रक्षा मंत्रालय का फैसला, नौसेना के पनडुब्बी प्रोजेक्ट से अडानी ग्रुप को किया बाहर
रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली इस डीएसी में रक्षा राज्यमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव होते हैं. लेकिन अब सीडीएस यानि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को भी इस कमेटी का अहम सदस्य बनाया गया है.
नई दिल्लीः रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के पनडुब्बी प्रोजेक्ट से अडानी ग्रुप को बाहर कर राजनैतिक विवाद को दरकिनार कर दिया है. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने ये नहीं बताया कि किन कारणों से अडानी ग्रुप को बाहर रखा गया है. सूत्रों ने एबीपी न्यूज को पुख्ता जानकारी दी है कि इस प्रोजेक्ट के लिए मझगांव शिपयार्ड और एलएंडटी को स्ट्रेटेजिक पार्टनर के तौर पर चुना गया है.
रक्षा मंत्रालय की सबसे बड़ी कमेटी, रक्षा खरीद परिषद (डिफेंस एक्युजेशन काउंसिल यानि डीएसी) की आज एक अहम बैठक हुई. जिसमें इस बात का फैसला लिया गया कि नौसेना के प्रोजेक्ट-पी75आई(इंडिया) के लिए स्ट्रेटेजिक पार्टनर्स को चुन लिया गया है.
ये पार्टनर किसी विदेशी ओईएम ( ऑरिजनल इक्युपमेंट मैन्युफैक्चरर) यानि कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, आज हुई इस डीएसी में पांच विदेशी कंपनियों को भी रक्षा मंत्रालय ने चुन लिया है.
नहीं तय हुआ है किसे मिलेगा प्रोजेक्ट
इन पांच विदेशी कंपनियों में से किन्ही एक के साथ मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) और एलएंडटी ज्वाइंट वेंचर कर सकते हैं. उसके बाद तय किया जायेगा कि ये प्रोजेक्ट किसे दिया जाएगा यानि एलएंडटी को मिलेगा या एमडीएल को. इस प्रोजेक्ट की कीमत करीब 50 हजार करोड़ रूपये है.
रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली इस डीएसी में रक्षा राज्यमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव होते हैं. लेकिन अब सीडीएस यानि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को भी इस कमेटी का अहम सदस्य बनाया गया है.
जनरल बिपिन रावत ने आज कि इस मीटिंग में सीडीएस के तौर पर पहली बार हिस्सा लिया. सीडीएस के अंतर्गत आने वाले मिलिट्री एफेयर्स डिपार्टमेंट को सेनाओं के हथियारों और दूसरे सैन्य साजो सामान में स्वदेशीकरण अपनाने का एक बड़ा चार्टर दिया गया है.
रक्षा खरीद परिषद ने किया बाहर
आपको बता दें कि जहां एलएंडटी एक प्राईवेट कंपनी है वहीं मझगांव डॉकयार्ड यानि एमडीएल एक सरकारी कंपनी है जिसका मुंबई के करीब मझगांव में डॉकयार्ड है.
हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने इस प्रोजेक्ट की सूची में अडानी ग्रुप को शामिल करने का विरोध किया था. क्योंकि नौसेना ने इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी को तकनीकी कारणों से बाहर कर दिया था. लेकिन रक्षा मंत्रालय ने नौसेना को इस प्रोजेक्ट के लिए एलएंडटी और एमडीएल के साथ अडानी ग्रुप को रखने का आग्रह भी किया था. लेकिन रक्षा खरीद परिषद ने अडानी को अब इस प्रोजेक्ट से पूरी तरह बाहर कर दिया है
वर्ष 2017 में सरकार ने रक्षा खऱीद प्रक्रिया में स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप मॉडल (एसपी मॉडल) को शामिल किया था जिसमें लड़ाकू विमानों से लेकर युद्धपोत और पनडुब्बी तक बनाने में प्राईवेट कंपनियों को शामिल किया गया था. प्राईवेट कंपनियां किसी विदेशी ओईएम के साथ संयुक्त उद्यम लगा सकते हैं. लेकिन उसके लिए शर्त ये है कि उनके द्वारा बनाए जाने वाले हथियार और सैन्य साजो सामान देश में ही तैयार किए जाएंगे.
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 16 पनडुब्बियां हैं जबकि प्रतिद्वंदी पड़ोसी देश,चीन के पास करीब 70 पनडुब्बियां हैं. ऐसे में हिंद महासागर में चीन के दबदबे को जवाब देने के लिए भारत को एक बड़े पनडुब्बी के जंगी बेड़े की जरूरत है. प्रोजेक्ट 75 आई उसी के तहत बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है.
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