सूरज के दरवाजे पर पहुंचा आदित्य एल1, हेलो ऑर्बिट में स्पेसक्राफ्ट ने की एंट्री, जानें अब आगे क्या होगा
Aditya L1 Mission: आदित्य-एल1 को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर अपनी गंतव्य कक्षा लैग्रेंज प्वाइंट -1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है.
Aditya L1 Mission: भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार (6 जनवरी) को अपने सूर्य मिशन आदित्य-एल1 को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर अपनी गंतव्य कक्षा लैग्रेंज प्वाइंट -1 में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है. 'एल1 प्वाइंट' पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है.
आदित्य-एल1, सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला (First Space-based Indian Observatory) के रूप में कार्य करेगा. इसरो के अधिकारियों के अनुसार, L1 प्वाइंट के चारों ओर हेलो कक्षा (Halo Orbit) में एक उपग्रह को बिना किसी बाधा या ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने की बड़ी सुविधा होती है.
इसरो ने दिया बड़ा अपडेट
इसरो ने एक बयान में कहा कि आदित्य-एल1 का हेलो-ऑर्बिट इंसर्शन (HOI) 6 जनवरी, 2024 को शाम करीब 4 बजे प्रभामंडल कक्षा में स्थापित हो गया. इसरो ने एक बयान में कहा कि आदित्य-एल1 का हेलो-ऑर्बिट इंसर्शन (HOI) 6 जनवरी, 2024 को शाम करीब 4 बजे प्रभामंडल कक्षा में स्थापित हो गया.
स्पेस एजेंसी ने बताया कि लक्ष्य के आखिरी चरण में थोड़े समय के लिए नियंत्रण इंजनों को फायर करना शामिल रहा. इस तरह के प्रवेश की सफलता न केवल ऐसे जटिल कक्षीय दांवपेच में इसरो की क्षमताओं को दर्शाती है, बल्कि यह भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों को संभालने का आत्मविश्वास भी पैदा करती है.
आदित्य एल1 मिशन आगे क्या करेगा?
अधिकारियों के अनुसार, आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान अब क्रूज चरण से ऑर्बिट फेज में अपना ट्रांजिशन शुरू करेगा, जिसके बाद यह सूर्य का अवलोकन करने का शुरुआत हो सकेगी. साथ ही उससे निकलने वाली तमाम तरह की चीजों की खोजबीन करेगा.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि "हेलो ऑर्बिट स्थापित हो चुका है. यह आदित्य एल1 की यात्रा में बेहद ही खास और अहम क्षण है. अब इसके ट्रांजिशन के दौरान, हम सभी साइंस ऑपरेशंस करने में सक्षम होंगे. हम इंस्ट्रूमेंट ऑपरेशंस की प्रतीक्षा कर रहे हैं."
आदित्य एल-1 को कक्षा में पहुंचने में लगा 4 माह का वक्त
आदित्य एल-1 को लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 (एल1) तक पहुंचने में करीब 4 माह का वक्त लगा है. इस दौरान इसने 15 लाख किलोमीटर का सफर तय किया है. चंद्रयान-3 की तरह यह भी अलग-अलग ऑर्बिट से गुजरकर अपने गंतव्य तक पहुंचा है. आदित्य एल-1 को भी सीधे नहीं भेजा गया था.
पीएम मोदी ने दी वैज्ञानिकों को बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शनिवार को वैज्ञानिकों को उनकी 'असाधारण उपलब्धि' के लिए बधाई दी. पीएम मोदी ने 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा, ''भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.''
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मून वॉक से लेकर सन डांस तक भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा.
'भारत के पास अंतरिक्ष में 50 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति'
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि भारत के पास अंतरिक्ष में 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है जिसमें 50 से अधिक परिचालन उपग्रह भी शामिल हैं जिनको सूर्य के प्रकोप से बचाने की जरूरत है.
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