Aditya L1 Mission Update: इसरो का चर्चित सूर्य मिशन आदित्य L1 लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. अब आदित्य L1 ने पृथ्वी के आखिरी ऑर्बिट को अलविदा कह दिया है और सूरज की ओर बढ़ चला है. इसने धरती और सूरज के बीच लांग्रेजियन प्वाइंट 1 ( L1) पर पहुंचने के लिए सफलतापूर्वक कक्षा बदल ली है.
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि रात 2:00 बजे ऑर्बिट बदलने की प्रक्रिया पूरी हुई है. इसरो कहा, "आदित्य L1 ने ट्रांस लांग्रेजियन प्वाइंट 1 इंसर्सन (TL1I) मैन्युवर को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और L1 की ओर जाने वाली राह पर है. इसे 110 दिनों के बाद एक प्रक्रिया के माध्यम से L1 के आसपास की कक्षा में स्थापित किया जाएगा."
इसरो ने यह भी बताया है कि धरती के अलावा अंतरिक्ष में किसी दूसरे खगोलीय पिंड के लिए यह पांचवीं सफल यात्रा है. इसके पहले तीन बार चांद पर और एक बार मंगल ग्रह पर इसरो ने अंतरिक्ष यान भेजा है.
सरल शब्दों में समझें क्या होता है L1 प्वाइंट
दरअसल L-1 प्वाइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में स्थित है, जहां सूरज और पृथ्वी की ग्रेविटी एक दूसरे के समान होती है. इसीलिए यहां मौजूद कोई भी चीज बिना ईंधन खर्च किए अपनी जगह पर लंबे समय तक बनी रह सकती है. यहां से किसी भी वस्तु के अंतरिक्ष के अनंत सफर पर भटकने का खतरा नहीं रहता. अगर यहां मौजूद किसी वस्तु को कोई धक्का भी दे दे तो वापस अपनी जगह पर आ जाएगी. यह ऐसा बिंदु है जहां किसी भी खगोलीय पिंड की छाया नहीं पड़ती, जिसकी वजह से 24 घंटे सूर्य की रोशनी पड़ती है. इसलिए आदित्य L1 को यहां स्थापित करके सौर अध्ययन किया जाएगा.
सूरज के अध्ययन का भारत का पहला मिशन
3 सितंबर को इसरो ने आदित्य L1 को लॉन्च किया था. इसे गंतव्य पर पहुंचने में करीब 120 दिन लगने है. सूर्य की ऊपरी सतह के गहन अध्ययन के लिए इसमें सात अलग-अलग पेलोड लगाए गए हैं. इसे इसरो के साथ मिलकर दो स्वदेशी संस्थाओं ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है. मिशन का मुख्य मकसद सूरज के ऊपरी सतह के अध्ययन के साथ ही सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष के मौसम के प्रभाव का अध्ययन करना है.
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