गौतम अडाणी का नाम आज पूरी दुनिया के अमीरों में शुमार होता है. गुजरात से निकलकर उन्‍होंने भारत समेत पूरी दुनिया में कारोबार को फैलाया. उनकी इस सफलता के बारे में अलग-अलग लोगों की अपनी राय है, लेकिन सबसे अहम बात यह है कि खुद गौतम अडाणी अपने अरबों डॉलर के साम्राज्‍य को किस नजर से देखते हैं? क्‍या लाखों-करोड़ों डॉलर कमाना उनके जीवन लक्ष्‍य है? या उन्‍हें प्रेरणा देने वाली वजह कुछ और है? अडाणी के बिजनेसमैन बनने के पीछे क्‍या चीन भी एक फैक्‍टर है? या वजह कुछ और है? अडाणी ग्रुप के आगे बढ़ने के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का हाथ होने आरोपों में कितनी सच्‍चाई है, आखिर क्‍यों बार-बार राहुल गांधी साधते हैं अडाणी ग्रुप पर निशाना..? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब में क्‍या कहते हैं गौतम अडाणी.              


सवाल: सबसे पहले वह बात, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है. बात आपके उस सफर की, जिसमें हर दिन मिलियंस-बिलियंस डॉलर का जुड़ना, जो अब रूटीन सा लगने लगा है.
गौतम अडाणी: एक नजरिए से तो यह महज आंकड़े हैं और इनके फेर में पड़ना हमारा लक्ष्य हरगिज नहीं है. महत्वपूर्ण यह होता है कि आपकी ओर से किया जा रहा काम समाज और देश के कितना काम आ रहा है. भारतीय होने के नाते मैं यह महसूस करता हूं कि पिछले कुछ समय से समूचे देश में यह भावना है कि हम अपने राष्ट्र को विकासशील से विकसित कि श्रेणी में लेकर आएं. इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में तमाम लोग जो प्रयास कर रहे हैं, उन कोशिशों में छोटा सा योगदान हमारे समूह का भी है.


सवाल: मान लिया कि दुनिया में सबसे अमीर बनने की रेस महज एक नंबर है तो फिर आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा कहां से मिलती है?
गौतम अडाणी: लम्बी अवधि गुलामी में बिताने के बाद भारत आजाद हुआ. सबकुछ नए सिरे से खड़ा किए जाने की जरूरत थी. बहुत पुरानी बात तो नहीं कहूंगा, लेकिन 80-90 के दशक में जब हमने व्यापारिक क्षेत्र में कदम रखा तो उस समय देश की जरूरत और उसकी दिक्कतों को भी बहुत नज़दीक से महसूस किया. हमारे पास न पर्याप्त विकसित समुद्री पोर्ट थे, न एयरपोर्ट, सड़कों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं थी. बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच भी कोई तालमेल नहीं था. वहीं, तकरीबन हमारे साथ ही नए सिरे से प्रगति के पथ पर चला चीन, काफी तेज गति से आगे बढ़ा. मेरी समझ में आया कि अभी हमारे देश में सबसे ज्यादा जरूरत एक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की है. संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन उनके सदुपयोग के संदर्भ में व्यवस्था खड़ी करने की जरूरत है. तबसे उस जरूरत को पूरा करने की कोशिश में हम जुटे हुए हैं.


सवाल: आपकी यह कोशिश किस हद तक कामयाब हुई?
गौतम अडाणी: इसका बेहतर उत्तर तो शायद आप लोग ही दे सकेंगे. हम तो अपना काम कर रहे हैं. निजी तौर पर एक भारतीय होने के नाते मुझे आत्मसंतुष्टि है कि मैं और मेरा समूह देश के नवनिर्माण में यथासंभव योगदान दे पा रहे हैं. इसको भी मैं ईश्वर कि कृपा और बुजुगों के आशीर्वाद के तौर पर ही देखता हूं. मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि पिछले तीन दशक से सारे स्टेक होल्‍डर्स, निवेशक, सरकार, रेगुलेटर और देश के तमाम लोग हमारी कोशिश में सहयोग करते रहे हैं, हौसला दे रहे हैं.


सवाल: आपके आलोचकों का कहना है कि ये सब आपके प्रधानमंत्री मोदी जी से नजदीकियों की वजह से संभव से सका है. आप क्या कहेंगे?
गौतम अडाणी: इस तरह की आलोचना करने वाले न तो मोदीजी को जानते हैं, न उनकी क्षमताओं को. दरअसल यह बात शायद इसलिए आती है, क्योंकि मैं गुजरात से हूं और नरेंद्र मोदी 12 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं. दूसरों की तरह मुझे भी पता है कि वो पूरी तरह निष्पक्ष और ईमानदार है. सच बात तो यह है कि उनकी नीतियों की वजह से पहले गुजरात में और अब देश में बिजनेस करने के लिए अनुकूल वातावरण बना है और उसका फायदा हर तरह के कारोबार को हुआ है. जहां तक निजी तौर पर लाभ की बात है तो मेरे समूह का कार्य देश के तमाम गैर BJP शासित राज्यों में भी है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा जैसे इन सभी राज्यों में अलग अलग पार्टियों की सरकार है. हम उन सरकारों के साथ भी ठीक नीति और नियत के साथ पूरे सहयोग और समन्वय के साथ कार्य कर रहे हैं. आप एक भी ऐसा उदाहरण पेश कीजिए, जिसमें मेरी किसी कंपनी को बिना कॉम्पिटिटिव बिडिंग के कोई कॉन्ट्रैक्ट मिला हो.


सवाल: राहुल गांधी लगातार आपको निशाने पर क्यों रखते हैं?
गौतम अडाणी: इसका जवाब मैं क्या दे सकता हूं? वह देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, राजनेता हैं. वहीं मैं एक सामान्य कारोबारी हूं.