Teesta Setalvad Gets Bail: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Activist Teesta Setalvad) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अंतरिम जमानत दे दी है. अब दो महीने जेल में रहने के बाद वो रिहा कर दी जाएंगी. तीस्ता पर 2002 गुजरात दंगे (Gujarat Riots) से जुड़े मुकदमों को प्रभावित करने के लिए झूठे सबूत गढ़ने और फ़र्ज़ी गवाह जुटाने का आरोप है. 24 जून को दिए एक फैसले में खुद सुप्रीम कोर्ट ने ही इस पर कड़ी टिप्पणी की थी. इसके बाद गुजरात पुलिस (Gujarat Police) ने तीस्ता समेत कुछ लोगों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. आज सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने साफ किया कि महिला होने के चलते तीस्ता को रियायत दी जा रही है.


कपिल सिब्बल बताया-गलत फैसला


सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि पूरा मुकदमा सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी पर आधारित है. पुलिस ने अपनी तरफ से इस मामले में कोई सबूत नहीं जुटाया है. सिब्बल ने यह भी कहा था कि 3 अगस्त को हाई कोर्ट में जमानत याचिका पर नोटिस जारी हुआ, लेकिन सुनवाई की अगली तारीख 6 हफ्ते बाद, 19 सितंबर की दी गई, जो कि गलत है. 


सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा


इसका जवाब देते हुए गुजरात सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जमानत के मामलों में डेढ़ महीने बाद की अगली तारीख देना गुजरात हाई कोर्ट में सामान्य प्रक्रिया है. 3 अगस्त को कई ऐसे लोगों की जमानत याचिका पर भी नोटिस जारी हुआ, जिन्हें 26 सितंबर या अक्टूबर महीने की कोई तारीख दी गई. सुप्रीम कोर्ट को तीस्ता को कोई विशेष छूट नहीं देनी चाहिए. इससे गलत मिसाल कायम होगी.


कोर्ट ने कहा-याचिकाकर्ता एक महिला है


चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस रविंद्र भाट और सुधांशु धूलिया की बेंच ने गुजरात सरकार की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया. कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता एक महिला है और वह 25 जून को गिरफ्तार हुई थी. इस हिसाब से वह 2 महीने से अधिक समय से हिरासत में है. पुलिस ने उससे 7 दिन पूछताछ भी की है. हाई कोर्ट ने 19 सितंबर को जमानत पर सुनवाई की बात कही है. हम समझते हैं कि इस दौरान उसे अंतरिम जमानत देना उचित होगा."


कोर्ट ने दिया निर्देश


सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि जल्द से जल्द तीस्ता को अहमदाबाद की निचली अदालत में पेश किया जाए. वहां ज़मानत की शर्तें तय हो और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि तीस्ता अपना पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करवा दे और मामले की जांच में पूरा सहयोग करे.


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