Aditya L1 Launch Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) शनिवार (2 सितंबर 2023) को सूर्य की वैज्ञानिक खोज के लिए मिशन लॉन्च कर दिया है. पीएसएलवी सी57 रॉकेट के जरिए सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. सूर्य मिशन को अपनी तय जगह तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. इस महत्वाकांक्षी मिशन की अध्यक्षता डॉ. शंकर सुब्रमण्यम के कर रहे हैं.
डा शंकर सुब्रमण्यम इसरो के वरिष्ठतम वैज्ञानिकों में से एक हैं और उन्होंने इसरो के कई बड़े मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने बेंगलुरु में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) में सौर अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल की है. उन्होंने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के माध्यम से बैंगलोर विश्वविद्यालय से फिजिक्स में पीएचडी की है. उनका शोध सोलर मैग्नेटिक क्षेत्र में प्रकाशिकी और इंस्ट्रुमेंटेशन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित रहा है.
इसरो के कई मिशनों को अंजाम तक पहुंचा चुके हैं
डॉ. शंकरसुब्रमण्यम इसरो के एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 सहित कई अहम मिशन में जरूरी भूमिकाएं निभा चुके हैं. मौजूदा समय में वह यूआरएससी में स्पेस एस्ट्रोनॉमी ग्रुप (एसएजी) का नेतृत्व कर रहे हैं. यह समूह आगामी मिशनों जैसे आदित्य-एल1, एक्सपीओसैट और चंद्रयान-3 के इग्नीशन मॉड्यूल के लिए वैज्ञानिक उपकरण बना रहा है.
क्या है इसरो का मिशन 'आदित्य एल1'?
इसरो का मिशन आदित्य एल1 सूर्य की बाहरी परत में उष्मा के कारणों का पता लगाएगा. इसको सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु पर तैनात किया जाएगा. इसरो ने कहा, 'इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा.' इसरो का कहना है कि चूंकि सूर्य सबसे निकटतम तारा है इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. इसके बारे में जानने से अन्य आकाश गंगाओं के समान तारों के बारे में जानकारी इकट्ठा की जा सकेगी.
L1 तक कैसे पहुंचेगा इसरो का आदित्य?
आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा और बाद में इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1’ की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा. जैसे ही अंतरिक्ष यान ‘एल1’ की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा.
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में, अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे इच्छित एल1 बिंदु तक पहुँचने में लगभग चार महीने लगेंगे.