लोकसभा में कांग्रेस के नेता बने अधीर रंजन चौधरी जिन्हें मोदी भी मानते हैं 'योद्धा'
बंगाल में ममता बनाम मोदी की लड़ाई या उससे पहले के वाम लहर में भी अधीर रंजन ने हमेशा अपना किला बचा कर रखा. उन्हें स्वच्छ छवि का जुझारू नेता माना जाता है. यूपीए दो के दौरान अधीर रेल राज्य मंत्री थे.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पांचवीं बार लोकसभा सांसद बने अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार कोअधीर रंजन के नाम पर मुहर लगाई. अधीर रंजन पश्चिम बंगाल की बेहरामपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पिछले लोकसभा सत्र के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे निचले सदन में कांग्रेस दल के नेता थे.
लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता के तौर पर अधीर रंजन का नाम चौंकाने वाला है. इस पद के लिए राहुल गांधी से लेकर मनीष तिवारी और शशि थरूर तक के नाम की अटकलें लगाई जा रही थी.
हालांकि अधीर रंजन के नाम को लेकर पहला संकेत तब मिला था जब रविवार को प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा के साथ अधीर और केरल के वरिष्ठ सांसद के सुरेश को भेजा गया. तभी से माना जा रहा था कि लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर या सुरेश में से कोई एक बन सकते हैं. अंत में अधीर रंजन के नाम पर मुहर लगी. सात बार के सांसद के सुरेश को मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) बनाया जा सकता है.
दिलचस्प बात ये है कि इस सर्वदलीय बैठक के खत्म होने के बाद निकलते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधीर रंजन की पीठ थपथपाई थी और मुस्कुराते हुए उन्हें 'योद्धा' बताया था. अधीर को लेकर प्रधानमंत्री के शब्दों से तमाम लोग इत्तफाक रखेंगे. बंगाल में ममता बनाम मोदी की लड़ाई या उससे पहले के वाम लहर में भी अधीर रंजन ने हमेशा अपना किला बचा कर रखा. उन्हें स्वच्छ छवि का जुझारू नेता माना जाता है. यूपीए दो के दौरान अधीर रेल राज्य मंत्री थे.
हालांकि अधीर रंजन को लोकसभा में नेता विपक्ष का पद नहीं मिल पाएगा. वजह ये है कि लोकसभा में कांग्रेस के केवल 52 सांसद हैं. कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल जरूर है लेकिन नियमानुसार नेता विपक्ष के पद के लिए लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या (545) का कम से कम 10% यानी 55 सदस्य जरूरी हैं.
अधीर रंजन को अपने जुझारू छवि को राष्ट्रीय स्तर पर साबित करने का मौका मिला है. ये उनके लिए नई पारी की तरह है क्योंकि पिछले काफी समय से वो हाशिए पर चल रहे थे. अधीर के सामने इस बात की चुनौती होगी कि वो संसद में कांग्रेस के पक्ष को कितनी मजबूती से रख पाते हैं क्योंकि पार्टी के पास संख्या बेहद कम है दूसरी तरफ सरकार के पास बड़ा संख्याबल है.