तो मास्क पहनकर ही निकलें. मास्क भी सही किस्म का होना चाहिए. ऐसे प्रदूषण से बचने के लिए N-95 मास्क पहनना अच्छा रहता है, जो धूल और हवा में मिले प्रदूषण के बारीक कणों को सांसों में जाने से 95% तक रोक सकता है.
सवाल- इस धूल से कब तक राहत मिलने की उम्मीद है? दिल्ली-एनसीआर में बारिश कब तक होगी? (गिरिजेश पटेल, बरेली, लोमेश कुमार, हरदा, एमपी)
जवाब- दिल्ली-एनसीआर के लोगों को आसमान में छाई धूल की परेशानी अगले दो दिन तक झेलनी पड़ सकती है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब तक बारिश नहीं होती, लोगों को इस प्रदूषण से निजात मिलना मुश्किल है. मौसम विभाग उम्मीद कर रहा है कि दिल्ली में रविवार, 17 जून को बारिश हो सकती है. यानी दिल्ली-एनसीआर के लोगों को इस धूल से छुटकारा पाने के लिए तब तक इंतजार करना पड़ सकता है.