एक्सप्लोरर

Aditya-L1 Mission: चंद्रमा की तरह नहीं हो सकती लैंडिंग तो सूरज के कितने पास तक जाएगा आदित्य-एल1? जानें सबकुछ

ISRO Solar Mission: भारत चंद्रयान-3 के बाद अपने सूर्य मिशन 'आदित्य-एल1' के रूप में अंतरिक्ष में एक और बड़ी सफलता के बेहद करीब है. दो सितंबर को लॉन्च है. आइये जानते हैं इस मिशन से जुड़ी बड़ी बातें.

Aditya-L1 Solar Mission: भारत के चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' की सफलता के बाद अब सूर्य मिशन 'आदित्य-एल1' की बारी है. चंद्रयान-3 की सफलता के कारण वैज्ञानिकों और देशवासियों में भारी उत्साह है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आदित्य-एल1 को प्रक्षेपित (लॉन्च) किए जाने की तारीख की घोषणा सोमवार (28 अगस्त) को कर दी. इसरो के मुताबिक, आदित्य-एल 1 को 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C57) के जरिये आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा.

चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तरह सूर्य पर कोई स्पेसशिप नहीं उतर सकता है, इसलिए आदित्य-एल1 सूर्य के कितने पास तक जाएगा, यह जानना दिलचस्प होगा. इसके अलावा, इसरो इस मिशन को क्यों लॉन्च कर रहा है, इससे क्या कुछ फायदा होगा, आइये जानते हैं सबकुछ.

क्यों नहीं हो सकती है सूर्य पर लैंडिंग?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के अनुसार सूर्य के केंद्र बिंदु (Core) का तापमान 27 मिलियन डिग्री फारेनहाइट (15 मिलियन डिग्री सेल्सियस) है और इसकी सतह का तापमान करीब 10 हजार डिग्री फारेनहाइट यानी लगभग साढ़े पांच हजार डिग्री सेल्सियस है.  

विशेषज्ञों के अनुसार, सूर्य की बनावट कुछ इस तरह है कि सबसे बाहरी हिस्सा कोरोना कहलाता है, उसके बाद क्रोमोस्फीयर की परत है, फिर फोटोस्फीयर, उसके बाद कन्वेक्शन जोन (संवहन क्षेत्र), उसके बाद रेडियोएक्टिव जोन और फिर कोर यानी केंद्र बिंदू है. 

अगर सूर्य के फोटोस्फीयर तक पहुंचा जाए तो गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण किसी भी चीज का वजन पृथ्वी पर मौजूद वजन से 26 गुना ज्यादा हो जाएगा. अगर इससे भी अंदर जाया जाए तो कन्वेंक्शन (संवहन क्षेत्र) सेंटर आ जाएगा और यहां का तापमान 2 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. पृथ्वी पर कोई भी सामग्री इतने ऊंचे तापमान का सामना नहीं कर सकती है. इस बिंदु पर कोई भी अंतरिक्ष यान पिघलकर एकदम शून्य यानी खत्म हो जाएगा.

नासा करता है सूर्य को छूने का दावा 

नासा दावा करता है कि उसका 'पार्कर सोलर प्रोब' नामक मिशन सूर्य के सबसे करीब पहुंचा है. नासा ने इसे 2018 में लॉन्च किया था. 14 दिसंबर 2021 को नासा ने घोषणा की थी उसके अंतरिक्ष यान (पार्कर सोलर प्रोब) ने पहली बार सूर्य को छुआ, जहां का वातावरण लगभग 2 मिलियन डिग्री फारेनहाइट है. दावा किया गया कि इस अंतरिक्ष यान ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल (कोरोना) से होकर उड़ान भरी. यह सूर्य की सतह से लगभग 6.2 मिलियन किलोमीटर के करीब पहुंचा था.

आदित्य-एल1 में 'L1' क्या है?

जैसा कि इसरो के सूर्य मिशन का नाम आदित्य-एल1 है, इसके नाम से ही इसका उद्देश्य पता चलता है. L1 का मतलब 'लाग्रेंज बिंदु 1' है. इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ लुई लाग्रेंज के नाम पर अंतरिक्ष में कुछ बिंदुओं (जगहों) के नाम 'लाग्रेंज' बिंदु के रूप में पड़े. कोई लाग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वो स्थान हैं, जहां दो बड़े पिंडों (सूर्य-पृथ्वी) का गुरुत्वाकर्षण आपस में बैलेंस हो जाता है. एक प्रकार से लाग्रेंज बिंदु किसी अंतरिक्ष यान के लिए पार्किंग स्थल का काम करते हैं. यहां किसी अंतरिक्ष यान को वर्षों तक रखा जा सकता है और उनके जरिये परीक्षण किया जा सकता है.

पृथ्वी, सूर्य और चंद्र को मिलाकर इस प्रणाली में पांच लाग्रेंज (L1, L2, L3, L4, L5) बिंदु हैं. L3 सूर्य की दूसरी तरफ है, इसलिए वह धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों के लिए किसी काम का नहीं है. L1 और L2 पृथ्वी के पास हैं. पूरे समय सूर्य का अध्ययन करने के लिए सबसे उपयुक्त L1 बिंदु है. इसीलिए इसरो ने अपने अंतरिक्ष यान को L1 बिंदु पर भेज रहा है. चूंकि सूर्य को आदित्य भी कहते हैं, इसलिए इस मिशन का नाम 'आदित्य-एल1' है.

सूर्य के कितने पास जाएगा भारत का आदित्य-एल1?

भारत का सूर्य मिशन आदित्य-एल1 सूर्य के कितने पास जाएगा, इसका अंदाजा लगाने के लिए धरती से सूरज की दूरी समझनी होगी. नासा के मुताबिक, पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी 93 मिलियन मील यानी लगभग 150 मिलियन किलोमीटर (1500 लाख किमी) (करीब 15 करोड़ किलोमीटर) है. इसे 1 खगोलीय इकाई (Astronomical Unit) के बराबर बताया जाता है. दरअसल, वैज्ञानिकों ने विशाल संख्याओं को लिखने के विकल्प के रूप में एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट (AU) की खोज की थी. एक एयू बराबर 93 मिलियन मील यानी 15 करोड़ किलोमीटर होता है. 

इसरो के मुताबिक, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा. अंतरिक्ष का यह क्षेत्र पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) किलोमीटर दूर है. चूंकि धरती से सूर्य की दूरी 1500 लाख किलोमीटर है, इसमें से लाग्रेंज बिंदू 1 की दूरी 15 लाख किमी घटा दी जाए तो यह अंतरिक्ष यान सूर्य से करीब 1485 लाख किलोमीटर दूर से उसका अध्ययन करेगा. 

L1 बिंदु के चारों ओर की प्रभामंडल कक्षा में सैटेलाइट को रखने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यह सूर्य को बगैर किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है. इससे रियल टाइम (वास्तविक समय) में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर पड़ने वाले उनके प्रभाव को देखने का काफी फायदा मिलेगा.

आदित्य-एल 1 में सात पेलोड होंगे. इसरो के मुताबिक, इनमें 7 पेलोड में से 4 रिमोट सेंसिंग पेलोड और 3 इन-सीटू (यथास्थान) पेलोड होंगे. ये पेलोड इलेक्ट्रो मैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स का इस्तेमाल करते हुए सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का अध्ययन करेंगे. सुविधाजनक L1 बिंदु का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और बाकी तीन पेलोड लाग्रेंज बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का यथास्थान (इन-सीटू) अध्ययन करेंगे.

यह भी पढ़ें- Chandrayaan 3 Updates: जब चांद पर गहरे गड्ढे के पास जा पहुंचा प्रज्ञान रोवर, ISRO ने जारी की तस्वीरें

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

यूपी-बिहार, दिल्ली समेत उत्तर भारत में कब और कितनी पड़ेगी ठंड, ताजा अलर्ट में चल गया पता
यूपी-बिहार, दिल्ली समेत उत्तर भारत में कब और कितनी पड़ेगी ठंड, ताजा अलर्ट में चल गया पता
तिरुमाला मंदिर के लड्डू के लिए कितनी है गाय के घी की खपत, लाखों टन हो जाता है हवा
तिरुमाला मंदिर के लड्डू के लिए कितनी है गाय के घी की खपत, लाखों टन हो जाता है हवा
Diwali Flight Bookings: आसमान छूने लगे फ्लाइट के टिकट, बुकिंग में दोगुना उछाल, कैसे मना पाएंगे अपनों के साथ दीवाली 
आसमान छूने लगे फ्लाइट के टिकट, बुकिंग में दोगुना उछाल, कैसे मना पाएंगे अपनों के साथ दीवाली 
खूंखार विलेन बनकर Gulshan Grover ने इन फिल्मों में खूब डराया, ओटीटी पर आज ही निपटा डालें
खूंखार विलेन बनकर गुलशन ग्रोवर ने इन फिल्मों में खूब डराया, ओटीटी पर आज ही निपटा डालें
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Iphone 16 Series: एप्पल का नया अवतार...शहर-शहर लंबी कतार ! ABP NewsPune News: पुणे में जमीन में समा गया डंपर, सड़क धंसने से इलाके में दहशत | 24 Ghante 24 ReporterIsrael  Hezbollah War : हिजबुल्लाह ने 130 से ज्यादा रॉकेट दागे | 24 Ghante 24 ReporterPublic Interest: अमेरिकी कोर्ट का भारत को समन..बढ़ी टेंशन | US Court Summons India | ABP News | Modi

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
यूपी-बिहार, दिल्ली समेत उत्तर भारत में कब और कितनी पड़ेगी ठंड, ताजा अलर्ट में चल गया पता
यूपी-बिहार, दिल्ली समेत उत्तर भारत में कब और कितनी पड़ेगी ठंड, ताजा अलर्ट में चल गया पता
तिरुमाला मंदिर के लड्डू के लिए कितनी है गाय के घी की खपत, लाखों टन हो जाता है हवा
तिरुमाला मंदिर के लड्डू के लिए कितनी है गाय के घी की खपत, लाखों टन हो जाता है हवा
Diwali Flight Bookings: आसमान छूने लगे फ्लाइट के टिकट, बुकिंग में दोगुना उछाल, कैसे मना पाएंगे अपनों के साथ दीवाली 
आसमान छूने लगे फ्लाइट के टिकट, बुकिंग में दोगुना उछाल, कैसे मना पाएंगे अपनों के साथ दीवाली 
खूंखार विलेन बनकर Gulshan Grover ने इन फिल्मों में खूब डराया, ओटीटी पर आज ही निपटा डालें
खूंखार विलेन बनकर गुलशन ग्रोवर ने इन फिल्मों में खूब डराया, ओटीटी पर आज ही निपटा डालें
तिरुपति मंदिर में लड्डू का प्रसाद तो वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में कैसा है भोग, पढ़ें डिटेल
तिरुपति मंदिर में लड्डू का प्रसाद तो वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में कैसा है भोग, पढ़ें डिटेल
पीएफ खाते से एक साल में कितने पैसे निकाल सकते हैं आप? ये हैं नियम
पीएफ खाते से एक साल में कितने पैसे निकाल सकते हैं आप? ये हैं नियम
IND vs BAN: बल्लेबाजों के लिए कब्रगाह साबित हो रहा है चेपॉक का विकेट! दूसरे दिन बन गया खास रिकॉर्ड
बल्लेबाजों के लिए कब्रगाह साबित हो रहा है चेपॉक का विकेट! दूसरे दिन बन गया खास रिकॉर्ड
BPSC 70th Recruitment 2024: बिहार में होने जा रही है बंपर पदों पर भर्ती, डिप्टी कलेक्टर से लेकर डीएसपी तक भरे जाएंगे इतने पद
बिहार में होने जा रही है बंपर पदों पर भर्ती, डिप्टी कलेक्टर से लेकर डीएसपी तक भरे जाएंगे इतने पद
Embed widget