Adani Hindenburg Case: अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को सुनवाई होगी. सोमवार (13 फरवरी) को सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि शेयर बाजार के कामकाज में बेहतरी के लिए कमेटी बनाने में उसे आपत्ति नहीं. लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि विदेशी निवेश प्रभावित न हो.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कमेटी के सदस्यों के लिए अपने सुझाव सीलबंद लिफाफे में सौंपने की अनुमति दी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निवेशकों के पैसे डूबने पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने भविष्य में लोगों को ऐसे नुकसान से बचाने के लिए व्यवस्था में सुधार की जरूरत बताई थी.


केंद्र सरकार और सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाजार नियामक और अन्य वैधानिक इकाइयां हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद उपजी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं. मेहता ने आशंका जताई कि पैनल की स्थापना पर किसी भी ‘अनजाने’ संदेश का धन प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.


पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?


इससे पहले अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारडीवाला की बेंच में हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर सकता है.


चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ ही समय में शॉर्ट सेलिंग के जरिए बाजार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया गया. इससे निवेशकों के लाखों करोड़ रुपए डूब गए. उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में सिर्फ धनी लोग ही पैसे नहीं लगाते, मध्यम वर्ग के लोग भी पैसे लगाते हैं निवेशकों के हितों की सुरक्षा जरूरी है. कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट सामने आने के बाद बाजार में आई गिरावट के कारणों की जानकारी मांगी. यह भी पूछा कि स्थिति को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए गए?


MCD Mayor Election: एमसीडी मेयर चुनाव के लिए 16 फरवरी को नहीं होगा मतदान, सुप्रीम कोर्ट में 17 को सुनवाई