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#ABPengage: महंगे पेट्रोल-डीजल को लेकर पूछे गए दर्शकों के सवालों के जवाब

दिन की ताजा खबर पर दर्शक के मन में कोई सवाल है तो वो अब सीधे हमसे पूछ सकते हैं.

  दर्शकों और पाठकों से जुड़ने के लिए एबीपी न्यूज ने एक नई पहल की है. दिन की ताजा खबर पर दर्शक के मन में कोई सवाल है तो वो अब सीधे हमसे पूछ सकते हैं. एबीपी न्यूज की टीम दर्शकों के हर सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेगी. सवाल- क्यों बढ़ रहे हैं पेट्रोल-डीजल के दाम? क्या पेट्रोल डीजल का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजारों के आधार पर तय होता है? (नीरज यादव, कानपुर) (मनीष पोद्दार, दरभंगा) (गुंजित भगवते, इंदौर) (नौशाद सैफी, मेरठ), (मंदेश कुमार पटवा, अंबिकापुर) जवाब- देश में मोदी सरकार के आने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर हैं. सरकार का कहना है कि अरब देशों में कच्चे तेल का उत्पादन कम हो रहा है, जिसके कारण कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं. भारत कच्चे तेल के लिए पूरी तरह से अरब देशों पर ही निर्भर है. पिछले 1 महीने में कच्चे तेल के दाम 10 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़े हैं. अब यदि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को रोकना है तो सरकार को उस पर लगाया टैक्स ही कम करना होगा तभी आम लोगों को महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत मिलेगी. सरकार का यही कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के आधार पर तय होते हैं, लेकिन हमने देखा है कि कर्नाटक चुनाव के दौरान 19 दिन तक पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रहे, जबकि कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ रहे थे. सवाल-  अरब देशों से पेट्रोल डीजल कितने में खरीदा जाता है. यहां क्यों पेट्रोल-डीजल इतना महंगा बिकता है?   (ज्ञानेंद्र द्विवेदी, कन्नौज), (संजीव शुक्ला) जवाब- 21 मई 2018 को कच्चा तेल 77.04 डॉलर प्रति बैरल था यानि 5245.60 रु प्रति बैरल था. एक बैरल में 159 लीटर होता है. इस हिसाब से कच्चे तेल का दाम 32रु 99 पैसे प्रति लीटर होते हैं. तेल को आयात और रिफाइनिंग करने के बाद इसकी कीमत 37रु 65 पैसे हो जाती है. केंद्र सरकार 19 रु 48 पैसे एक्साइज ड्यूटी लगाती है, 3 रु 63 पैसे डीलर को कमीशन जाता है और दिल्ली सरकार 16 रु 41 पैसे वैट लगाती है. हर राज्य में वैट की दर अलग-अलग है. लेकिन ये सब टैक्स लगकर आपको दिल्ली में पेट्रोल 77 रु 17 पैसे प्रति लीटर में मिलता है. पेट्रोल की वास्तविक कीमत 37 रु 65 पैसे है और इस पर टैक्स 39 रु 52 पैसे लग रहा है यानि पेट्रोल की मूल कीमत से ज्यादा आप टैक्स का पैसा चुका रहे हैं. सवाल- पेट्रोल-डीजल की कीमतें रोज क्यों घटती-बढ़ती रहती हैं? संदीप कुमार, (दिव्या शुक्ला, प्रतापगढ़) जवाब- जून 2017 से पहले तेल की कीमतें हर 15 दिनों पर तय होती थीं. ये हर महीने की पहली और 16 वीं तारीख को होता था. उससे पहले हर तीसरे महीने तेल की कीमतें निर्धारित की जाती थीं लेकिन पिछले साल 16 जून से रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव हो रहा है. कुछ मानकों के आधार पर तेल की दरें रोज तय करने का काम भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और हिंदुस्तान प्राइवेट कॉर्पोरेट लिमिटेड (एचपीसीएल) जैसी तेल कंपनियां करती हैं. सवाल- सरकार पेट्रोल डीजल को भी GST के दायरे में कब लाएगी?  (राकेश यादव, अंबिकापुर ) (पवन दुबे, पुणे), (हर्षवर्धन सिंह, जयपुर), (जिबोन दास, तेजपुर) (निकिता शर्मा, मुंबई) जवाब- केंद्र सरकार ने पिछले साल ही संकेत दिए थे कि अगर राज्य सरकारें इच्छुक हैं तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है, लेकिन विडंबना ये है कि किसी भी राज्य सरकार ने अब तक ऐसी कोई पहल नहीं की है. जीएसटी के तहत पेट्रोल-डीजल लाने की मांग इसलिए हो रही है क्योंकि अभी पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर करीब 100 फीसदी तक टैक्स हो जाता है. जीएसटी के दायरे में लाने से ये घटकर 28 फीसदी ही रह जाएगा. जिससे पेट्रोल-डीजल के दाम खुद ब खुद कम हो जाएंगे. श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल पर सिर्फ एक एक्साइज टैक्स लगता है इसलिए वहां पेट्रोल भारत के मुकाबले बेहद सस्ता है. सवाल- मोदी सरकार की ताजपोशी के वक्त मई 2014 में पेट्रोल और डीजल के दाम क्या थे? (मधुसूदन जायसवाल, कोलकाता)  (विमल महाजन, दिल्ली) जवाब- मई 2014 में पेट्रोल और डीजल के दाम हर 15 दिन में घटते-बढ़ते थे रोज-रोज नहीं. 13 मई 2014 को दिल्ली में पेट्रोल के दाम 71 रु 41 पैसे प्रति लीटर थे, जबकि डीजल 56 रु 71 पैसे प्रति लीटर था. जबकि आज दिल्ली में पेट्रोल 77 रु 17 पैसे प्रति लीटर और डीजल 68 रु 34 पैसे प्रति लीटर है. सवाल-  मेरा सवाल है भारत के पड़ोसी देशों मे तेल क्यों सस्ता है, जबकि वो देश खुद भारत से तेल खरीदते हैं?  (राहुल वर्मा ) जवाब- भारत अरब देशों से कच्चा तेल खरीदकर 72 देशों को रिफाइन तेल निर्यात करता है. श्रीलंका में पेट्रोल 49 रु 67 पैसे प्रति लीटर है और डीजल 40 रु 33 पैसे प्रति लीटर है. वहां पेट्रोल-डीजल इसलिए सस्ता है क्योंकि वहां पेट्रोल-डीजल पर एक ही टैक्स लगता है और वो एक्साइज ड्यूटी. सवाल- केंद्र सरकार और राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर कितना कमाती हैं?  रोहित गुप्ता, आरा जवाब- 2016-17 में केंद्र सरकार को पेट्रोल-डीजल पर लगाई एक्साइज ड्यूटी से 2 लाख 43 हजार करोड़ रु की कमाई हुई जबकि कई राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाकर 1 लाख 66 हजार करोड़ का राजस्व कमाया. मौजूदा वक्त में एक्साइज ड्यूटी से दिल्ली में केंद्र सरकार को जो कमाई हो रही है वो है- 19 रु 48 पैसे प्रति लीटर. जबकि दिल्ली सरकार को वैट से होने वाली कमाई है- 16 रु 41 पैसे प्रति लीटर सवाल- केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर होने वाली कमाई का इस्तेमाल कहां-कहां करती है? (जमील अहमद,कानपुर) जवाब- इस आमदनी को सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के लिए इस्तेमाल करती है. जिसके तहत सड़क बनाने, गांव का विकास करने और मनरेगा जैसी योजनाएं चलाने में मदद मिलती है. सवाल- मप्र में पेट्रोल-डीजल पर कुल कितना टैक्स वसूलती है राज्य सरकार?  (अष्टम पांडे, संत कबीर नगर) जवाब- मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर 36.14 फीसदी वैट और डीजल पर 23.22 फीसदी वैट वसूलती है राज्य सरकार. सवाल- क्या भविष्य में पेट्रोल और डीजल का कोई विकल्प है?  अरुण डांगरा, चेन्नई जवाब- पूरी दुनिया में हाइब्रिड ईंधन के इस्तेमाल पर जोरशोर से काम हो रहा है. भारत में भी एथेनॉल से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दे रही है सरकार. इसी साल 31 जनवरी को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और नीतीश कुमार ने एथेनॉल से चलने वाले ऑटो में सवारी का ट्रायल किया था. इसके साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों (बैटरी वाले) के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. जो कंपनियां ई-कार का कॉन्सेप्ट लेकर आ रही हैं उनमें मारुति से लेकर टाटा, हुंडई, रेनो और मर्सिडीज शामिल हैं. रेनो का तो ऐसा दावा है कि उसकी ई-कार Zoe EV  80 मिनट में फुल चार्ज होकर 400 किलोमीटर का दमदार माइलेज भी देगी. सौर ऊर्जा के इस्तेमाल पर भी काम हो रहा है क्योंकि पेट्रोल और डीजल का निश्चित भंडार ही दुनिया के पास है. सवाल- क्या पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों का 2019 के लोकसभा चुनावों पर असर पड़ेगा? (कृष्ण कुमार, बिजनौर), (हरीश,मुंबई) जवाब- हां, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों का अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर असर पड़ सकता है क्योंकि पेट्रोल-डीजल अर्थव्यवस्था का आधारभूत इंजन होते हैं लिहाजा अगर वो महंगे हैं तो अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ता है और इसका असर महंगाई के रूप में आम आदमी तक पहुंचता है. महंगाई उन वोटरों के लिए बड़ा मुद्दा बन जाती है जो स्विंग वोटर होते हैं.
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