Aditya L1 Launch Live: सूर्य के सफर पर निकला इसरो का आदित्य L1, पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को दी बधाई
Aditya L1 Launch Mission Live Updates: चंद्रयान-3 की चांद पर फतेह के बाद भारत ने सूरज की ओर छलांग लगा दी है. इसरो ने आज (02 सितंबर) को आदित्य एल1 को लॉन्च कर दिया.
इस बीच, चंद्रमा के ऊपर प्रागन रोवर 100 मीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है और आगे का सफर जारी जारी है. इस बात की जानकारी इसरो ने दी है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "देश को भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य एल1 के सफल प्रक्षेपण पर गर्व और खुशी है. यह अमृत काल के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है."
आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, "आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को अण्डाकार कक्षा में स्थापित किया गया है जो पीएसएलवी ने बहुत ही सटीक ढंग से किया है. मैं आज आदित्य एल1 को सही कक्षा में स्थापित करने के लिए इस तरह के एक अलग मिशन दृष्टिकोण के लिए पीएसएलवी को बधाई देना चाहता हूं."
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आदित्य एल1 मिशन के सफल प्रक्षेपण पर कहा, "जबकि पूरी दुनिया ने इसे सांस रोककर देखा, यह वास्तव में भारत के लिए एक सुखद क्षण है. भारतीय वैज्ञानिक सालों से काम कर रहे थे, दिन-रात मेहनत कर रहे थे, लेकिन अब संकेत का क्षण आया है, राष्ट्र के प्रति प्रतिज्ञा को भुनाने का क्षण आया है.
आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण संपूर्ण विज्ञान और संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण का भी प्रमाण है जिसे हमने अपनी कार्य संस्कृति में अपनाने की कोशिश की है.''
आदित्य एल-1 के सफल प्रक्षेपण पर आदित्य एल-1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर निगार शाजी ने कहा, "यह एक सपने के सच होने जैसा है. मुझे बेहद खुशी है कि आदित्य एल-1 को पीएसएलवी ने इंजेक्ट किया है. आदित्य एल-1 ने अपनी 125 दिनों की लंबी यात्रा शुरू कर दी है. एक बार जब आदित्य एल-1 चालू हो जाएगा तो यह देश और वैश्विक वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक संपत्ति होगी. मैं इस मिशन को संभव बनाने में उनके समर्थन और मार्गदर्शन के लिए पूरी टीम को धन्यवाद देना चाहता हूं."
आदित्य-एल1 ने बिजली पैदा करना शुरू कर दिया. सौर पैनल तैनात हैं. इसरो का कहना है कि कक्षा को ऊपर उठाने के लिए पहली अर्थबाउंड फायरिंग 3 सितंबर को लगभग 11:45 बजे निर्धारित है.
आदित्य-एल1 मिशन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शंकरसुब्रमण्यम के. ने कहा, "सौर हेलियोफिजिक्स और खगोल विज्ञान दोनों डेटा पर पनपते हैं. सूर्य हमारा अपना तारा है और इसे समझना हमारे रोजमर्रा के जीवन के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. इसलिए सात पेलोड की कल्पना की गई थी. इस मिशन के लिए डेटा का एक अनूठा सेट प्रदान किया जाएगा जो वर्तमान में किसी अन्य मिशन से उपलब्ध नहीं है."
आदित्य एल-1 सैटेलाइट को अलग कर दिया गया है. पीएसएलवी सी-57 मिशन आदित्य एल-1 पूरा हुआ. इसरो का कहना है कि पीएसएलवी सी-57 ने आदित्य एल-1 उपग्रह को वांछित मध्यवर्ती कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है.
इसरो के सूर्य मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के पूर्व चेयमैन जी माधवन नायर ने कहा, "पीएसएलवी एक्सएल ने हमेशा की तरह अपना काम किया है. यह एक बहुत ही सटीक प्रक्षेपवक्र था और इसे पृथ्वी की कक्षा के चारों ओर ले जाया गया था. यहां से ... मोटरों को फायर करने के लिए सही दिशा और अभिविन्यास तय किया जाएगा और फिर बाद में लैग्रेंजियन प्वाइंट तक अपनी यात्रा शुरू करने के लिए दोनों अंतरिक्ष यान पर थ्रस्टर्स को संचालित करने के लिए आदेश जारी किए जाएंगे. यह एक ऐसा बिंदु है जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र एक दूसरे को रद्द कर देते हैं. न्यूनतम ऊर्जा के साथ, हम अंतरिक्ष यान को वहां स्थापित करने में सक्षम होंगे. यह सूर्य के निरंतर अवलोकन और पृथ्वी ग्रह के साथ संचार का अवसर प्रदान करता है. इसका मतलब है कि यह अंतरिक्ष में एक स्थायी वेधशाला होने जा रही है. यात्रा वास्तव में कठिन होने वाली है. हमें अंतरिक्ष यान के प्रक्षेप पथ पर कड़ी नजर रखनी होगी. आवश्यकता पड़ने पर बिट कोर्स सुधार दें और अंत में लैग्रेंजियन प्वाइंट पर पहुंचें. वहां पहुंचने के बाद उपकरणों को चालू कर दिया जाएगा. सूर्य का अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीवन के निर्वाह के लिए ऊर्जा का स्रोत है."
आदित्य एल1 की लॉन्चिंग पर इसरो ने कहा, "पीएसएलवी-सी57 ने आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक कर लिया है. यान ने उपग्रह को ठीक उसकी इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया है. भारत की पहली सौर वेधशाला ने सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु के गंतव्य के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, "संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे."
श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लेकर इसरो के पीएसएलवी रॉकेट ने जैसे ही उड़ान भरी, उसी दौरान भीड़ ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए.
श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लेकर इसरो के पीएसएलवी रॉकेट ने जैसे ही उड़ान भरी, उसी दौरान भीड़ ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए.
आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में इकट्ठे हुए लोगों ने कहा, "हम इसे देखने के लिए दूर-दूर से आए हैं. ये हमारे लिए एक अविस्मरणीय पल था. ये (आदित्य एल-1) जा रहा है. ये एक अद्भुत एहसास है कि हम नासा जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों को प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं. हम वास्तव में उत्साहित हैं."
इसरो के आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को कवर करने वाला पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही अलग हो गया है. फिलहाल इसरो के अनुसार तीसरा चरण अलग कर दिया गया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 लॉन्च किया. सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है.
इसरो के सौर मिशन आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं.
इसरो के आदित्य एल1 मिशन की लॉन्चिंग कुछ मिनटों बाद होने वाली है. इसकी उलटी गिनती शुरू हो गई है. इसका लाइव टेलीकास्ट यहां देखा जा सकता है.
सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल-1 मिशन पर इसरो के पूर्व चेयमैन जी. माधवन नायर ने कहा, "ये मिशन बहुत महत्वपूर्ण है. आदित्य एल-1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 के आसपास रखा जाएगा, जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाता है और न्यूनतम ईंधन के साथ, हम वहां अंतरिक्ष यान बनाए रख सकते हैं. इसके अलावा 24 घंटे सातों दिन ऑब्जर्वेशन संभव है. अंतरिक्ष यान में सात उपकरण लगाए गए हैं. इस मिशन का डेटा वायुमंडल में होने वाली विभिन्न घटनाओं, जलवायु परिवर्तन अध्ययन आदि को समझाने में मदद करेगा."
आदित्य एल1 मिशन पर भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज ने कहा, "हम सभी लॉन्च को लेकर बहुत उत्साहित हैं. ये सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का एक बहुत ही अनोखा मिशन है. आदित्य एल1 पर मौजूद सभी प्रयोगों को चालू करने में शायद एक महीने का समय लगेगा. उसके बाद, हम लगातार सूर्य की ओर देखना शुरू कर सकेंगे."
सूर्य की स्टडी करने के लिए इसरो के आदित्य एल-1 मिशन के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में स्कूली छात्र भी पहुंचे हैं.
इसरो के आदित्य एल1 लॉन्च पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के रिटायर्ड प्रोफेसर मयंक एन वाहिया ने कहा, "आदित्य एल1 से पहले एल1 प्वाइंट पर आखिरी मिशन पांच पहले गया था. ये नई पीढ़ी का नया मिशन होगा. ये मिशन ऑप्टिकल, यूवी और एक्स-रे में एक साथ सूर्य का निरीक्षण करेगा."
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा, "हमने इस विशेष मिशन पर मुख्य उपकरण वितरित किया है जो कि विज़िबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है. इससे हर समय पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और चूंकि ये एल1 में है, जहां से ये सूर्य का अबाधित दृश्य देगा. इसमें सूर्य हर समय ग्रहण में दिखाई देगा। यह पहला मिशन होगा जो कोरोना के सबसे अंदरूनी हिस्से पर नज़र डालेगा."
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा, "हमने इस विशेष मिशन पर मुख्य उपकरण वितरित किया है जो कि विज़िबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है. इससे हर समय पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और चूंकि ये एल1 में है, जहां से ये सूर्य का अबाधित दृश्य देगा. इसमें सूर्य हर समय ग्रहण में दिखाई देगा। यह पहला मिशन होगा जो कोरोना के सबसे अंदरूनी हिस्से पर नज़र डालेगा."
आदित्य एल1 की लॉन्चिंग कुछ घंटो बाद होने वाली है. इसको लेकर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा, "यह इसरो और भारत के लिए एक बड़ा कदम है. नई अंतरिक्ष नीति के साथ, ये स्पष्ट कर दिया गया है कि इसरो अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक बड़ी भूमिका निभाएगा. तो, इसरो ने स्पष्ट रूप से एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है."
जवाहरलाल नेहरू तारामंडल दिल्ली में प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने आदित्य एल1 पर कहा, 'दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां पहले ही सूर्य पर अवलोकन कर चुकी हैं. भारत के पास सूर्य की वेधशाला नहीं है. आदित्य एल1 के साथ भारत सूर्य पर भी अवलोकन कर सकेगा जिससे हमें अंतरिक्ष के मौसम और आगामी अंतरिक्ष अभियानों को समझने में मदद मिलेगी.''
खगोलशास्त्री और प्रोफेसर आरसी कपूर ने आदित्य एल1 लॉन्च पर कहा, "यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. आदित्य एल1 पर सबसे महत्वपूर्ण उपकरण सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा. आम तौर पर, जिसका अध्ययन केवल पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही किया जा सकता है."
आदित्य एल 1 मिशन पर पद्म श्री पुरस्कार विजेता और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने कहा, "एल 1 प्वाइंट हासिल करना और उसके चारों ओर एक कक्षा बनाना और बहुत सटीक खोज के साथ पांच सालों तक जीवित रहना तकनीकी रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है. ये वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद होने वाला है क्योंकि सात उपकरण वहां जो हो रहा है उसकी गतिशीलता और घटनाओं को समझने की कोशिश करेंगे."
अमेरिका- पायनियर 5- 1960, जर्मनी और अमेरिका का मिशन- हेलिओस- 1974, जापान- हिनोटोरी- 1981, यूरोपियन स्पेस एजेंसी- यूलिसिस- 1990 और चीन- AS0S- 2022
पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) 30 साल से ISRO के सैटेलाइट अंतरिक्ष में ले जा रहा है. पीएसएलवी आदित्य L-1 को पृथ्वी की कक्षा से बाहर ले जाएगा. इसे ISRO का 'वर्कहॉर्स' कहा जाता है. पीएसएलवी ने 104 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. साल 2008 में चंद्रयान, 2013 में मंगलयान लेकर गया. ये ISRO का सबसे भरोसेमंद रॉकेट और 59वें मिशन पर आज आदित्य L-1 लेकर जाएगा. इसकी क्षमता 600 किमी तक 1750 किलो वजन ले जानी की है.
आज श्रीहरिकोटा से इसरो के आदित्य एल1 मिशन की सफल लॉन्चिंग के लिए वाराणसी में हवन किया जा रहा है.
आदित्य एल1 मिशन की लॉन्चिंग देखने के लिए चेन्नई से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंची महिला ने कहा, “हमें भारतीय होने पर बहुत गर्व है, हम लॉन्चिंग देखने के लिए यहां आकर बहुत खुश हैं. ये पहली बार है, मैं यहां आई हूं. हम अपनी खुशी बयां नहीं कर सकते.”
सूरज के बारे में जानने के लिए पहली बार नासा ने साल 1960 में पायनियर-5 को लॉन्च किया था. मौजूदा समय में 4 अतरिक्ष मिशन लैग्रेंज प्वाइंट के पास हैं. साल 2021 में पार्कर सोलर प्रोब कोरोना से गुजरा था जो सबसे करीब था. सबसे सस्ता सोलर मिशन भारत का है जिसकी लागत लगभग 379 करोड़ रुपये है. 27 साल से L-1 पर नासा-यूरोपियन एजेंसी के सैटेलाइट हैं.
सूर्ययान का L-1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच काल्पनिक बिंदु है जो पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पृथ्वी-सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति लगभग असर नहीं करती. कम ईंधन की खपत से काफी वक्त मिलेगा. ग्रहण के दौरान सूर्य छुपेगा नहीं, 24 घंटे नजर आएगा. सूर्य से निकलने वाले तूफान यहीं से गुजरते हैं. वैज्ञानिक लुई लैग्रेंज के सम्मान में इसका नाम रखा गया. नासा-यूरोपियन एजेंसी के सैटेलाइट 27 साल से यहां पर हैं.
इसरो के सूर्य मिशन का मकसद सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और हवाओं की स्टडी, सौर वायुमंडल को समझने की कोशिश, सौर तूफानों के आने की वजह का पता लगाना, सौर लहरों और धरती के वायुमंडल पर उनके असर का पता लगाना और अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता का पता लगाना है.
भारत अगले कुछ महीनों में सूरज तक का सफर तय कर लेगा. इसके लिए इसरो आदित्य एल1 मिशन लॉन्च कर रहा है. इसका मकसद सूरज का अध्ययन करना है. आदित्य एल1 अपनी मंजिल लैग्रेंज- प्वाइंट पर पहुंचेगा जिसकी दूरी 15 लाख किमी है. इसे पहुंचने में 127 दिन लगेंगे और इसका बजट लगभग 379 करोड़ रुपये है.
धरती से सूरज तक का सफर पांच चरणों में होगा जिसमें पहला फेज- PSLV रॉकेट से लॉन्च, दूसरा फेज- पृथ्वी के चारों और ऑर्बिट का विस्तार, तीसरा फेज- स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर, चौथा फेज- क्रूज फेज और पांचवां फेज- हैलो ऑर्बिट L1 प्वाइंट है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज श्रीहरिकोटा से आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च करेगा. जिसकी तैयारियां कर ली गई हैं.
बैकग्राउंड
Aditya L1 Launch Live: सतीश धवन स्पेस सेंटर से ISRO ने अपने पहले सोलर मिशन को लॉन्च कर दिया है. 10 दिन पहले ही भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी में अपना लोहा मनवाया था. जब भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बना. हमारा मिशन चंद्रयान अब भी जारी है लेकिन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के 50 दिनों बाद ISRO का मिशन आदित्य L1 सूरज के सफर के लिए निकल चुका है. भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में अगला विलक्षण कदम रख दिया है. अब सूरज की बारी है. ये देश का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य की रिसर्च से जुड़ा हुआ है.
आदित्य L1 मिशन का काम सूर्य के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करना होगा. इससे सूरज की बाहरी परत की जानकारियां जुटाई जाएंगी. आदित्य L1 एक सैटेलाइट है. जिसे 15 लाख किलोमीटर दूर भेजा गया है. सैटेलाइट को L1 यानि लैग्रेंज प्वाइंट 1 में स्थापित करना है. बिना ग्रैविटी वाले क्षेत्र को 'लैग्रेंज प्वाइंट' कहते हैं. इसी L1 प्वाइंट पर आदित्य L1 सूर्य के चक्कर लगाएगा. क्योंकि L1 प्वाइंट से सैटेलाइट पर सूर्य ग्रहण का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा.
जहां इस उपग्रह को स्थापित किया जाएगा वह गुरुत्वाकर्षण से बाहर का क्षेत्र होगा वहां उसे न सूरज अपनी तरफ खींचेंगा न पृथ्वी. भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य L1 एक खिड़की की तरह सूरज के रहस्य खोलेगा और उसी खिड़की से सूरज की जानकारियां हमतक पहुंचाएगा. लॉन्चिंग से लेकर ऑर्बिट इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया में तीन चरण होंगे.
पहला फेज, PSLV रॉकेट की लॉन्चिंग थी. पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल यानि PSLV से सैटेलाइट लॉन्च किया गया. इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाया जाएगा. दूसरा फेज होगा पृथ्वी के चारों ओर आदित्य L-1 की ऑर्बिट को सिलसिलेवार बढ़ाना और सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालना. तीसरा फेज होगा सूर्ययान को पृथ्वी के ग्रैविटी से बाहर निकालना. इसके बाद आखिरी पड़ाव यानी L1 में सैटेलाइट स्थापित की जाएगी. आदित्य L1 का काम पृथ्वी से निकलकर लैग्रैंज प्वाइंट तक पहुंचना है और इस प्रक्रिया में 125 दिन यानी करीब 4 महीने का वक्त लगेगा.
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