ISRO's Aditya L1 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) शनिवार (2 सितंबर 2023) को अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 को पीएसएलवी से प्रक्षेपित कर दिया गया है. सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक भेजने की योजना है. इसरो के मुताबिक, 'आदित्य इसी बिंदु से सूर्य की 1440 तस्वीरें हर दिन भेजेगा, जिससे उनको उसके व्यवहार को समझने में काफी मदद मिलेगी.


विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) के जरिए ये तस्वीरें क्लिक की जाएंगी और फिर पेलोड में लगी कम्यूनिकेशन डिवाइस के जरिए पृथ्वी पर भेज दी जाएगी. वीईएलसी, आदित्य-एल1 पर लगाया गया सबसे बड़ा और टेक्निकल पेलोड है. एक तरह से कह सकते हैं कि यह पेलोड ही इस मिशन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है. इस पेलोड को भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) ने इसरो के साथ मिलकर बनाया है. 


गैलेक्सी में घूम रहे सूर्य की इतनी तस्वीरें कैसे ले पाएगा आदित्य एल1?
लॉन्च होने के बाद जब आदित्य पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचेगा तो उसका पहला लक्ष्य पृथ्वी की धुरी से बाहर निकलना होगा. इसके लिए यह पृथ्वी के कुछ दो-तीन चक्कर लगाएगा उसके बाद इसमें लगे इग्नीशन इसको बूस्ट कर देंगे और यह सूर्य की ओर जाने वाले रास्ते पर बढ़ जाएगा. इस दौरान लगभग 15लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद जब यह एक ऐसी जगह पहुंचेगा जहां पर सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण सामान्य होगा. 


जिस जगह पर यह गुरुत्वाकर्षण बल समान है उसी जगह को वैज्ञानिक ने ‘लैग्रेंजियन-1’ का नाम दिया है. इस जगह से मिल्की वे में 5 हजार किलोमीटर की रफ्तार से अपनी धुरी में भाग रहे सूर्य पर एल1 उन दिनों में भी नजर रख सकेगा जब वह ग्रहण की स्थिति में होगा. यहीं से वीईएलसी का काम शुरू होता है.


ये भी पढ़ें: Aditya-L1 Solar Mission: सूर्य का 'दिन' कितने घंटे का? क्या सूरज के बिना जीवन संभव? ये 10 तथ्य जानना आपके लिए बेहद जरूरी