ISIS पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की रिपोर्ट में लश्कर-जैश की गतिविधियां भी हों: भारत
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ‘आतंकवादी गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा’ पर चर्चा की और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर आईएसआईएल के जरिए उत्पन्न खतरे पर महासचिव एंतोनियो गुतारेस की 12वीं रिपेार्ट पर विचार किया.
नई दिल्ली: भारत ने एक बार फिर से पाकिस्तान पर हमला बोला है. भारत की ओर से कहा कि हक्कानी नेटवर्क और उसके समर्थकों खासकर पाकिस्तान अधिकारियों ने दक्षिण एशिया में आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर जिस आसानी से काम किया है, उसकी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को अनदेखी नहीं करनी चाहिए.
उसने यह भी कहा है कि इस्लामिक स्टेट पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां भी होनी चाहिए, जो पाकिस्तान में अपने पनाहगाहों से हमले करते हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ‘आतंकवादी गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा’ पर चर्चा की और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर आईएसआईएल के जरिए उत्पन्न खतरे पर महासचिव एंतोनियो गुतारेस की 12वीं रिपेार्ट पर विचार किया.
हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध
रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकलन है कि फिलहाल अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लेवांट खुरासन (आईएसआईएल-के) के 1000-2000 लड़ाके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जून 2020 में इस संगठन के नए नेता घोषित किए गए शिहाब अल-मुहाजिर अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका और मध्य एशिया के देशों में आईएसआईएल की कथित रूप से अगुवाई करता है. बताया जाता है कि पहले उसका हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध रहा था.
पाकिस्तान पर निशाना
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, 'जरूरी है कि प्रतिबंधित हक्कानी नेटवर्क और खासकर पाकिस्तानी अधिकारियों में उसके समर्थकों ने जिस आसानी से अलकायदा, आईएसआईएल-के, तहरीक-ए-तालिबान जैसे अहम आतंकवादी संगठनों के साथ काम किया है, उसे हम नजरों से ओझल होने नहीं दें.'
उन्होंने कहा, 'अलकायदा, हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बिना किसी भय के फलते-फूलते और अपनी गतिविधियां चलाते हैं.' उन्होंने कहा कि भारत का मत है कि आईएसआईएल पर इस रिपोर्ट में आईएसआईएल और अलकायदा पाबंदी व्यवस्था के तहत आने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की हरकतें भी शामिल होनी चाहिए.
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