1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस: अबू सलेम को उम्रकैद, ताहिर मर्चेंट और फिरोज़ खान को फांसी
मुंबई: 12 मार्च 1993 में मुंबई में हुए सीरीयल ब्लास्ट केस के मालमे में आज मुंबई की टाडा कोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम सहित पांच दोषियों के सजा का एलान कर दिया है. डॉन अबू सलेम को उम्रकैद की दी है. लेकिन पुर्तगाल के साथ प्रत्यपर्णन की सन्धि के तहत उसे 25 साल ही जेल में रहना होगा. इसके साथ ही दो मामलों में कोर्ट ने अबु सलेम पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सलेम पर सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
इसका सीधा मतलब हुआ है कि अबु सलेम को अधिकतम 25 साल की सजा जेल में काटनी पड़ेगी. अबु सलमे अब तक 12 साल जेल की सलाखों में बीता चुका है, ऐसे में उसे अब 13 साल की सजा काटनी पड़ेगी. इस मामले पर अबु सलेम को भारत लाने वाले अधिकारी एस. एस. खड़ायत ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा, ''इस केस में हमने पुर्तगाल के साथ संधि हुई है. उनके यहां 25 साल तक की सजा है और हम वही दे सकते हैं.''
आपको बता दें कि भारत में पहले उम्रकैद की सजा का मतलब होता था 20 साल कैद की सजा, लेकिन 2012 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि उम्रकैद की सजा का मतलब है जब तक सांस है तब तक जेल की काल कोठरी में रहना होगा.
अबु सलेम पर क्या थे आरोप
अबु सलेम को हथियारों का सप्लाई करने का दोषी पाया गया है. सलेम ने संजय दत्त को एके 56 राइफलें, 250 कारतूस और कुछ हथगोले 16 जनवरी 1993 को उनके आवास पर उन्हें सौंपे थे. दो दिन बाद 18 जनवरी 1993 को सलेम तथा दो अन्य दत्त के घर गये और वहां से दो राइफलें तथा कुछ गोलियां लेकर वापस आए थे.
किसे मिली कितनी सजा-- अदालत ने ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को फांसी की सजा दी है. फिरोज धमाके के सामान पहुंचाने का दोषी है जबकि मोहम्मद ताहिर धमाको में शामिल कई अभियुक्तों को ट्रेनिंग के लिये पाकिस्तान भेजने का दोषी है.
- टाडा कोर्ट के जज ने करीमुल्लाह शेख को 25 साल की सजा सुनाई है. साथ ही उसपर दो लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने करीमुल्लाह को हथियार सप्लाई करने का दोषी माना है.
- रियाज सिद्दीकी को दस साल कैद की सजा सुनाई गई है. सिद्दीकी पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है. सीबीआई ने रियाज को उम्रकैद देने की मांग की थी.
1993 में क्या हुआ था
12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए 13 सीरियल बम धमाकों ने देश को हिलाकर रख दिया था. इस धमाके में करीब 257 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 700 से अधिक घायल हुए थे. इसमें 27 करोड़ रूपये की सम्पत्ति नष्ट हो गई थी.
अदालत ने किसे-किसे दोषी माना
इस केस में विशेष टाडा अदालत ने इसी साल 16 जून को अबू सलेम, मुस्तफा दौसा, फिरोज खान और ताहिर मर्चेंट सहित 6 लोगों को दोषी करार दिया था. इस केस के एक दोषी मुस्तफा दौसा की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है.
कौन सबूत के अभाव में रिहा हुआ
इस केस में सात आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया था. कय्युमशेख नामक आरोपी को पुख्ता सबूत नहीं होने के कारण रिहा कर दिया गया था.
2007 में पूरी हुई थी सुनवाई
साल 2007 में पूरे हुए सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेनन और संजय दत्त सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि 23 लोग बरी हुए थे. याकूब मेनन को 30 जुलाई 2015 को इस मामले में फांसी हो गई थी. वहीं संजय दत्त भी इस मामले में अपनी सजा काटकर जेल से बाहर आ चुके हैं.
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