Aditya-L1 Mission Launch: चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग के साथ सूरज की तरफ छलांग लगा दी है. भारत का ये पहला सूर्य मिशन है. आदित्य-एल1 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया, जिसे सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है. इसरो ने इसकी जानकारी दी है.


आदित्य-एल1 को इसरो के पॉवर हॉर्स रॉकेट पीएसएलवी की मदद से लॉन्च किया गया, जिसने इसे धरती की कक्षा में प्रक्षेपित किया. ये अंडाकार कक्षा है, जिसमें पेरिजी (पृथ्वी का निकटतम बिंदु) 235 किमी और एपोजी (सबसे दूर बिंदु) 19000 किमी से अधिक होगी. आमतौर पर पीएसएलवी को किसी स्पेसक्रॉफ्ट को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने में 25 मिनट लगते हैं, लेकिन यहां आदित्य-एल1 को यहां तक पहुंचने में 63 मिनट लगे. ऐसे में सवाल उठता है कि इस देरी की वजह क्या है.


पीएसएलवी के लंबे मिशनों में से एक


ये PSLV के अबतक के सबसे लंबे मिशनों में से एक रहा. इसके पहले फरवरी 2021 में पीएसएलवी ने ब्राजील ने अमेजोनिया और 18 अन्य सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने में 1 घंटे 55 मिनट से अधिक का समय लिया था, जबकि 2016 के एक मिशन में 8 सैटेलाइट को स्थापित करने में 2 घंटे 15 मिनट लगा था. यहां ये बात समझने की है कि इन मिशनों में कई सैटेलाइट और ऑर्बिट शामिल थीं, जबकि आदित्य-एल1 अकेला है.


क्यों लगी पहुंचने में देरी? 


आदित्य-एल1 के कक्षा में स्थापित होने को लेकर होने वाली देरी पर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर एस उन्नीकृष्णन नायर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, स्पेसक्रॉफ्ट को एक विशिष्ट एओपी (आर्गुमेंट ऑफ पेरिजी) की मांग करता है. एओपी को पूरा करने के लिए हम पीएसएलवी के अंतिम चरण (पीएस4) को एक बार में फायर नहीं कर रहे हैं. 


उन्होंने कहा, जब हम सामान्य कक्षा में पहुंचते हैं तो पीएस4 को 30 सेकंड के लिए फायर किया जाता है और जब तक हमें स्वाभाविक रूप से आवश्यक एओपी नहीं मिल जाता तब तक वह वहीं रहता है. फिर, अलग होने से पहले पीएस4 को फिर से सक्रिय किया जाता है. आदित्य-एल1 63 मिनट पर अलग हो रहा है, क्योंकि पीएस4 निर्धारित एओपी हासिल करने के बाद ही अलग होता है.


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