Aditya L1 News Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चर्चित सूर्य मिशन 'आदित्य एल-1' लगातार सफलतापूर्वक अपनी यात्रा में आगे बढ़ रहा है. धरती और सूरज के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित L1 पॉइंट पर इसे पहुंचना है. इस बिच रविवार (8 अक्टूबर) को इसरो ने एक बड़ा अपडेट दिया है. लगातार इसकी ट्राजेक्ट्री पर नजर रख रही वैज्ञानिकों की टीम ने इससे हासिल हुए डाटा का मूल्यांकन करने के बाद इसके रास्ते में हल्का बदलाव किया है ताकि सफलतापूर्वक यह अपने लक्ष्य तक पहुंच सके.


इसरो ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पहले ट्वीटर) पर इस बारे में लिखा, "अंतरिक्ष यान आदित्य L1 सकुशल है और सूर्य की ओर बढ़ रहा है. 6 अक्टूबर को 16 सेकंड के लिए इसमें एक सुधार किया गया. इस प्रक्रिया को ट्राजेक्ट्री करेक्शन मैनुवर (टीसीएम) कहते हैं" 


जरूरी था बदलाव


इसरो ने कहा है कि 19 सितंबर 2023 को किए गए ट्रांस लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (टीएल1I) को ट्रैक करने के बाद मूल्यांकन किए गए पथ को सटीक करने के लिए इसकी आवश्यकता थी. टीसीएम यह सुनिश्चित करेगा कि अंतरिक्ष यान L1 के आसपास हेलो कक्षा की ओर अपने सही पथ पर बढ़ेगा. जैसे-जैसे आदित्य L1 आगे बढ़ता रहेगा, मैग्नेटोमीटर कुछ दिनों के भीतर फिर से चालू हो जाएगा.


इसरो ने अपने बयान में यह भी बताया है कि आदित्य L1 ने अब तक अर्थ बाउंड मैनुवर और एक ट्रांस लैग्रेंजियन पॉइंट 1 इंसर्शन में मैनुवर सफलतापूर्वक पूरा किया है.     


अंतरिक्ष के खगोलीय पिंडों की ओर इसरो की पांचवीं सफलता 


इसरो ने बताया है कि यह धरती के अलावा अंतरिक्ष में किसी दूसरे खगोलीय पिंड के लिए पांचवीं सफल यात्रा है. इसके पहले तीन बार चांद पर और एक बार मंगल ग्रह पर इसरो ने अंतरिक्ष यान भेजा है. सूर्य मिशन का मुख्य उद्देश्य सूरज की ऊपरी सतह के अध्ययन के साथ ही सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष के मौसम के प्रभाव का अध्ययन करना है. 


क्या होता है L1 पॉइंट?


इसरो के इस महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन को L1 पॉइंट पर भेजा जा रहा है. यह ऐसा पॉइंट है जहां बिना ईंधन खर्च किए कोई भी चीज अपनी जगह पर स्थिर बनी रह सकती है. दरअसल, L1 बिंदु पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में है जहां सूरज और पृथ्वी की ग्रेविटी एक दूसरे के समान होती है. साधारण शब्दों में इस बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी की ग्रेविटी एक दूसरे को कैंसिल आउट कर देती है. इसीलिए यहां मौजूद कोई भी चीज बिना ईंधन खर्च किए अपनी जगह पर लंबे समय तक बनी रह सकती है.


यहां से किसी भी वस्तु के अंतरिक्ष के अनंत सफर पर निकलने का खतरा नहीं रहता. यहां मौजूद किसी चीज को अगर धक्का भी दे दिया जाए तो वापस अपनी जगह पर लौट आती है. यह ऐसा प्वाइंट है जहां किसी भी खगोलीय पिंड की छाया नहीं पड़ती जिसकी वजह से 24 घंटे सूर्य की रोशनी पड़ती है. इसलिए आदित्य L1 को यहां स्थापित करके सौर अध्ययन किया जाएगा.


सूरज के अध्ययन के लिए भारत का पहला मिशन


आदित्य L1 सूरज के अध्ययन के लिए भारत का पहला मिशन है. इसे गत 2 सितंबर को इसरो ने लॉन्च किया था. इसे गंतव्य पर पहुंचने में चार महीने का वक्त लगना है. सूर्य की ऊपरी सतह के गहन अध्ययन के लिए इसमें सात अलग-अलग पेलोड लगाए गए हैं. इन्हें इसरो के साथ मिलकर दो स्वदेशी संस्थाओं की ओर से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है.


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