मुंबई: महाराष्ट्र पुलिस ने दावा किया है कि गिरफ्तार किये गए वामपंथी कार्यकर्ताओं के माओवादियों से संबंध होने के बारे में हमारे पास ‘ठोस सबूत’’ हैं. उन्होंने कहा कि उनमें से एक ने मोदी-राज को समाप्त करने के लिए "राजीव गांधी जैसी घटना’’ की बात की थी. महाराष्ट्र पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) परमवीर सिंह ने बताया कि गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में से एक रोना विल्सन और एक माओवादी नेता के बीच एक ई-मेल पत्र में राजीव गांधी जैसी घटना के जरिए ‘‘मोदी राज’’ खत्म करने के बारे में कहा गया है.


पुलिस ने जब्त किए हजारों पत्र


रोना जैकब विल्सन को इस साल जनवरी में महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के संबंध में जून में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने सक्रिय और भूमिगत माओवादियों के बीच आदान-प्रदान किये गये ‘‘हजारों पत्रों’’ को जब्त किया है. पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और इनमें से पांच को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में वरवरा राव, वेरनन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा शामिल हैं.


महाराष्ट्र पुलिस का दावा, सभी आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत, पत्थरबाजों से भी कनेक्शन का खुलासा


पत्र में हथियार खरीदने के लिए 8 करोड़ की जरूरत पड़ने का भी जिक्र- पुलिस


पिछले साल 31 दिसम्बर को एल्गार परिषद कार्यक्रम के बाद पुणे के पास भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच के तहत यह छापेमारी की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिये है कि पांचों को छह सितम्बर तक घर पर नजरबंद रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पत्र में ग्रेनेड लांचर,राइफल्स और चार लाख गोलियां खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये की जरूरत पड़ने का भी जिक्र है. सिंह ने बताया, “रोना द्वारा माओवादी नेता “कॉमरेड प्रकाश” को लिखे पत्र में कहा गया है: हमें यहां की वर्तमान स्थिति के संबंध में आपका आखिरी खत मिल गया है. अरुण (फरेरा), वेरनन (गोन्जाल्विस) और अन्य शहरों में चल रही मुहिम को लेकर समान रूप से चिंतित हैं.”  उन्होंने कहा कि पत्र में प्रकाश से अपना फैसला बताने को भी कहा गया.


पत्रों में “कुछ बड़ा कदम” उठाने की योजना का भी जिक्र- पुुलिस


सिंह ने पत्र के हवाले से कहा, “कॉमरेड किसन और कुछ अन्य कॉमरेड ने मोदी राज खत्म करने के लिए कुछ ठोस कदमों का प्रस्ताव दिया है. हम राजीव गांधी (हत्याकांड) जैसी ही अन्य घटना के बारे में सोच रहे हैं.” उन्होंने कहा कि गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के बीच आदान-प्रदान हुए कुछ पत्रों में “कुछ बड़ा कदम” उठाने की योजना बनाने के बारे में भी कहा गया है, ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके. सिंह ने बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को भी इसी तरह के सबूतों के आधार पर 2014 में गिरफ्तार किया गया था.


माओवादी संगठनों ने एक बड़ी साजिश रची थी- पुलिस


सिंह ने कहा,‘‘पुलिस ने इन लोगों (कार्यकर्ताओं) के खिलाफ कार्रवाई करने का कदम केवल तब उठाया जब हमें पूरा विश्वास था कि इन सक्रिय और भूमिगत माओवादियों के बीच स्पष्ट संबंध हैं.’’  उन्होंने कहा,‘‘हमारी जांच में खुलासा हुआ है कि माओवादी संगठनों ने एक बड़ी साजिश रची थी और आरोपी उन्हें अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे थे.’’ उन्होंने कहा,‘‘उपलब्ध सूचना के आधार पर 17 अप्रैल को छह स्थानों पर छापे मारे गये. छापों की वीडियोग्राफी की गई थी और इनका समुचित ‘‘पंचनामा’’ किया गया. उन्होंने कहा,‘‘17 मई को कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम की धाराएं लगाई गई.’’


इस बीच दलित और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आज मुम्बई में उपनगरीय जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर एक विरोध रैली निकाली और लेखक सुधीर धवले तथा जून में पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये चार अन्य कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की. इन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पुणे, नागपुर और गढ़चिरौली जिलों में भी रैलियां निकाली और पुलिस के उन दावों पर विरोध जताया जिनमें कहा गया था कि गिरफ्तार किये गये पांच लोग शीर्ष शहरी माओवादी हैं जिन्होंने कोरेगांव-भीमा हिंसा को भड़काया था.


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