(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में कांग्रेस ने 100 सवालों का बुकलेट जारी किया, कहा- नए संसद भवन में भी मांगों पर रहेंगे कायम
Adani-Hindenburg Row: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि हम जेपीसी जांच की मांग करते रहेंगे.
Adani-Hindenburg Row: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में एक बार फिर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर गुरुवार (1 जून) को हमला किया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगातार सवाल कर रहे हैं, लेकिन वो इस पर कुछ नहीं बोलते.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बताया कि हमने अडानी मामले पर 100 सवालों से जुड़ी एक किताब लॉन्च की है. इसमें वो सवाल हैं जो कि हमने इस मुद्दे पर फरवरी से अब तक पीएम मोदी से पूछे हैं. उन्होंने कहा, ''अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की मांग से बीजेपी और पीएम मोदी नहीं बच सकते. ये जेपीसी की मांग हम नए संसद भवन में होने वाले मानसून सत्र के दौरान भी उठाएंगे.''
कांग्रेस ने क्या कहा?
जयराम रमेश ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट सीमित तरीके से जांच कर पाएगी. आपको सच्चाई जाननी है तो सिर्फ जेपीसी के रास्ते से ही पूरी सच्चाई सामने आ सकती है. उन्होंने आरोप लगाया कि शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों के लिए नियम होते हैं. इन नियमों से पता चलता था कि विदेशी निवेशकों के पीछे का मुख्य निवेशक कौन है? लेकिन 31 दिसंबर, 2018 को इन नियमों को कमजोर किया गया, फिर 21 अगस्त 2019 को नियमों को हटा दिया गया. इसका फायदा अडानी समूह को दिया गया.
उन्होंने आगे कहा कि सेबी के कागजातों से पता चला है कि 2018 में जिन नियमों में ढील दी गई थी ताकि भारतीय कंपनियों में निवेश से पहले विदेशी फोर्टफोलियो निवेशकों को अपने स्वामित्व की जानकारी देने की जरूरत नहीं पड़ती. क्या इसे फिर से सख्त करने की जरूरत बताई गई है. क्या 2018 के बाद के निवेशकों को भी इस दायरे में लाया जाएगा?
मामला क्या है?
अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अडानी समूह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे. इसके बाद से कांग्रेस लगातार इस मामले को उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है. वहीं अडाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है.
बता दें कि संसद के बजट सत्र में अडानी-हिंडनबर्ग मामले में विपक्षी दलों ने जेपीसी जांच की मांग की थी तो वहीं सरकार राहुल गांधी के लंदन में दी गई स्पीच को लेकर माफी की मांग पर अड़ी थी. इस कारण पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया.