पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीखों का भले ही ऐलान नहीं हुआ है लेकिन राज्य के सियासी मैदान में उतरने वाले राजनीतिक दल पूरी तरह से अपनी कमर कस चुके हैं. सभी दलों की तरफ से रणनीति बनाई जा रही है. इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में फुरफुरा शरीफ के मौलवी की नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) और कई अन्य पार्टियां राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा होंगी.
वाम मोर्चा और कांग्रेस, सीटों के बंटवारे को लेकर अपने एक समझौते को अंतिम रूप दे चुकी है. एक संवाददाता सम्मेलन में मौजूद वाम मोर्चा के अध्यक्ष विमान बोस ने कहा, ‘‘आगामी विधानसभा चुनाव में हम वाम मोर्चा, कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष मोर्चा के गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे.’’
हुगली जिले में स्थिति फुरफुरा शरीफ के मौलवी ने पिछले महीने आईएसएफ का गठन किया था. चौधरी ने कहा कि न सिर्फ आईएसएफ, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कई अन्य छोटी पार्टियां भी गठबंधन में शामिल होंगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनाव द्विकोणीय मुकाबला नहीं होने जा रहा है, जैसा कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दावा कर रही है. यह त्रिकोणीय मुकाबला होगा और कांग्रेस इस लड़ाई में मजबूत स्थिति में है.’’
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा की सीटें हैं. किसी भी दल को राज्य में सरकार बनाने के लिए 148 सीटों की जरूरत होगी. 2011 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों के गढ़ में ममता बनर्जी ने पहली बार बड़ी सेंध लगाई थी. 34 साल तक सत्ता में रहे वामदलों के गठबंधन को हराकर टीएमसी ने कुल 294 सीटों में से 194 सीटें हासिल की. 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी 211 सीटों जीतकर दूसरी बार राज्य में सरकार बनाई थी. ऐसे में ममता बनर्जी की कोशिश इस बार विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने की रहेगी.
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