Hindenburg Research-Adani Row: अडानी-हिंडनबर्ग मामले के चलते निवेशकों को हुए नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने जानना चाहा है कि भविष्य में लोगों को ऐसे नुकसान कैसे बचाया जा सकता है? क्या शेयर बाजार की नियामक व्यवस्था में कुछ बदलाव की जरूरत है? कोर्ट ने शुक्रवार (10 फरवरी) को संकेत दिया है कि वह सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर सकता है.



सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारडीवाला की बेंच के सामने दो याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं. वकील विशाल तिवारी और मनोहर लाल शर्मा ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर मामले से जुड़े पहलुओं की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस पर विचार नहीं किया. जजों ने सुनवाई की शुरुआत में ही कह दिया कि वह निवेशकों को लेकर चिंतित हैं. 

 

"सिर्फ धनी लोग ही पैसे नहीं लगाते"

 

चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ ही समय में शॉर्ट सेलिंग के जरिए बाजार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया गया. इससे निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गए. उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में सिर्फ धनी लोग ही पैसे नहीं लगाते, मध्यम वर्ग के लोग भी पैसे लगाते हैं, निवेशकों के हितों की सुरक्षा जरूरी है. कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट सामने आने के बाद बाजार में आई गिरावट के कारणों की जानकारी मांगी. यह भी पूछा कि स्थिति को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए गए. 

 

सेबी के लिए कोर्ट ने क्या कहा?

 

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह यह नहीं कह रहा है कि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी अपना काम सही तरीके से नहीं कर रहा है. फिर भी पूरी नियामक व्यवस्था में कहीं कोई कमी है. उस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. सेबी की तरफ से कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह कोर्ट की चिंताओं से सहमत हैं. वह इन बातों पर जवाब देना चाहते हैं.

 

13 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

 

बेंच ने सुनवाई सोमवार 13 फरवरी के लिए टालते हुए कहा कि सॉलिसिटर जनरल वित्त मंत्रालय और सेबी से बात कर इस मसले पर सुझाव दें. कोर्ट (Supreme Court) ने यह भी कहा कि वह अपनी तरफ से एक विशेषज्ञ समिति का गठन करना चाहता है. इसमें शेयर बाजार और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ होंगे. साथ ही, एक पूर्व जज भी होंगे.

 

सुनवाई के अंत में वकील मनोहर लाल शर्मा ने इस बात पर सवाल उठाया कि जब बाजार प्रभावित हो रहा था, उस समय ट्रेडिंग क्यों नहीं रोकी गई? इस पर कोर्ट ने कहा कि वह मामले में कोई भी ऐसी टिप्पणी नहीं करना चाहता जिससे निवेशकों की सोच पर नकारात्मक असर पड़े. गौरतलब है कि, हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था अडानी ग्रुप (Adani Group) ने शेयरों में हेरफेर और धोखाधड़ी की है. हालांकि अडानी ग्रुप ने इन दावों को खारिज किया था. 


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