लड़की के चक्कर में फंसकर ISI को आरोपी ग्रुप कैप्टन ने लीक की है ये महत्वपूर्ण जानकारियां
ग्रुप कैप्टन मारवाह के खिलाफ सबूत इकट्टे करना दिल्ली पुलिस के लिए नाको चने चबाने के बराबर होगा, क्योंकि मारवाह के फोन से अनेको महत्वपूर्ण जानकारियां डिलीट कर दी गई थी.
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना का एक ग्रुप कैप्टन पाकिस्तान की हनीट्रैप साजिश का शिकार हुआ है. वायुसेना के आरोपी ग्रुप कैप्टन अरूण मारवाह को पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई को खुफिया जानकारी देने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, आरोपी ग्रुप कैप्टन ने वायुसेना की कई महत्वपूर्ण जानकारी लीक की है.
ग्रुप कैप्टन अरूण मारवाह ने क्या-क्या लीक किया है?
सूत्रों के मुताबिक-
- भारत के पास कौन कौन से ट्रांस्पोर्टर विमान है, जो इस समय काम कर रहे है और उनकी संख्या क्या है.
- इन ट्रांसपोर्ट विमानों की पर्फ़ॉर्मन्स क्या है.
- ये विमान कितना लोड उठा सकते हैं.
- इन विमानों के तेल की खपत कितनी है.
- ये विमान हाई ऑल्टिट्यूड में कितनी देर और कितनी उंचाई तक उड़ान भर सकते है और ऑपरेशंज़ में कितना कामयाब है.
- कितने पैरा-ट्रूपर्स (Para-troopers) को ट्रेनिंग दी है और क्या ट्रैनिंग दी है.
ग्रुप कैप्टन ने अपने पास मंगवाई थी साइबर और स्पेस विंग की फ़ाइल
ये भी पता लगा की ग्रुप कैप्टन ने साइबर और स्पेस विंग की फ़ाइल अपने पास मंगवाई थी. उसने साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी जानकारी भी लीक की थी. इसके साथ ही मालवाहक विमानों की मेंटनेंस की फाइल मंगवाई थी, यानि कितने जहाज थलेसना के सैनिकों को बॉर्डर पर ले जाते हैं और कितना लोड लेकर जाते हैं.
स्मार्टफोन की मदद से गोपनीय दस्तावेजों की तस्वीरें खींचता था अरुण
वायुसेना की सेंट्रल इंटेलिजेंस विंग ने 31 जनवरी को वायुसेना मुख्यालय में अरुण मारवाह को स्मार्टफोन के साथ हिरासत में लिया था. इस केस में स्मार्टफोन इसलिए अहम कड़ी है, क्योंकि स्मार्टफोन की मदद से ही अरुण मारवाह गोपनीय दस्तावेजों की तस्वीरें खींचता था.
एबीपी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अरुण को पहले भी कई बार स्मार्टफोन के साथ पकड़ा गया था और तभी से इस पर इंटेलीजेंस विंग नजर रखे हुए थी. यहां आपको बता दें कि वायुसेना ने अपने अधिकारियों को सूचना के आदान-प्रदान के लिए अपने हैंडसेट दिए हैं. जिससे एफनेट यानि वायुसेना के विशेष नेटवर्क पर बात होती है.
जानकारी जुटाने के लिए ISI ने रचा था हुस्न का एक मायाजाल
अरुण मारवाह दिसंबर में त्रिवेंद्रम गया था, जहां उसे किरण रंधावा नाम की आईडी से फेसबुक मैसेंजर पर इनवाइट मिला और बात शुरु हुई. किरण रंधावा नाम से बात कर रहे ISI एजेंट ने महिमा नाम की कम उम्र लड़की से अरुण की दोस्ती सोशल साइट पर कराई.
महिमा से अरुण की कई दिनों तक अश्लील वीडियो चैट हुई और इसी दौरान अरुण ने वायुसेना की जानकारी महिमा और किरण रंधावा नाम से अकाउंट ऑपरेट कर रहे ISI एजेंटों से साझा की.
दिल्ली पुलिस के लिए जानकारियां जुटाना मुश्किल
ग्रुप कैप्टन मारवाह के खिलाफ सबूत इकट्टे करना दिल्ली पुलिस के लिए नाको चने चबाने के बराबर होगा, क्योंकि मारवाह के फोन से अनेको महत्वपूर्ण जानकारियां डिलीट कर दी गई थी, जिन्हें वापस लेने के लिए पुलिस को व्हाट्सएप और फेसबुक के विदेशी नेटवर्क तक जाना होगा. साथ ही अब तक की जांच के दौरान ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे ये पता चलता हो कि मारवाह ने दस्तावेज देने के बदले पैसे लिए थे.