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Aditya-L1 Solar Mission: सूर्य का 'दिन' कितने घंटे का? क्या सूरज के बिना जीवन संभव? ये 10 तथ्य जानना आपके लिए बेहद जरूरी

Aditya-L1 Mission: सूर्य के बिना संभव नहीं है, लेकिन सूर्य की प्रकृति क्या है, इसे समझ लेना जरूरी है.

Aditya-L1 Solar Mission: सूर्य के बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है. यह हमारे सोलर सिस्टम का 'नेता' है, जिसके चारों ओर कई ग्रह चक्कर लगाते हैं. नासा के मुताबिक, हमारा सूर्य 4.5 अरब वर्ष पुराना तारा है. पृथ्वी का सबसे नजदीकी तारा भी सूर्य ही है. हाइड्रोजन और हीलियम की असीम ऊर्जा वाला ये सूर्य पृथ्वी की सतह से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है, तभी तो 3 लाख प्रति किलोमीटर की रफ्तार से यात्रा करने वाली रोशनी को सूर्य से पृथ्वी पर आने में 8 मिनट 20 सेकेंड का समय लगता है.  

सूर्य की गुरुत्वाकर्षण की वजह से ही सौर मंडल की सभी ग्रहें उसका चक्कर काटती रहती हैं. सूर्य का सबसे गर्म हिस्सा इसका केंद्र है, जहां तापमान 27 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट (15 मिलियन डिग्री सेल्सियस) से ऊपर होता है. सूर्य की सतह पर होने वाले विस्फोट अंतरिक्ष की सतह को प्रभावित करती हैं. लेकिन इसके अलावा सूर्य की 10 बातें आपको जाननी चाहिए.

सबसे बड़ा

सूर्य पृथ्वी से लगभग 100 गुना और सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से लगभग 10 गुना अधिक चौड़ा है. नासा के मुताबिक, सूर्य के भीतर लगभग 13 लाख पृथ्वी समा सकती है.

सूर्य: एकमात्र तारा- सबको रखता है साथ

सूर्य हमारे सौर मंडल का एकमात्र तारा है. यह हमारे सौरमंडल का केंद्र है और इसका गुरुत्वाकर्षण सौरमंडल को एक साथ बांधे रखता है. हमारे सौर मंडल में सब कुछ इसके चारों ओर घूमता है, जैसे ग्रह, छोटे ग्रह(एस्टेरॉयड), धूमकेतु(पत्थर, धूल, बर्फ़ और गैस के बने होते हैं). 

सूर्य का 'दिन' कितने घंटे का होता है?

हमारे ग्रह पृथ्वी पर दिन और रात सूर्य की वजह से होती है, लेकिन सूर्य का दिन कितने देर का होता है? दरअसल सूर्य का दिन उसके एक चक्कर लगाने को कहते हैं, पृथ्वी पर भी ऐसा ही होता है, जब पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाती है, तब एक दिन पूरा होता है. लेकिन सूर्य पर दिन कितने देर का होता है ये मापना जटिल है, क्योंकि पृथ्वी की तरह एक ठोस आकार की तरह नहीं घूमती है.

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्य की सतह ठोस नहीं है. सूर्य की सतह गैसों से भरे प्लाजमा से बनी है, ये प्लाजमा काफी गर्म होती है और सूर्य के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग गति से घूमती है, जिस वजह से सूर्य का दिन हर जगह एक नहीं रहता है. जैसे, सूर्य की भूमध्य रेखा पर, सूर्य 25 दिनों में एक चक्कर पूरा करता है और उसके ध्रुवों पर सूर्य 36 दिनों में अपनी धुरी पर एक बार घूमता है.

(दिनों की गिनती पृथ्वी के दिनों से की गई हैं)

हमें सूर्य का कौन सा हिस्सा नजर आता है?

धरती से हमें सूर्य को जो हिस्सा दिखता है उसे फोटोस्फीयर कहते हैं. ये पूरा हिस्सा धरती को रोशनी देता है, जिस वजह से यहां जीवन संभव है. 

गतिशील वातावरण

सूर्य की सतह (जो की गैस से बनी है) से ऊपर क्रोमोस्फीयर और कोरोना लेयर है. इस जगह पर सोलर फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्शन की गतिविधियां होती हैं. 

बिना किसी चांद का सूरज

सूर्य मंडल में लगभग सभी ग्रहों के अपने चांद होते हैं, कुछ ग्रहों के कई चांद होते हैं जो उसका चक्कर काटते हैं. पृथ्वी का भी चांद है, जहां इसरो ने मिशन भेजा. लेकिन सूर्य का कोई चांद नहीं है, लेकिन आठ ग्रह और करोड़ों धूमकेतु इसका चक्कर काटते हैं. 

सूर्य पर किस किस की है नजर?

नासा के मुताबिक, सोलर पार्कर प्रोब, सोलर ऑर्बिटर, सोहो, सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी, हिनोड, आइरिस और विंड जैसे उपकरण और मिशन की इसपर नजर है. इसके बाद शनिवार को भारत का आदित्य एल-1 भी इसकी निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा. 

सूर्य के चारों ओर धूल का गुबार

नासा के मुताबिक, 4.6 अरब वर्ष पहले जब सौर मंडल विकसित हुआ होगा, तब गैस और धूल से घिरा रहा होगा. आज भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले कई धूल के छल्लों में मौजूद है.

सूर्य पर जीवन संभव नहीं

सूर्य पर जीवन संभव नहीं है, लेकिन सूर्य से जीवन संभव है, लेकिन इसकी वजह से धरती पर जीवन हजारों सालों से पनप रही है. लाखों डिग्री सेल्सियस तापमान होने की वजह से सूर्य पर किसी इंसान के रहने की संभावना नामुमकिन है.

पृथ्वी पर आती है कई हानिकारक रोशनी 

सूर्य वैसे तो धरती पर जीवन के पनपने का एक स्रोत है, लेकिन इसके साथ सूर्य से कई ऐसे पार्टिकल्स आते हैं जो इंसानों के नुकसानदेह है.

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