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सवाल – बिहार में बीजेपी और जेडीयू के पास अभी कितनी सीटें हैं? (ताराचंद, राजस्थान, गुलजार मलिक, मेरठ)
जवाब - लोकसभा में बिहार की कुल 40 सीटें हैं, जिनमें 22 बीजेपी के पास हैं, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीएयू के सिर्फ दो ही सांसद हैं. दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था. उस चुनाव में उनकी पार्टी बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में सिर्फ 2 सीटें ही जीत पाई थी. हालांकि विधानसभा में हालात बिलकुल अलग हैं. विधानसभा में नीतीश की पार्टी के 70 और बीजेपी के 53 विधायक हैं. नीतीश कुमार ने ये सीटें 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस को मिलाकर बने महागठबंधन में शामिल होकर जीती थीं, जिसे छोड़कर अब वो बीजेपी के साथ सरकार चला रहे हैं.
सवाल – बिहार में 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर क्या खींचतान चल रही है? नीतीश को बड़ा भाई बनने की जल्दी क्या है? (गिरधारी सैनी, मथुरा, सत्यवृत शुक्ला, छतरपुर, प्रदीप कुमार, शिमला)
जवाब - हालांकि बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे पर कोई औपचारिक बातचीत अब तक शुरू नहीं हुई है, लेकिन ऐसी चर्चा है कि जेडीयू 2009 लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले को दोहराते हुए 40 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. लेकिन बीजेपी के लिए ये मांग मानना आसान नहीं होगा. क्योंकि ऐसा होने पर बीजेपी समेत एनडीए की बाकी पार्टियों के लिए सिर्फ 15 सीटें ही बच जाएंगी. इनमें से 6 सीटें राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी को और 3 सीटें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को देनी पड़ सकती हैं. ऐसे में अगर जेडीयू की मांग मानी गई तो 22 सांसदों वाली बीजेपी को बिहार में सिर्फ 6 लोकसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ना होगा. ऐसे में लगता तो यही है कि जेडीयू को 25 सीटें मिलने उम्मीद पूरी नहीं होगी. जानकारों का मानना है कि जेडीयू को ज्यादा से ज्यादा 15 सीटों से संतोष करना पड़ेगा, जबकि बीजेपी करीब 20 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है और बाकी सीटें सहयोगी दलों को दी जा सकती हैं.
सवाल – नीतीश कुमार अब तक कितनी बार बिहार के मुख्यमंत्री बन चुके हैं ? (गणेश, सूरत)
जवाब - नीतीश कुमार अब तक कुल मिलाकर 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. वो पहली बार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन विधानसभा में बहुमत नहीं होने के कारण उन्हें 7 दिन के बाद ही इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद वो 24 नवंबर 2005 को दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. इस बार उन्होंने 2010 तक पूरे 5 साल बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाई . नीतीश कुमार तीसरी बार 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक मुख्यमंत्री रहे. इस बार भी उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाई. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया और अकेले लोकसभा चुनाव लड़ा. जिसमें वो 40 लोकसभा सीटों में सिर्फ 2 पर जीत दर्ज कर पाए. लोकसभा चुनाव में इस खराब प्रदर्शन के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को सीएम बनाया. लेकिन 22फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को हटा दिया और खुद चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए. 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और चुनाव में शानदार जीत के बाद 20 नवम्बर 2015 को पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन दो साल के भीतर ही नीतीश ने महागठबंधन तोड़ा और 26 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद नीतीश ने रातों-रात बीजेपी से हाथ मिलाया और 27 जुलाई 2017 को छठीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.
सवाल - बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले में अब तक क्या तरक्की हुई है? (जय सिंह, पटना)
जवाब – बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार लंबे अरसे से करते आ रहे हैं. लेकिन उनकी ये मांग पूरी होने के आसार कम ही हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली अक्टूबर 2015 में ही साफ कर चुके हैं कि राज्यों को विशेष दर्जा दिए जाने का दौर अब खत्म हो चुका है. केंद्र सरकार की योजनाओं में आम राज्यों को 40 फीसदी फंड खुद मुहैया कराना पड़ता है, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को स्कीम का 90 फीसदी फंड केंद्र सरकार मुहैया कराती है. यही वजह है कि नीतीश कुमार 2005 से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते आ रहे हैं.