जेएनयू की कावेरी हॉस्टल कमेटी और मेस कमेटी ने एक बयान जारी कर एबीवीपी के उस दावे को झूठा बताया है, जिसके मुताबिक एबीवीपी ने मेस में नॉनवेज को लेकर हंगामा नहीं किया था.
मेस कमेटी का कहना है कि 10 अप्रैल को जो घटना हुई उसमें खाने के अधिकार का हनन हुआ. एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने हॉस्टल मेस में चिकन वेंडर को धमकाया. मेस कमेटी के अनुसार हफ्ते में 4 दिन छात्रों को नॉनवेज परोसा जाता है. राम नवमी के दिन भी छात्रों की सहमति के साथ ही नॉनवेज बनना तय हुआ था. नॉनवेज ना बने इसके लिए एबीवीपी ने मेस में हंगामा किया.
कावेरी हॉस्टल कमेटी का कहना है एबीवीपी ने दावा किया है कि रामनवमी की पूजा में खलल डाली गई, हवन करने से रोका गया. लेकिन इस बात का कोई भी सबूत एबीवीपी के पास नहीं है. एबीवीपी ने दावा किया कि पूजा और इफ्तार एक साथ चल रहे थे जबकि पूजा 4:00 बजे शुरू हुई थी और इफ्तार 6:45 के बाद शुरू हुआ.
इतना ही नहीं ऐसे कई वीडियोस हैं, जिससे यह साबित हो रहा है कि ना सिर्फ कावेरी हॉस्टल बल्कि बाहर के भी कुछ लोग आकर के चिकन वेंडर को धमका रहे हैं. चिकन वेंडर भी यही कह रहे हैं. कावेरी हॉस्टल के वॉर्डन ने बिना छात्रों की सहमति के मेस सेक्रेटरी को एक व्हाट्सएप के जरिए रामनवमी के दिन नॉनवेज ना बनाने को कहा. जिसके बाद मेस सेक्रेटरी ने ऐसा करने से मना कर दिया. क्योंकि वॉर्डन मेस के मेन्यू के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते.
हॉस्टल कमेटी की मांग है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा जारी किया गया प्रेस रिलीज पूरी तरह से गलत है, इसे वापस लेना चाहिए. वॉर्डन के ऊपर भी जांच बिठाई जानी चाहिए जो भी वॉर्डन इसमें गुनहगार साबित होते हैं उन्हें निकाला जाए. जेएनयू प्रशासन को घायल से मिलना चाहिए और साथ ही साथ गुनहगारों पर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
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