नई दिल्ली: दर्शकों और पाठकों से जुड़ने के लिए एबीपी न्यूज ने एक नई पहल की है. दिन की ताजा खबर पर दर्शक के मन में कोई सवाल है तो वो अब सीधे हमसे पूछ सकते हैं. एबीपी न्यूज की टीम दर्शकों के हर सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेगी.


पेट्रोल-डीजल की हर दिन बढ़ती कीमत से परेशान दर्शकों ने इस बारे में कई दिलचस्प सवाल पूछे हैं, जिनके जवाब हमारी टीम ने दिए हैं.


सवाल - देश में पेट्रोल और डीजल के दाम हर दिन नई ऊंचाई पर क्यों पहुंच रहे हैं ?


(रवि कुमार सिंह, सीवान; नीलेश गोल्हरे, बुलढाणा, एमआर शर्मा, फरीदाबाद; दिलीप, बीकानेर; उदय वैद्य, रामटेक, महाराष्ट्र)


जवाब - मोदी सरकार का कहना है कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की वजह से हो रही है. सरकार का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजारों के आधार पर ही तय होते हैं. लेकिन कर्नाटक चुनाव के दौरान 19 दिन तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए थे. जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम उस दौरान भी लगातार बढ़ रहे थे. इससे साफ है कि सरकार चाहे तो दाम का बढ़ना रोक सकती है. हालांकि पिछले एक हफ्ते के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम करीब 80 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गए हैं, जिससे आने वाले दिनों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है.


सवाल – मनमोहन सिंह की सरकार और मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल के दामों और उन पर लगने वाले टैक्स में कितना अंतर है?


(रघुवीर सिह राज, वडोदरा; दुष्यंत शर्मा, ब्यावर, राजस्थान; आलोक पन्ना, अंबिकापुर; प्रभात कुमार, दरभंगा)


जवाब – मई 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार ने जब मोदी सरकार को सत्ता सौंपी तब दिल्ली में पेट्रोल 71 रुपये लीटर और डीजल 56 रुपये लीटर के आसपास था, जबकि उस वक्त अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 108 डालर प्रति बैरल था. इसकी तुलना में अब दिल्ली में पेट्रोल 78 रुपये 43 पैसे और डीजल 69 रुपये 31 पैसे में बिक रहा है. जबकि अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम अभी करीब 75 डॉलर प्रति बैरल, यानी तब के मुकाबले करीब 35 फीसदी कम है. फिर भी पेट्रोल-डीजल महंगे बिक रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद से अब तक मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 9 बार बढ़ा चुकी है.


1 अप्रैल 2014 को, जब देश में मनमोहन सिंह की सरकार थी, पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9 रुपये 48 पैसे थी, जबकि मोदी सरकार अभी पेट्रोल पर 19 रुपये 48 पैसे एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है. यानी यूपीए सरकार के मुकाबले दोगुने से ज्यादा.


इसी तरह मनमोहन सिंह की सरकार अप्रैल 2014 में डीजल पर 3 रुपये 56 पैसे एक्साइज ड्यूटी लेती थी, जबकि मोदी सरकार 15 रुपये 33 पैसे वसूल रही है यानी चार गुने से भी अधिक.


सवाल - पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में क्यों नहीं ला रही है सरकार ?


(महेंद्र शर्मा, जयपुर; विक्रम सिंह, भिंड; अनमोल मनचंदा, लुधियाना; शिशिर झा, दरभंगा)


जवाब - मोदी सरकार ने पिछले साल संकेत दिए थे कि अगर राज्य सरकारें तैयार हो जाएं तो पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाया जा सकता है, लेकिन अब तक ऐसा हो नहीं सका है. देश के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की ही सरकारें हैं, फिर भी इस मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन पा रही है. इसकी मुख्य वजह ये है कि राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर VAT यानी वैल्यू ऐडेड टैक्स वसूलती हैं, जिनसे उन्हें काफी आमदनी होती है. ये टैक्स वैल्यू पर आधारित है, इसलिए पेट्रोल-डीजल जितना महंगा होता है, वैट भी उतना ही बढ़ता जाता है और राज्य सरकारों की आमदनी भी बढ़ती जाती है. यही वजह है कि राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने को तैयार नहीं हो रही हैं.


सवाल - GST के दायरे में लाने से क्या पेट्रोल और डीजल के दाम घट जाएंगे? अगर हां, तो कितने कम होंगे दाम?


(देवेंद्र बघेल, धार; सत्यवृत शुक्ला, छतरपुर)


जवाब - अभी पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर करीब 100 फीसदी तक टैक्स लग जाता है. लेकिन GST के दायरे में लाने पर टैक्स की दर 12 फीसदी से 28 फीसदी के बीच ही रहेगी, जिससे पेट्रोल-डीजल के दाम अपने आप घट जाएंगे.


पेट्रोल-डीजल पर अगर 12 फीसदी GST लगा तो पेट्रोल 47 रुपये 35 पैसे और डीजल 49 रुपये 04 पैसे में मिलेगा. GST के 18 फीसदी स्लैब में रखने पर पेट्रोल 49 रुपये 89 पैसे में और डीजल 51 रुपये 67 पैसे में मिल सकेगा.


GST के अधिकतम 28 फीसदी वाले स्लैब में रखने पर भी पेट्रोल 54 रुपये 11 पैसे और डीजल 56 रुपये 05 पैसे में मिल जाएगा. जाहिर है पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने पर लोगों को भारी राहत मिल सकती है.