Aditya-L1 Mission Launch: भारत का पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 11.50 बजे लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद इसरो का ये दूसरा बड़ा मिशन है, जिस पर एक बार फिर सभी की निगाहें लगी हैं. आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, लोगों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है. आइए जानते हैं कि इस लॉन्चिंग को लेकर वैज्ञानिकों का क्या कहना है.
पद्मश्री पुरस्कार विजेता और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने आदित्य-एल1 मिशन पर एएनआई से कहा, "एल1 बिंदु पर पहुंचना और उसके चारों ओर एक कक्षा बनाना, बहुत सटीक पॉइंटिंग के साथ वहां पांच वर्षों तक उपस्थित रहना तकनीकी रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण है. यह वैज्ञानिक रूप से फायदेमंद होने वाला है क्योंकि सात उपकरण (आदित्य-एल1 के 7 पेलोड), वहां जो हो रहा है उसकी गतिशीलता और घटनाओं को समझने की कोशिश करेंगे."
खगोलशास्त्री और प्रोफेसर आरसी कपूर ने इसे बहुत ही महत्वपूर्ण दिन बताया और कहा, "आदित्य एल1 पर सबसे महत्वपूर्ण उपकरण सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा. आम तौर पर इसका अध्ययन केवल पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही किया जा सकता है."
स्पेस इकोनॉमी में इसरो के बड़े रोल की उम्मीद
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा, "यह इसरो और भारत के लिए एक बड़ा कदम है. नई अंतरिक्ष नीति के साथ, यह स्पष्ट रूप से अनिवार्य कर दिया गया है कि इसरो स्पेस इकोनॉमी में एक बड़ी भूमिका निभाएगा. इसलिए, इसरो ने स्पष्ट रूप से एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है."
जवाहरलाल नेहरू तारामंडल दिल्ली में प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने आदित्य एल1 पर कहा, "अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां पहले ही सूर्य पर अवलोकन कर चुकी हैं. भारत के पास सूर्य वेधशाला (ऑब्जर्वेटरी) नहीं है. आदित्य एल1 के साथ भारत भी सूर्य पर अवलोकन करेगा. जो हमें अंतरिक्ष के मौसम और आगामी अंतरिक्ष अभियानों को समझने में मदद करेगा."
यह भी पढ़ें