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ACB Action: दिल्ली जल बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर नरेश सिंह गिरफ्तार, 20 करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी का लगा आरोप
Delhi Jal Board Corruption Case: दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा यानि एसीबी ने संयुक्त निदेशक नरेश सिंह को गिरफ्तार किया है.
DJP Joint Director Arrested: दिल्ली जल बोर्ड के घोटाले के मामले में संयुक्त निदेशक नरेश सिंह को एंटी-करप्शन ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने दिल्ली जल बोर्ड के संयुक्त निदेशक नरेश सिंह से मामले में पूछताछ की. इसके बाद, एसीबी ने उनको चल रही जांच में गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि मामले में 20 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की गई थी. इस बात की जानकारी एसीबी की ओर से दी गई है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड के पानी के बिल में 20 करोड़ रुपये का घोटाला करने का मामला सामने आया था. इसके बाद दिल्ली पुलिस की भष्टाचार विरोधी टीम ने कार्रवाई करते हुए जल बोर्ड के संयुक्त निदेशक नरेश सिंह से पूछताछ की थी. इसके अलावा, मामले में एसीबी ने राजेंद्रन नायर, गोपी कुमार केडिया और अभिलाष वासुकुट्टन पिल्लई को भी गिरफ्तार किया था.
क्या है मामला?
इंडिया टीवी की खबर के मुताबिक, एसीबी चीफ मधुर वर्मा ने कुछ दिनों पहले बताया कि पानी के बिल का भुगतान करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के सभी ऑफिसों में कंपनियों को बिल वसूलने का ठेका दिया गया था. इसके तहत उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक आफ इंडिया) को अलग-अलग जल बोर्ड के कार्यालयों में आटोमेटिक बिल भुगतान करने के लिए मशीन लगाने का काम सौंपा था. जिसके जरिए उपभोक्ता कैश और चेक के जरिए बिल का भुगतान करते थे.
#UPDATE | After questioning, ACB arrested DJB Joint director Naresh Singh in an ongoing probe in which over Rs 20 crores was siphoned off: ACB
— ANI (@ANI) February 20, 2023
इसके बाद कॉर्पोरेशन बैंक ने आगे यह ठेका फ्रेश-पे आईटी साल्यूशंस को दे दिया था, जिसने आगे उसे आरएम ई-पेमेंट्स कंपनी को दे दिया. नियम कानून को ताक पर रखकर हर साल बिल वसूलने का ठेका इन्हीं कंपनियों को दिया जाता रहा. इन कंपनियों का कॉन्ट्रेक्ट 10 अक्टूबर 2019 तक ही था लेकिन आरएम ई-पेमेंट्स ने अवैध तरीके से मार्च 2020 तक बिल वसूलने का काम किया. जल बोर्ड की शुरुआती जांच में फंड में करोड़ों के गबन का पता चलने पर एसीबी में शिकायत दर्ज कराई गई थी.
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