'हमारी लड़ाई राम और हिंदू धर्म से नहीं...', राम मंदिर का निमंत्रण पत्र अस्वीकार्य करने पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस को फिर घेरा
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, भगवान राम को किसी एक पार्टी के साथ जोड़कर देखना ठीक नहीं है. न राम बीजेपी के हैं, न आरएसएस के हैं, न ही कांग्रेस के हैं. हमारी लड़ाई बीजेपी से है, न कि राम मंदिर से.
कांग्रेस ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने का फैसला किया है. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पार्टी के इस फैसले पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम भी इन्हीं नेताओं में शामिल हैं. प्रमोद कृष्णम ने गुरुवार (11 जनवरी 2024) को कहा कि राम किसी पार्टी के नहीं हैं. वे बीजेपी या आरएसएस के नहीं हैं. वे सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों के दिल में हैं. ऐसे में कांग्रेस को अस्वीकार्य पत्र जारी नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा, हमारी लड़ाई बीजेपी से है. हमारी लड़ाई अयोध्या या राम मंदिर से नहीं है. हमारी लड़ाई हिंदुओं से नहीं है.
ABP न्यूज से खास बातचीत में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, देखिए भगवान राम को किसी एक पार्टी के साथ जोड़कर देखना ठीक नहीं है. न राम बीजेपी के हैं, न आरएसएस के हैं, न ही कांग्रेस के हैं. सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों लोगों के दिल में राम हैं. राम मंदिर का न्योता मिलना सौभाग्य की बात है. यदि किसी दल को राम मंदिर नहीं जाना है, वह सिर्फ राम जन्म भूमि का आभार करते हुए आभार पत्र जारी कर देता. कांग्रेस को अस्वीकार्य पत्र जारी नहीं करना था. उसमें 'अस्वीकार्य' जैसा शब्द नहीं लिखना चाहिए था. इससे करोड़ों लोगों के दिलों को ठेस पहुंची है. कांग्रेस में भी ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो भगवान राम का आस्था का प्रतीक मानते हैं. सवाल बीजेपी या कांग्रेस का नहीं है, सवाल संस्कृति, सभ्यता और सनातन धर्म का है.
निमंत्रण स्वीकार करना था- आचार्य प्रमोद
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, ''देखिए ये कांग्रेस के भीतर की बहुत बड़ी लड़ाई है. कांग्रेस के बहुत से नेता हैं, जो मानते हैं कि पार्टी हिंदू विरोधी नहीं है. कांग्रेस महात्मा गांधी को मानने वाली पार्टी है, जो 'रघुपति राघव राजा राम' कहते थे. कांग्रेस राजीव गांधी की पार्टी है, जिन्होंने राम मंदिर का दरवाजा खुलवाया था. कांग्रेस में ऐसे नेता जो महात्मा गांधी और राजीव गांधी को मानते हैं, वे निमंत्रण को स्वीकार करने के पक्ष में थे. उनका मानना था कि राम मंदिर का निमंत्रण मिला है, हमें इसे स्वीकार करते हुए वहां जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ''बहुत से लोग हैं, जो हमें सीपीआई और वामपंथ के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं, उन लोगों का कांग्रेस नेतृत्व के इर्द गिर्द ज्यादा प्रभाव है. इसलिए ये पत्र जारी हुआ. इस पत्र में जो अस्वीकार्य शब्द लिखा है, उस पर मुझे आपत्ति है. इस पर कई लोगों को आपत्ति है. राम को किसी पार्टी के पक्ष में मानकर निमंत्रण को ठुकरा देने से करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. इनमें से करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 2019 में कांग्रेस को वोट किया था.''
पहले भी उठा चुके सवाल
इससे पहले बुधवार को आचार्य प्रमोद कृष्णम ने X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया, ''श्री राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला है, आज दिल टूट गया.'' इसके बाद उन्होंने इस मुद्दे पर समाचार एजेंसी एएनआई से भी बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा, ''राम मंदिर और भगवान राम सबके हैं. कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी नहीं है, कांग्रेस राम विरोधी नहीं है. यह कुछ लोग हैं जिन्होंने इस तरह का फैसला कराने में भूमिका अदा की है. इस फैसले से पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का दिल टूटा है. निमंत्रण को स्वीकार ना करना बेहद दुखद और पीड़ादायक है.''
'मैंने अपनी आपत्ति दर्ज कराई'
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, मैंने अपनी भावनाओं को सार्वजनिक तौर पर और पार्टी के फोरम तक पहुंचाने का काम किया है. मुझे लगता है कि कांग्रेस को इस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए. मेरा भरोसा है कि हमें बीजेपी से लड़ना है, हमारी लड़ाई राम से नहीं है. हमारी लड़ाई अयोध्या से नहीं. हिंदू धर्म से नहीं.