दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की एजीएस यूनिट ने बिहार में पुलिसकर्मी की हत्या के मामले में 26 साल से वांछित चल रहे नक्सली नेता को गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम किसुन पंडित है, जो आइपीएफ माले संगठन का नेता बताया जाता है. सबसे अहम बात ये है कि किसुन पंडित ने साजिश कर तहत रिकॉर्ड में खुद को मृत घोषित कर दिया था. यहां तक कि उसके परिजनों ने एक शव की पहचान किसुन पंडित के तौर पर करते हुए उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था. वह पहचान बदल कर फरीदाबाद में रह रहा था. वह सुलेन्द्र पंडित के नाम से रह रहा था. किसुन पंडित पर आरोप है कि उसने 1994 में पटना के पुनपुन थाना इलाके से साधु पासवान का अपहरण किया था.
पुलिस के अनुसार दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सूचना के आधार पर किसनु पंडित को दिल्ली और फरीदाबाद के बॉर्डर से सटे पुल प्रह्लादपुर से गिरफ्तार किया. डीसीपी रोहित मीणा की देखरेख में एसीपी अभिनेन्द्र जैन के सुपरविजन में टीम ने किसनु पंडित को गिरफ्तार किया. दरअसल 7 अप्रैल को क्राइम ब्रांच को इनपुट मिला कि बिहार में 1990 में एक्टिव नक्सली संगठन आईपीएफ माले का एक मेम्बर, जिसके ऊपर 90 के दशक में पुलिस अधिकारी के कत्ल, राइफल और 40 कारतूस लूटने का आरोप था. वो फरीदाबाद में पहचान बदलकर रह रहा है. इस बात की जानकारी के मिलने के बाद दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम तुरंत पटना के पुनपुन थाने भेजी गई, ताकि आरोपी के बारे में जानकारी पुख्ता हो सके. वहां पर दस्तावेज देखने के बाद इस बात की पुष्टि हो गई, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. दिल्ली पुलिस ने जब किसुन को पकड़ा तो उसने पुलिस को गुमराह करने की बहुत कोशिश की. पुलिस के आगे उसकी एक न चल पाई.
पुलिस के अनुसार आरोपी ने खुलासा किया कि 1990 के दशक में बिहार में जमींदार लोग ग़रीबों को बहुत ज्यादा सताते थे. इन्ही जमींदारों की मनमानी से लड़ने के लिए 1990 में विनोबा मिश्रा ने आइपीएफ माले ग्रुप का गठन किया था. इस ग्रुप में किसुन को नेताजी कहा जाता था. 1994 में किसुन पंडित ने साधु पासवान का अपहरण किया, जो एक जमीदार का खास था. इस मामले में किसुन पंडित गिरफ्तार भी हुआ था, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गयी थी.
पुलिस टीम पर हमला कर की थी पुलिसकर्मी की हत्या
पुलिस के अनुसार 1996 में इनके संगठन के एक सदस्य देवेंद्र की हत्या की गई थी. जब पुलिस की टीम देवेंद्र के शव को कानूनी कार्रवाई के लिए ले जा रही थी तो आरोपी किसुन पंडित ने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस टीम पर हमला कर दिया था. उसी हमले में एक पुलिसवाले कि हत्या कर दी गई थी और तीन पुलिस कर्मी घायल हुए थे.
ऐसे रची थी अपनी मौत की झूठी कहानी
पुलिस का कहना है कि बिहार पुलिस टीम पर किये गए हमले के मामले में बिहार पुलिस ने 31 आरोपियों को तो गिरफ्तार कर लिया था. किसुन का कुछ पता नही था. इसके बाद किसुन फरीदाबाद आ गया और यहां पर नाम बदलकर रहने लगा. जबकि इसी दौरान दिल्ली से पटना जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हो गया और किसुन पंडित ने अपने घरवालों से कहा कि वह गांव में ये शोर मचा दे कि इस ट्रेन एक्सीडेंट में किसुन पंडित भी मारा गया. इसके घर वालों ने ऐसा ही किया और बड़ी ही चालाकी से न सिर्फ यह खबर फैलाई बल्कि किसी और के शव को किसुन का बताते हुए इसका अंतिम संस्कार भी कर दिया. इसके बाद पटना पुलिस ने किसुन पंडित की तलाश बंद कर दी और उसके केस की फाइल बंद कर दी गई थी.
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