ISRO Solar Mission: आदित्य एल1 ने सूरज की ओर बढ़ाया तीसरा कदम, जानें क्या होगा इसरो के 'सूर्यरथ' का अगला प्रोसेस
Aditya-L1 Solar Mission: आदित्य- एल1 296 किलोमीटर की पेरीजी (निकटतम दूरी) और 71,767 किलोमीटर की अपेजी (अधिकतम दूरी) में पहुंच चुका है.
Aditya-L1 Mission: इसरो के सोलर मिशन आदित्य एल-1 ने पृथ्वी की कक्षा का तीसरा चक्कर (मैन्यूवर) पूरा कर लिया है. तीसरे मैन्यूवर के बाद अब आदित्य एल-1 296x 71,767 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चक्कर काट रहा है. यानी इसरो का 'सोलर यान' अब पृथ्वी से सबसे निकटतम 296 किलोमीटर और सबसे अधिकतम 71,767 किलोमीटर की दूरी पर है.
इसरो ने रविवार को इसकी जानकारी दी. स्पेस एजेंसी ने एक्स पर लिखा, "रविवार का ऑपरेशन 2.30 बजे पूरा हुआ. मॉरीशस, बेंगलुरु, एसडीएससी-शार (श्रीहरिकोटा) और पोर्ट ब्लेयर के ग्राउंड स्टेशनों ने इस ऑपरेशन के दौरान उपग्रह को ट्रैक किया."
इसरो के मुताबिक, 15 सितंबर सुबह 2 बजे उपग्रह आदित्य एल1 को चौथी कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद आदित्य एल1 को एक और बार कक्षा बदलना पड़ेगा. इसके बाद उपग्रह ट्रांस-लैंग्रेजियन1 कक्षा में चला जाएगा. 18 सितंबर को आदित्य एल1 धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर चला जाएगा, इस प्वाइंट को धरती का एग्जिट प्वाइंट कहा जाता है, क्योंकि यहां के बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव काफी कम हो जाएगा.
Aditya-L1 Mission:
— ISRO (@isro) September 9, 2023
The third Earth-bound maneuvre (EBN#3) is performed successfully from ISTRAC, Bengaluru.
ISRO's ground stations at Mauritius, Bengaluru, SDSC-SHAR and Port Blair tracked the satellite during this operation.
The new orbit attained is 296 km x 71767 km.… pic.twitter.com/r9a8xwQ4My
स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से निकलने के बाद क्रूज फेज की शुरुआत होगी, यहां से आदित्य एल-1 लैंग्रेज प्वाइंट की तरफ अपना रूख करेगा. फिर हैलो ऑर्बिट की ओर आदित्य एल-1 जाएगा, यहां कुछ मैन्यूवर के बाद उपग्रह एल-1 की कक्षा में दाखिल होगा.
आदित्य ने ली सेल्फी
इससे पहले आदित्य एल1 ने एक सेल्फी खींची थी जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई. इसमें उसके पेलोड्स (वेल्क और सूट) दिख रहे थे. इसके अलावा एक फोटो में उपग्रह ने पृथ्वी और चांद की एक साथ फोटो खींची थी.
क्यों भेजा गया आदित्य एल-1?
सूर्य के वातावरण से निकलकर अंतरिक्ष में फैलने वाले कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफानों में कई तरह के रेडियोएक्टिव तत्व होते हैं, जो पृथ्वी के लिहाज से नुकसानदेह होते हैं. सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी के बाहरी वायुमंडल में चक्कर काट रही सैटेलाइट में खराबी आ सकती है.
इसके अलावा अगर कोरोनल मास इजेक्शन और सौर तूफान धरती के वातावरण में दाखिल हो जाए तब पृथ्वी पर शार्ट वेब कम्यूनिकेशन, मोबाइल सिग्नल, इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ने की संभावनाएं होती हैं. इसलिए इसरो सूर्य को पढ़ना चाहता है.
आदित्य एल1 की मदद से पृथ्वी को सूर्य के 'प्रकोप' में मदद मिलेगी और सूर्य से आने वाले सौर तूफान या कोरोनल मास इजेक्शन की जानकारी भी समय रहते मिल सकेगी ताकि कोई एहतियाती कदम उठाया जा सके.
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