हाथरस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. पीड़िता के परिवार ने जानकारी दी कि कल कोई एसआईटी की टीम नहीं आई थी. कल सिर्फ पुलिस आई थी. जबकि एबीपी न्यूज से कहा गया था कि एसआईटी जांच कर रही है इसलिए अंदर नहीं जाने दे रहे. बता दें कि हाथरस केस में आज 27 घंटे बाद मीडिया को पीड़िता के गांव जाने की इजाजत दी गई.


पीड़िता की बहन ने एबीपी न्यूज से कहा है कि हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार ने परिवार को धमकाया है. उन्होंने कहा कि डीएम का वायरल ऑडियो सही है. डीएम ने कहा था कि कोरोना से मरती तो क्या करती, मुआवजा भी नहीं मिलता.  शव को आखिरी बार देखने भी नहीं दिया गया.


पीड़िता की मां से अंतिम संस्कार से पहले बेटी के शव को घर लाने की अपील की थी, जिसे प्रशासन ने ठुकरा दिया. पीड़िता की मां अपनी बेटी को आखिरी विदाई देते हुए हल्दी लगाना चाहती थी. पीड़ित के भाई ने कहा कि मेरी बहन के साथ गैंगरेप हुआ है. पिता के तबीयत अभी भी खराब हैं. प्रशासन वाले किसी से बात नहीं करने दे रहे हैं. पीड़िता के बहन ने कहा, उन्हें नहीं लगता कि इंसाफ मिलेगा. उन्हें यूपी पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है. पुलिस ने परिवार वालों के साथ मारपीट भी की थी.


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पीड़िता की मां ने कहा कि उन्हें सरकार पर विश्वास नहीं है. डीएम मुआवजे की दुहाई दे रहे थे. हमें यह मुआवजा नहीं चाहिए. मुआवजे से मेरी बेटी वापस नहीं आएगी. उन्होंने बताया कि डीएम से बच्ची का शव दिखाने के लिए जब कहा, तो उन्होंने कहा कि उसका पोस्टमार्टम हुआ है, आप चेहरा नहीं देख पाएंगी.


पीड़िता के परिवार ने कहा कि पुलिस ने किसके कहने पर हमारी बेटी को जलाया है. पीड़िता के परिवार ने कहा कि पुलिस को ये बताना चाहिए कि उन्होंने किसको जलाया है. उन्होंने ये भी कहा कि मीडिया को इजाजत देना प्रशासन की एक चाल है.


परिवार का कहना है कि हम अस्थियां चुनने इसलिए नहीं जा रहे कि हमें क्या पता कि हमारी बेटी का शव था या किसी और का, हमें चेहरा तो दिखाया नहीं गया.


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